काली रात -प्रतिमा श्रीवास्तव :

 Moral Stories in Hindi वो काली रात आज भी सोच कर सुरुचि घबरा सी जाती है जब उसके देवर ने उसके अकेलेपन का फायदा उठाने के लिए उसके साथ बुरा बर्ताव करने की कोशिश की थीं। सुरुचि के शादी के साल भर ही हुए थे कि रवि जो भारतीय सेना में सैनिक था, उसकी एक … Read more

परिवार पूरा हो गया हमारा – चाँदनी झा :

 Moral Stories in Hindi जब तुम माँ बनोगी तब पता चलेगा।” ये वाक्य तो माँ से बचपन से सुनती आई थी, पर माँ ने जब ये कहा था, “जब तुम बेटी की माँ बनोगी, तभी मेरे दर्द को समझ पाओगी। ऐसे तुम नहीं समझ सकती हो। मुझे क्या दर्द है कितना दर्द है?” फिर भी … Read more

प्यार का जाल – अमिता कुचया :  Moral Stories in Hindi

आज जैसे ही रीतेश और उसके दोस्तों की नजर पहली बार कालेज आते हुए साहिल पर पड़ती है तब वह ग्रुप के सब लड़के और रोमी कहते- चल यार नया बकरा फंसा है ,मजा लेते हैं। जैसे उनके पास से वह गुजरता है तभी रोमी उसी के सामने वह अपना पैर उस पर अड़ा देती … Read more

काली रात – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

मैं स्वर्णा अपने माता- पिता की लाडली बेटी थी ….हम तीनों बहुत खुश थे गाँव में सब मेरी ख़ूबसूरती को लेकर बहुत तारीफ़ करते थे । सब कहते थे कि ……. मैं अपनी माँ के समान बला की खूबसूरत हूँ । विधाता को शायद हमारी खुशी मंजूर नहीं थी …….. अचानक माँ की मृत्यु हो … Read more

देवर का इंसाफ – लतिका पल्लवी

माँ आज भाभी का जन्मदिन है।यह पैसे रखो और बाजार जाकर भाभी के लिए कुछ उपहार लेती आना। हाँ अब उसी का तो जन्मदिन मनाना है। इस मनहूस को तो बच्चा होने से रहा जो पोता पोती का जन्मदिन मनाऊँगी। माँ फिर आप शुरू हो गईं। अभी भाभी के घाव भरे भी नहीं है और … Read more

ससुराल वाले बडी बहू को इंसान क्यूं नहीं समझते – विमला गुगलानी :  Moral Stories in Hindi

छोटा हो या बड़ा सम्मान और प्यार कमाना पड़ता है        नंदनी बहू, थाली तैयार रखना, नंदू प्लीज मेरी मैंचिग में कोई कमी नहीं रहनी चाहिए, नंदी बेटा, चार दिन की दवाईयां एक और अलग से रख लो, कहीं मौके पर मैनें दवाई न खाई और मुझे कुछ हो गया तो रंग में भंग ही न … Read more

कहीं ये वो तो नहीं पार्ट – 2 :लतिका श्रीवास्तव 

अहा यही तो है मेरा पर्स मेरा लकी पर्स खुशी से चीख पड़ी रचना।झपट कर पर्स को दोनों हाथों में उठा गले से लगा लिया। पर्स पर ही पूरा प्यार लुटा दीजिएगा या पर्स आपको देने वाले के लिए भी कुछ बचाएगा तल्लीनता से आनंदित होती रचना को देख वह युवक मुखर हो उठा। खुशी … Read more

काली रात – डॉ० मनीषा भारद्वाज :  Moral Stories in Hindi

वह काली रात इतनी सघन थी कि लगता था कोई विशालकाय काली रूई के गठ्ठर ने आकाश को और धरती को, दोनों को दबोच रखा हो। चाँद-तारे तो बहुत पीछे छूट चुके थे। सिर्फ एक टिमटिमाता स्ट्रीटलाइट था, जो अपनी मृत्यु के अंतिम क्षण गिन रहा था। इसी अँधेरे के बीच, एक पुरानी, जर्जर कोठी … Read more

परिचय की जरूरत -लतिका श्रीवास्तव :

हेलो जी क्या आप समर्थ जी केघर से बोल रहे हैं मैं राकेश उनका पुराना परिचित बोल रहा हूं ।मुझे उनसे मिलना है क्या वे घर पर है आवाज सुनते ही समर्थ ने तुरंत कहा नहीं मैं उनका भाई बोल रहा हूं भैया तो ऑफिस निकल गए हैं आप फिर कभी आइए और उधर से … Read more

एक मुँह दो बात और पंडित जी का फलसफ़ा – डॉ० मनीषा भारद्वाज :  Moral Stories in Hindi

“बिलकुल फाइनल है बाबूजी! अब चाहे सूरज पश्चिम से निकले या इंद्रदेव मूंगफली बेचने आ जाएँ, हमारी ललिता का रिश्ता उसी के साथ तय है। मेरी मर्जी के बिना इस घर में पंखा भी नहीं घूमता, फिर रिश्ते की बात ही क्या!” पंडित बृजकिशोर शुक्ला ने अपनी चाय का घूँट भरा और अखबार को जोर … Read more

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