ईर्ष्या : Moral Stories in Hindi

अनामिका अमीर मां-बाप की इकलौती संतान थी। देखने में बहुत खूबसूरत जो भी देखता देखता ही रह जाता परंतु वह बहुत जिद्दी और नकचढ़ी थी। वह हर किसी को नीचा दिखाना चाहती थी और उसको इस काम में बहुत मजा आता था उसके मां-बाप रिश्तेदार भी इस आदत से परेशान रहते थे। बाहर किसी की … Read more

ईर्ष्या – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

प्रकाश नारायण जी अपने दोस्त अविनाश जी की पत्नी को अस्पताल में देखने आए थे। वह बीमार थी ब्रेन हेमरेज हुआ था ।तभी अविनाश के छोटे भाई अनुराग   का बेटा शिखर खाने का टिफिन लेकर आया। शिखर प्रकाश नारायण से नमस्ते करके वहीं बैठ गया ।अविनाश जी मेडिकल स्टोर से कुछ दवाई लेने गए … Read more

“ईर्ष्या “ : Moral Stories in Hindi

“ईर्ष्या “ एक समय की बात है,एक छोटा सा गाँव था जहाँ हरे-भरे खेत और बहती नदी थी ,वहाँ दो दोस्त रहते थे -राहुल और अमन दोनों बचपन से ही गहरे दोस्त थे और उनका रिश्ता बहुत मजबूत था । राहुल स्वभाव से बहुत मेहनती और सीधा साधा था ,जबकि अमन चतुर चालाक और महत्त्व … Read more

कलयुगी रावण – संगीता अग्रवाल

” रिया देखो तो कौन आया है ?” बाहर से पापा की आवाज़ सुन बीस साल की रिया जो फोन पर लगी थी बाहर आई।  ” कौन है पापा ?” बाहर आते आते उसने सवाल किया । ” देखो दादी आई है । आज से ये तुम्हारे कमरे मे ही रहेगी !” माँ दादी के … Read more

दान – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

“आप मुझे पाँच रुपए उधार दे सकती हैं क्या?” बस का टिकट पंद्रह रूपए का था और उस लड़के के हाथ में उस इकलौते दस के नोट के अलावा उसके बटुए से एक पाँच सौ का नोट भी झांँक रहा था। इधर बस कंडक्टर उसे पाँच रूपए के बदले पाँच सौ का छुट्टा देने को … Read more

कलछुल -पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

“सुधा! तुमने ध्यान दिया?” “क्या?” “अपना बंटी कितना बदल गया है!” पहली बार अपनी पत्नी सुधा संग बलिया से बेंगलुरु बेटा-बहू से मिलने आए चंदेश्वर ने अपने मन की हलचल साझा किया। “आपने सही कहा जी! मैं भी कल से यही महसूस कर रही हूंँ कि कितनी जल्द समझदार हो गया है अपना नटखट बंटी।” … Read more

ईर्ष्या – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

 अरे ओ जग्गू पार्वती गुड़िया कहां हो तुम सब?? कहीं दिखाई नहीं दे रहे हो। अभी तो खाना पकाने का समय है, तो चूल्हे में आग क्यों नहीं है?? यह चूल्हा ठंडा क्यों पड़ा है?? जेठानी लीला की आवाज सुनकर घर के पिछवाड़े का आंगन बुहारना छोड़ कर पार्वती जेठानी लीला के पास आकर कहने … Read more

“खुशी मिली इतनी की मन में ना समाये – सुनीता मौर्या “सुप्रिया” :

Moral Stories in Hindi “मम्मी…मम्मी…मम्मी जीईईई…कहां हो आप?” दस साल का पल्लव खुशी से अपनी मां को पुकारता हुआ घर मे दाखिल हुआ।   हाथ में सूखे कपड़ों का ढेर लिये  सीढियों से उतरती मैथली झुंझलाते हुए पूछती है,”क्या हुआ जो इतना बेसब्रा हुआ जा रहा है, छत पर गई थी सूखे कपड़े उठाने?” पल्लव हाथ … Read more

पत्नी की चतुराई – शुभ्रा मिश्रा : moral stories in nindi

आज दस दिन मायके मे रहकर नम्रता अपने घर लौट रही थी।गाड़ी अभी गंतव्य से एक स्टेशन पहले ही थी, तभी नम्रता नें अमर को फोन कर दिया था कि स्टेशन पर गाड़ी पहुंच रही है, तुम कहा हो? अमर नें कहा कि गाड़ी अभी तो एक स्टेशन दूर है। नम्रता को लगा कि वह … Read more

ईर्ष्या की छाया से उजाला – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

मुंबई की उमस भरी गर्मी में ‘कॉफी कॉर्नर’ की ठंडी हवा भी अरुण के मन की गर्मी को शांत नहीं कर पा रही थी। उसकी नजरें टेबल के दूसरी ओर बैठे विवेक पर टिकी थीं, जो अपनी नई कार की चाबियों को उत्साह से घुमा रहा था। वह चाबी सिर्फ धातु का टुकड़ा नहीं थी, … Read more

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