तृप्ति – ऋचा उनियाल
माथे का पसीना अपने दुपट्टे से पोंछती हुई ,नियति किचन से निकल कर आई और लिविंग रूम में रखे सोफे पर, धम्म से बैठ गई।थकान से पूरा शरीर दर्द कर रहा था उसका। सितंबर का महीना था और पितृपक्ष चल रहे थे। आज उसके ससुर जी का श्राद्ध था। बस थोड़ी देर पहले ही पण्डित … Read more