ये बँधन सिर्फ़ कच्चे धागों के नहीं हैं – के कामेश्वरी

शारदा कमरे से अपना और प्रदीप का आवश्यक सामान निकालकर बाहर हाल में एक जगह रख रही थी ।  प्रदीप ने कहा शारदा इतनी मेहनत क्यों कर रही है…….  इतना समझ लो कि तुम्हें कुछ हो गया तो तुम्हारी मदद करने कोई नहीं आएगा । वे हमारे ही बच्चे हैं जी ….. वे साल दो … Read more

कठोर कदम – डाॅ संजु झा

विनिता आज की घटना से हतप्रभ -सी वेदना के महासागर में डूब गई।आज जो घर में घटित हुआ,उस अग्नि की तपिश में वह चारों बेटियों के साथ झुलसकर रह गई।पति के रौद्र रूप से उसके मन में दरक रही  वेदना का बाॅंध अचानक से टूट पड़ा। ज़िन्दगी में पहली बार कठोर कदम उठाते हुए चारों … Read more

कठोर कदम – करुणा मलिक

मम्मी! कितनी देर से फ़ोन कर रही हूँ , कहाँ थी ?  अरे , वो संध्या को मायके जाना पड़ गया तो बस , तुम्हारे पापा के लिए रोटियाँ सेंक रही थी । ये पीछे से कैसी आवाज़ आ रही है, कहीं गई हुई है क्या ? मम्मी, मैं ट्रेन में हूँ और घर आ … Read more

भगवान के घर देर है अंधेर नहीं- मनीषा सिंह ।

“चाचा जी” मुझे नहीं जाना ससुराल! प्लीज मां-बाबूजी को समझाइए कि मुझे वहां नहीं भेजें!  पर हुआ क्या बेटा!जो तू अपने ससुराल नहीं जाना चाहती? बाता तो सही!  सब कुछ बुरा हो रहा है•• कुछ भी सही नहीं है! कहते हुए नीलू रो पड़ी। भतीजी को रोता देख, उसे गले लगा लिया और उसके आंसू … Read more

पेंशन – प्रतिमा श्रीवास्तव :

 Moral Stories in Hindi बेटा मुझे कुछ पैसे की जरूरत है शांति जी बेटे रवि से चार दिन से बोल रहीं थीं पर रवि हमेशा अनसुना करके कोई ना कोई बात घुमा कर वहां से निकल जाता। शांति जी स्कूल में अध्यापिका थीं तो हर महीने उनको  अच्छी – खासी पेंशन मिलती थी।जब तक शरीर … Read more

“ये बंधन कच्चे धागों का नहीं है – समिता बढ़ियाल :

 Moral Stories in Hindi माँ , इस बार आप राखी पर मामा के घर नहीं जाओगे , अभिषेक ने अपनी माँ सुशीला जी से कहा।  सुशीला जी बोलीं , बेटा अभि , ये रिश्ते बहुत नाज़ुक होते हैं , एक बार बिखर गए तो बिखर गए।  फिर जितना भी संभालो , नहीं संभलते।  अभिषेक माँ … Read more

प्यार के साथ सख्ती भी जरूरी है – विमला गुगलानी :  Moral Stories in Hindi

“ माँ, अरविंद की हरकतें दिन पर दिन बढ़ती ही जा रही है”, ईशा ने अपनी माँ गोमती से कहा।    गोमती को चुप देखकर ईशा समझ गई कि मां कुछ नहीं कहेगी।ईशा ने फिर कहा” माँ, माना कि अरविंद सरपंच का इकलौता लड़का है, और आप उनके यहां खाना बनाने का काम करती हो, और … Read more

अपनी अपनी सीमा –  लतिका पल्लवी :  Moral Stories in Hindi

माँ आज आप घूमने नहीं गईं?’ सुबह सात बजे जब  अनिकेत उठा और अपनी माँ को घर मे देखा तो उसे आश्चर्य हुआ और उसने यह बात अपनी माँ से पूछा, क्योंकि वह जब भी उठता तो देखता माँ घर मे नहीं है । पूछने पर अमृता कहती की माँ मॉर्निंग वॉक पर गईं है। … Read more

वैभव ही सुख नहीं – अर्चना कोहली ‘अर्चि’ :  Moral Stories in Hindi

“निया, क्या बात है? मम्मी रसोई में चाय बना रही हैं और तुम सो रही हो। क्या तबियत सही नहीं है।” मयंक ने पूछा। “ठीक है।” निया ने जवाब दिया। “फिर क्या बात है? अभी तक क्यों सो रही हो? सूरज ढलने के बाद सोना अच्छी बात नहीं है। घर भी बिखरा हुआ है। कई … Read more

कठोर कदम उठाने पड़ते है – अर्चना कोहली ‘अर्चि’ :  Moral Stories in Hindi

“तो मेरे लाख मना करने के बावजूद तुमने अनन्या को घर से निकालने का फैसला ले ही लिया। क्या मेरी और माँ की इच्छा की कोई अहमियत नहीं।” प्रशांत ने गुस्से से काव्या से कहा। “मैं उसे घर से नहीं निकाल रही, सिर्फ छात्रावास भेज रही हूँ ताकि उसका भविष्य उज्ज्वल हो सके। बेकार की … Read more

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