आखिर ये तिरस्कार कब तक! – इंदु विवेक : Moral Stories in Hindi

पचासों बार उसे श्रृंगार कर लड़के वालों के सामने ले जाया गया,हजारों रुपये स्वागत सत्कार में खर्च किये गए, तमाम आभगत मगर परिणाम एक ही ,लड़की की लंबाई थोड़ी कम है हमारे बेटे के हिसाब से थोड़ी लंबी लड़की चाहिए।         सलौनी थक गई थी यह सब सुन सुन कर,उसका मन जोरों से चीख रहा था … Read more

बुलावा – पुष्पा कुमारी “पुष्प” : Moral Stories in Hindi

अपने आजू-बाजू बैठे दो अजनबी यात्रियों के बीच बैठी सुबह की पहली फ्लाइट से देहरादून जाती रोहिणी की आंँखों के सामने लगभग पांँच वर्ष पहले की वह घटना चलचित्र की तरह पुनर्जीवित हो उठी…  बच्चों के स्कूल में गर्मी की छुट्टियां थी और उसी दौरान किसी जान-पहचान वाले की ओर से टेलीफोन पर अपने पिता … Read more

तिरस्कार कब तक – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

दुर्गा प्रसाद शहर के जाने-माने वकील थे। उनकी एकलौती बहन कमला की शादी एक बड़े पद पर आसीन व्यक्ति रमाकांत जी के साथ  बड़ी धूमधाम से हुई थी ।बहन की शादी में देर हो जाने की वजह से उनकी उम्र ज्यादा हो गई थी। जिसकी वजह से रमाकांत जो विधुर थे उनके साथ विवाह हुआ … Read more

तुम्हारे हिस्से का प्यार – पूनम भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

70 वर्षीय बद्री प्रसाद अभी पौधो को पानी दे रहे थे कि काम वाली बाई आ गई। बाऊजी बर्तन खाली कर दीजिए । हां हां कहते हुए बद्री प्रसाद जी ने रसोई में आकर बर्तन खाली कर  शांता बाई को दिए। तभी उन्होंने दूध और सब्जी बाहर पड़ी देखी.. ओह लगता साक्षी इन्हें फ्रिज में … Read more

अब तो  पड़ जाएगी ना तुम्हारे कलेजे में ठंडक – प्रतिमा श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

दिन भर की चिक-चिक से परेशान हो गई थी रमा जी….बाप – बेटे में ऐसे झगड़े होते जैसे दो छोटे बच्चों में खिलौने को लेकर। पिता पंचानबे साल के थे लेकिन बहुत फिट फाट। अपने काम स्वयं कर लेते थे और बेटा सत्तर साल का जिसको थोड़ी तकलीफ़ रहती थी सेहत में। पिता जी शारदा … Read more

मेरी गुड़िया – निर्मला अग्निहोत्री : Moral Stories in Hindi

नन्हे नन्हे कदमों से आंगन में चलती            मेरी गुड़िया नन्हे हाथों से मेरी उंगली थामे             मेरी गुड़िया टेबल पर डरती सहमति सी मेरी ओर देखे              मेरी गुड़िया  कंधे पर हाथ रखकर खेलती कूदती              मेरी गुड़िया गाड़ी पर कमर कस कर पकड़े बैठने वाली               मेरी गुड़िया धीरे-धीरे बड़ी हो पढ़ लिख कर आगे बढ़ती                मेरी गुड़िया … Read more

तिरस्कार कब तक? – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

सुबह का समय था। रसोई में बर्तनों की खनक, गैस पर उबलती चाय, और बाहर से आती बच्चों की चहल-पहल… सब कुछ एक व्यवस्थित ग़ुलामी जैसा था। सीमा रसोई में झुकी हुई थी, हाथ रोटियों में, कान सास की आवाज़ में और मन… मन कहीं गुम था। श्रवण कमरे से बाहर आया। उसके हाथ में … Read more

प्रवंचना – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

सुरभि….! कैसी हो बेटा। अब पहले से बेहतर हूंँ मम्मा..!ओ मेरी राजदुलारी…! कहते हुए एकता ने सुरभि को गले से लगा लिया। एकता कल शाम का वह हादसा बिल्कुल भूल नहीं पा रही थी, उसके जेहन में वह घटनाक्रम चलचित्र बनकर उभर रहे थे।  उसे सबसे ज्यादा अपनी बेटी सुरभि की फिकर थी। कहीं इस … Read more

एक बहू की चुप्पी और एक बेटी की पुकार – सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

गाँव की गलियों में, एक आवाज़ गूंज रही थी — “अब तो ठंडक मिल गई न तुम्हारे कलेजे को!” ये शब्द न कोई गाली थे, न कोई शोर… बल्कि वर्षों की चुप्पी में दबी एक चीख़ थी – जो एक बहू के नहीं, एक बेटी के मुँह से निकली थी। 🏡 कहानी आरंभ – एक … Read more

संकल्प – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

सप्तपदी का  मुहूर्त आधी रात के बाद ही था।परी बहुत थकी लग रही थी।नींद से बोझिल आंखें से जब भी मुझपर पड़तीं,वही सवाल पूछतीं।नज़रें चुराकर कहीं और देखने लगता। बार-बार घड़ी देख रहा था,तभी शशांक के पिता जी ने आकर कंधे पर हांथ रखकर कहा”संकल्प जी, घबराहट हो रही है?मैं समझ सकता हूं। मैंने भी … Read more

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