ये बँधन सिर्फ़ कच्चे धागों के नहीं हैं – के कामेश्वरी
शारदा कमरे से अपना और प्रदीप का आवश्यक सामान निकालकर बाहर हाल में एक जगह रख रही थी । प्रदीप ने कहा शारदा इतनी मेहनत क्यों कर रही है……. इतना समझ लो कि तुम्हें कुछ हो गया तो तुम्हारी मदद करने कोई नहीं आएगा । वे हमारे ही बच्चे हैं जी ….. वे साल दो … Read more