कठोर कदम – अमित रत्ता :

Moral Stories in Hindi राजेश एक मध्यमवर्गीय परिवार का सरल, ईमानदार और मेहनती व्यक्ति था। एक सरकारी दफ्तर में क्लर्क की नौकरी करता था। उसके इकलौता बेटा था आदित्य। बहुत ही जिसे बहुत ही लाड़ प्यार से पाला था। एक पल भी आंखों से ओझल हो जाए तो माँ बाप की जान निकलने को हो … Read more

तोहफा – डॉ० मनीषा भारद्वाज :

धूप की सुनहरी किरणें श्रीवास्तव जी के छोटे से ड्राइंग रूम में चाय की प्यालियों पर पड़ रही थीं। हवा में गुलाब जल और ताज़ा कटे हुए केक की मिठास मिली हुई थी। आज प्रिया का इक्कीसवाँ जन्मदिन था। उसकी माँ, सुधा जी, परदे को बार-बार समेटतीं, बाहर झाँकतीं। “अरे वाह! फूफी जी आ गईं! … Read more

घर दीवार से नहीं परिवार से बनता है -करुणा मालिक :

Moral Stories in Hindi सुरभि की दादी ! इस साल झूला नहीं डलवाया क्या ? हाय क्यूँ ना डलवाती भला ? तुमने ध्यान ना दिया ….रोज़ तो मोहल्ले के बच्चे शाम को झूलने आते हैं, मेला सा लग जाता है । हाँ…. हर साल सावन शुरू होने से दो-चार दिन पहले डलवा देती थी…. अबकि … Read more

जुग जुग जियो बेटा – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

अब ये पुरानी आराम कुर्सी भी लेकर जाएंगे क्या आप!! यहीं पड़े रहने दीजिए इसे। इसका एक हत्था भी अलग हो गया है ।इसकी लकड़ी भी बैठते समय चुभने लगी है। नए मकान में नया फर्नीचर रहेगा इस कबाड़ का क्या काम वहां सुजाता जी अपनी पुरानी साड़ियों का गट्ठर बांधते हुए पति कैलाश जी … Read more

दोस्ती – रेनू अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

सीता और गीता बचपन की सख़्त जोड़ी थीं। एक ही गली में पली-बढ़ीं, एक ही स्कूल में पढ़ीं और फिर किस्मत ने दोनों की शादी भी एक ही शहर में कर दी। समय के साथ उनकी दोस्ती और भी गहरी होती चली गई। लोग उन्हें “राम-लखन” की तरह याद रखते, लेकिन महिला रूप में। सीता … Read more

आंसू पीकर रह जाना – खुशी : Moral Stories in Hindi

नलिनी एक अध्यापिका थीं उसके दो बच्चे थे।अदिति और आदित्य ।उसके पति निरजन गुस्सैल स्वभाव के थे।उन्हें हर चीज जगह पर बच्चों की हर बात पूरी होनी चाहिए।यदि नलिनी किसी काम में लगी हो और वो बच्चों की आवाज पर हाजिर ना हो तो उसकी रिमांड लग जाती।बाहर निरंजन दिखाता की मैं अपनी पत्नी को … Read more

 कठोर कदम – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

आरोही ,एक आम मध्यमवर्गीय लड़की का रिश्ता जब गुड़गांव के एक नामी परिवार से आया तो घर में सब फूले नहीं समा रहे थे। एक तरफ जहां उसके रूप और गुणों की चर्चा शुरू से ही घर परिवार और रिश्तेदारी में थी, वहीं संस्कार और परिवार में भी कोई कमी न थी। सब देख समझ … Read more

घर दीवार से नहीं परिवार से बनता है – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

अरे मम्मी आप क्यों झाड़ू लगा रही हो भाभी कहां गई ।घर में घुसते ही निभि ने मां से पूछा ,अरे बेटा आ गई तू गले से बेटी को लगाते हुए रेखा जी ने कहा। अरे क्या बताएं ।अरे ये आपकी उम्र है काम करने की आप क्यों झाड़ू लगा रही थी ।अरे काम वाली … Read more

एक कदम – रश्मि प्रकाश  : Moral Stories in Hindi

“ कितनी अजीब बात है ना सुहास… कल तक मुझे चुप करवाने वाले को आज बोलने के लिए मेरी इजाज़त की ज़रूरत पड़ने लगी…।” दृष्टि सुहास को देखते हुए बोली  सुहास चाह कर भी कुछ बोल ना पाया… बस एकटक दृष्टि को देखता रहा और आँखों से अविरल अश्रु धारा बहती जा रही थी…. चाहती … Read more

घर दीवारों से नहीं, परिवार से बनता है – मीनाक्षी गुप्ता : Moral Stories in Hindi

सुबह की पहली आहट अभी ठीक से हुई भी न थी कि सीमा की आँख खुल गई। अलार्म की हल्की-सी आवाज़ उसके लिए दिन की शुरुआत का संकेत थी, पर जब वह बिस्तर से उठी तो देखा कि उसके सास-ससुर, प्रकाश जी और सुशीला जी, पहले ही जाग चुके थे। सुशीला जी ने हमेशा की … Read more

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