फूल चुभे कांटे बन  – भाग 10 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

   ” मुझे इसी बात का डर था लड़की को इतनी छूट नहीं देनी चाहिए मैंने मधु को समझाने की कोशिश भी की थी पर मधु तो अपनी बहन के प्यार में इतनी अंधी हो गई थी की यह निशा के खिलाफ कुछ सुनने को तैयार ही नहीं थी” ममता जी ने गुस्से में कहा   ” … Read more

फूल चुभे कांटे बन – भाग 9 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

  मधु रसोई से निकलकर अपने कमरे की ओर चल पड़ी वह मुस्कुराते हुए कमरे में जैसे दाखिल हुई उसने देखा सुरेश निशा का हाथ पकड़कर अपनी तरफ़ खींच रहे थे मधु को देखकर दोनों सकपका गए तभी निशा ने हंसते हुए कहा ” देखिए ना दीदी जीजाजी मेरा हाथ छोड़ ही नहीं रहें हैं मुझसे … Read more

फूल चुभे कांटे बन – भाग 8 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

  ” क्या कहा तुमने फिर से कहो”? मधु ने आश्चर्यचकित होकर पूछा   ” तुमने यह बात कल क्यों नहीं बताई जब मधु  तुम्हारी शादी की बात कर रही थी”? ममता जी ने निशा को गहरी नज़रों से देखते हुए पूछा   ” हां निशा तुमने कल क्यों नहीं बताया की तुम किसी से प्यार करती हो”? … Read more

फूल चुभे कांटे बन – भाग 7 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

  मधु के अन्दर जाते ही रीमा भाभी  मुंह बनाकर बड़बड़ाने लगी “मुझे क्या पड़ी है दूसरों के घरों में आग लगाने की मैंने तो तुम्हारा भला सोच कर तुम्हें आगाह करना चाह अब तुम भाड़ में जाओ मेरी बला से कल देख लेना अगर सिर पर हाथ रखकर तुम न रोईं तो मेरा नाम भी … Read more

फूल चुभे कांटे बन – भाग 6 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

”  यहां बैठे हुए मुझे क्या देख रहे हैं जीजाजी जाइए कपड़े बदलकर डाइनिंग हॉल में जल्दी से आ जाइए कल से मैं आपके साथ ही आफिस जाऊंगी और आऊंगी तब देखते रहिएगा अपनी स्मार्ट साली को यहां अगर मां जी ने आपको मेरे साथ देख लिया तो हजार सवाल करेगी और ऐसा भी हो … Read more

फूल चुभे कांटे बन – भाग 5 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

  मधु के जीवन में खुशियां ही खुशियां थीं सुरेश जैसा प्यार करने वाला पति देवी जैसी सास उसके मातापिता का आशीर्वाद और उसकी छोटी बहन निशा का साथ मधु जब भी मायके जाती निशा के लिए और अपने मातापिता के लिए ढेरों उपहार लेकर जाती वह अपने आस पड़ोस में रहने वाले गरीब बच्चों के … Read more

फूल चुभे कांटे बन – भाग 4 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

  मधु की आंखों से आंसूओं का सैलाब उमड़ा हुआ था वह बंद ही नहीं हो रहा था जैसे वर्षों से कैद आंसू आंखों से बाहर आने के लिए बैचेन थे जो अब तक जबरदस्ती क़ैद थे  आज मौका पाकर वह बाहर निकल पड़े वर्षों का दर्द आंसू बनकर मधु की आंखों से बह रहा था … Read more

फूल चुभे कांटे बन – भाग 3 – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

  सीमा के जाने के बाद मधु पुष्पा के साथ घर के अंदर दाखिल हुई हाल में पहुंचकर वह सोफे पर बैठ गई उसके मन में अंतर्द्वंद्व चल रहा था उसने अपनी आंखें बंद कर ली ” भाभी जी क्या आपका सर दर्द हो रहा है लाइए मैं दबा दूं” तभी पुष्पा की आवाज सुनकर मधु … Read more

फूल चुभे कांटे बन – भाग 2 – डॉ कंचन शुक्ला :

Moral Stories in Hindi   “भाभी जी मेरे मर्द ने मुझे धोखा दिया यह बात भी मुझे समझ आती है पर मेरी सगी बहन ने ऐसा किया यह बात मेरे दिल में कांटे की तरह चुभ रही है जिस बहन को मैंने अपनी सबसे अच्छी सहेली समझा उसने ही मुझसे मेरा मर्द छिन लिया और मुझी … Read more

फूल चुभे कांटे बन – भाग 1- डॉ कंचन शुक्ला :

उत्तराखंड का एक छोटा सा पहाड़ी कस्बा जो चारों ओर से प्राकृतिक सौंदर्य से घिरा एक पाॅश इलाके में एक खूबसूरत सा घर जो चारो ओर से पेड़ पौधों से घिरा हुआ था उस घर का गार्डन बहुत ही सुन्दर था जहां विभिन्न प्रकार के फ़ूल खिले हुए थे जिसमें ग़ुलाब ज्यादा थे हम यह … Read more

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