सुनो सबकी करो मन की – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

फोन की घंटी बजते ही मुग्धा भाग कर जाती है तो दूसरी तरफ से मां की आवाज सुनकर उसके चेहरे पर रौनक आ जाती है।और सुनाओ बेटा….”कब से घंटी बज रही थी कहां व्यस्त थी तू? तुझे तो फुर्सत ही नहीं होती की मां को फोन लगा लिया करे” संगीता जी बिटिया से गुस्से में … Read more

घर दीवार से नहीं परिवार से बनता है  – क़े कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

 आपकी बेटी हमें भा गई है …….. हमारा बेटा साहिल ने भी इस रिश्ते के लिए हाँ कह दिया है …….. खुशी से सुदर्शन और उनकी पत्नी संचिता ने मनोज जी से कह दिया । उनकी बातें सुनकर मनोज जी खुश हो गए थे…. पत्नी सरोज ने आँखों से इशारा किया कि उनसे आगे की … Read more

आंसू पीकर रह जाना -प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मेघा खूब खुश थी क्योंकि की कितने सालों के बाद वो राखी मनाने भईया के घर जा रही थी। मां – पापा के जाने के बाद तो सारा त्योहार ही सूना हो गया था। मायका ही नहीं बचा था। सब तैयारी कर ली, बाजार जाकर पूरे परिवार के लिए कपड़े खरीदे और राखी मिठाई सब … Read more

 घर या मकान – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

       हालात कुछ ऐसे बने की घर की सबसे छोटी लाडली बेटी सुमी की शादी बिना ज्यादा देखे परखे प्रेम से तय हो गई, और अगले हफ्ते ही शादी भी हो गई।कस्बानुमा शहर में अपना पुराना लेकिन काफी खुल्ला घर था। कहना तो नहीं चाहिए लेकिन परिवार के साथ साथ शादी में आए नाते रिशतेदारों को … Read more

घर दीवार से नहीं परिवार से बनता हैI – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

घर दीवार से नहीं परिवार से बनता है सुलोचना,पर तुम तो रात दिन कोई ना कोई जाल ही बुनती रहती हो। कभी मम्मी – पापा के खिलाफ तो कभी मेरे भाई बहन और उसकी नई नवेली दुल्हन रागिनी के खिलाफ। मैं चुपचाप रहा इतने दिनों तक की शायद तुम्हें परिवार की अहमियत कभी ना कभी … Read more

अतिथि,अब तुम जाओगे – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

बचपन में हमें टीचर ने सिखाया था कि अतिथि देवो भवः और सयाने होने पर दादी ने भी यही सिखाया था।जब भी चाचा, बुआ-फूफाजी अथवा पिताजी के मित्र हमारे घर आतें तो माँ हम सभी भाई-बहनों को एक कमरे में समेट देतीं थीं।अब रात को एक ही बिस्तर पर हम पाँचों भाई-बहन एक-दूसरे पर लातें … Read more

घर दीवार से नहीं परिवार से बनते हैं – मधु वशिष्ठ

घर दीवार से नहीं परिवार से बनते हैं सुमित्रा गुस्से में वर्मा जी से चिल्ला कर बोली। बंटी का दोस्त और  दीप्ति की सहेलियां भी घर से जा रही थी और दीप्ति उतरा हुआ मुंह लेकर खाने की प्लेटें सिंक में डाल रही थी।        आइऐ आपको वर्मा जी के परिवार के बारे में बताते हैं। … Read more

फैसला – बीना शर्मा 

“आज तुमने फिर से  अपने मम्मी पापा को पैसे दे दिए… मैंने मना किया था उन्हें पैसे देने के लिए फिर आपने उन्हें पैसे क्यों दिए? तुम ऐसे नहीं मानोगे..… आज मुझे ही कोई कठोर फैसला लेना पड़ेगा.… तब तुम सुधरोगे”मोनिका ने गुस्से में अपने पति मोहित से कहा तो मोहित ने उससे पूछा कैसा … Read more

रक्षाबंधन – डॉ बीना कुण्डलिया

ट्रिन ट्रिन ट्रिन ट्रिन फोन की लगातार बजती आवाजें अमिता ने दौड़कर अपना सेल फोन उठाया, उधर से आवाज आई हैलो, हैलो भाभी आवाज पहचान कर अमिता ने इधर उधर अपना मुंह घुमाया साफ जाहिर हो रहा था नाखुश थी वो । फिर बोली हाँ नम्रता बोलो । नम्रता अमिता की ननद जो अमिता को … Read more

कठोर कदम – प्रतिमा श्रीवास्तव   

सुबोध ने आज कठोर कदम उठाए थे अपनी मां के खिलाफ। ऐसा जो की करने से पहले एक बेटे को बार-बार सोचना पड़ता है। उसने घर छोड़ने का फैसला ले लिया था क्योंकि उसकी मां सरला जी का व्यवहार अपनी बहूओं के प्रति बहुत ही खराब था। सुबोध ने बहुत बार अनदेखा कर दिया था … Read more

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