ससुराल वाले बड़ी बहू को इंसान नहीं समझते क्या – मधु वशिष्ठ :  Moral Stories in Hindi

ससुराल वाले बड़ी बहू को इंसान नहीं समझते क्या? सब सारी उम्मीदें मुझसे ही लगाएंगे।  उनके आने पर अम्मा भी उन पर ऐसी बलिहारी जाएगी कि पूछो ही मत। हम तो हर समय साथ रहते हैं ,हमारी कोई कीमत ही नहीं है। अगर इतना ही प्यार जताना है तो क्यों नहीं उनके साथ ही चली … Read more

सच्चे रिश्तों का मूल्य – माधवी मूंदरा :  Moral Stories in Hindi

पन्नालाल जी एक परंपरागत व्यक्ति थे। वे अपने परिवार के साथ रहते थे—पत्नी, दो बेटे और उनकी बहुएँ। उनका बड़ा बेटा पढ़ाई-लिखाई में तेज़ था, ईमानदार और सादगी पसंद भी। पर जब उसकी शादी की बारी आई तो पन्नालाल जी के मन में समाज में ऊँचा दिखने और दहेज के लालच ने जगह बना ली। … Read more

बड़ी बहू को ससुराल वाले इंसान क्यों नहीं समझते -क़े कामेश्वरी :  Moral Stories in Hindi

ट्रिन ट्रिन फोन की घंटी बजी प्रतीक ने आवाज दी प्रमिला देखो मेरा फोन बज रहा है। प्रमिला शायद घर पर नहीं थी वह दूध लेने के लिए गई हुई थी। जब प्रमिला का कोई जवाब नहीं आया और नानस्टाप घंटी बज रही थी तो खुद उसे उठाने गया नाम देखा प्रभात उसके छोटे भाई … Read more

एक मुँह दो बात – के कामेश्वरी : लघुकथा

रमा को देखने के लिए चाचा और भाई आए थे । उसकी सास शशि उनको देखते ही प्यार से बिठाया और अंदर की तरफ मुँह करके बोली रमा बेटा रसोई में जहाँ का काम वहीं छोड़कर आ जा तुम्हारे चाचा और भाई आए हैं । अब मैं आपको क्या बताऊँ बहुत ज़िद्दी है हम में … Read more

अब और नहीं – श्वेता अग्रवाल :  Moral Stories in Hindi

आँगन में तुलसी का चौरा, दीवार पर टंगी घड़ी की टिक-टिक और रसोई से आती सब्ज़ी की हल्की-सी ख़ुशबू… यही था वह घर, जहाँ सबकी चहेती खुशी रहती थी। नाम के अनुरूप सबको खुशियाँ बाँटने वाली। कोई काम कह दो, तो तुरंत हाज़िर। कोई ज़िम्मेदारी सौंप दो, तो पूरी शिद्दत से निभाने वाली। खुशी हमेशा … Read more

सेर पर सवा सेर – लतिका पल्लवी :  Moral Stories in Hindi

माँ आज रात के खाने में क्या बनाऊ? जो तुम्हारा मन करे वह बना लो बहू।इतनी छोटी बात के लिए मुझसे क्या पूछना है।ठीक है माँ तो आलू पराठा और प्याज़ का रायता बना ले रही हूँ। ठीक है माँ जी? जाती हूँ तैयारी करने, आलू कुकर में उबलने को रख देती हूँ। फिर चाय … Read more

बड़ी बहू – डाॅ उर्मिला सिन्हा :  Moral Stories in Hindi

सूरज की ऊंचाइयों में तृप्ति का आनंद है तो नियति के गहन टेढ़ी-मेढ़ी कंदराओं में भटकते भी देर नहीं लगती।समय बड़ा बलवान… परिस्थितियां एक सी नहीं रहती।    माही इस घर की बड़ी बहू बनकर आई थी। भरा-पूरा संयुक्त परिवार था। दादा-दादी, चाचा-चाची, बुआ फुफा उनके बाल-बच्चे और खुद के दो छोटी ननदें और एक देवर। … Read more

प्राईवेसी भी जरूरी है – विमला गुगलानी :  Moral Stories in Hindi

       सुरूचि की शादी तय हो चुकी थी,वैसे तो  एंकाश से उसकी अरैंज मैरिज थी, लेकिन शादी से पहले वो तीन चार बार मिलकर आपस में कई बातें कर चुके थे। दोनों की उम्र ही परिपक्व ,तीस से ऊपर थी, एक दूसरे के परिवार के बारे में , उनकी पंसद, नापंसद को अच्छे से जानने की … Read more

इंतजार की ठंडी रात -ज्योति आहूजा :  Moral Stories in Hindi

कुछ लोगों की आदत होती है मस्करी करने की, किसी पर व्यंग्य कसने की, झूठ मूठ की बातें करने की और मज़ाक उड़ाने की। ऐसा ही एक परिवार था, जिसमें साठ बरस की औरत जानकी देवी अपने बेटे आनंद , बहू सुनीता और पोते–पोती के साथ रहती थी। उनके पूरे घर का यही मिज़ाज था—बात … Read more

प्यार और तुमसे – अर्चना सिंह :  Moral Stories in Hindi

धनाभाव में पली – बढ़ी हुई थी मैं , लेकिन ईश्वर ने रूप देने में भी कटौती कर दी थी । एक तो रंग साँवला, हाइट कम और नाक भी चपटी । पर पढ़ने में अच्छी थी शायद इस वजह से भी लोग मुझसे दोस्ती करते थे । जिस दिन ग्रेजुएशन का आखिरी पेपर था … Read more

error: Content is protected !!