तिरस्कार कब तक? – सुदर्शन सचदेवा : Moral Stories in Hindi

काली है ! लेकिन संस्कारी है! गौरी होती तो , कितनी सुंदर दिखती ! शादी मुश्किल है- रंग थोडा़ हलका होता तो जल्दी बात बन जाती  | सुनते सुनते माया बड़ी हुई है , नाम से कोई नहीं पुकारती, बस कोई कोयल कोई काली कमली बुलाती हैं | पर वो हंसती है सिर्फ दिखाने के … Read more

अब तो पड़ जायेगी ‌न तुम्हारे कलेजे में ठंडक – निमीषा गोस्वामी : Moral Stories in Hindi

अरे सुनते हो तुम्हारी बहन अभी तक घर नहीं आई कुछ ध्यान है आपको या नहीं ।सुमन हाथ हिलाते हुए अपने पति धीरज से बोल रही थी।धीरज ने भी उसी के अंदाज में जवाब देते हुए कहा हां हां ध्यान है मुझे आ जाएगी प्राइवेट कंपनियां हैं ये खून चूसती है तब जाकर एक लाख … Read more

तिरस्कार – खुशी : Moral Stories in Hindi

अदिती एक सर्वगुण सम्पन्न लड़की थी परंतु उसमें एक ही ऐब था वो एक पैर से हल्का सा लंगड़ा कर चलती थी।उसके परिवार में माता कमला पिता शरद दो भाई रतन और मदन  उनकी पत्नियां मीता और शीला थी।अदिति घर के सारे काम करवाती फिर भी भाभिया खुश ना होती। उसकी उम्र 25 साल हो … Read more

खुशियां बांटने से बढ़ती हैं – पूनम सारस्वत : Moral Stories in Hindi

“खुशियां बांटने से बढ़ती हैं “ “छोटी छोटी बातों में खुशियों की तलाश किया करो, यूं हर बात में ,हर व्यक्ति में नुक्श निकालोगी तो जीवन को नरक बनते देर नहीं लगेगी,बेटा।” मां ने अरुणिमा को समझाते हुए कहा। पर मां मैं इस तरह के माहौल में नहीं जी सकती,अमोल एक कदम भी अपनी मां … Read more

दृश्य बदल गया – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मेम साब चोरी मैने नहीं की है।विश्वास कीजिए मुझ पर। इतने सालों की मेरी ईमानदारी पर बट्टा मत लगाईए ।कितनी थू थू होगी मेरी। आपको अगर मुझे नौकरी से निकालना ही है तो मैं चली जाऊंगी लेकिन आरोप लगाकर मत हटाइए।मुझे कहीं भी काम नहीं मिल पाएगा। नहीं मोहिनी मेरा बेटा दिलीप कह रहा है … Read more

“कांच की चूड़ियाँ” – सुरेश कुमार गौरव : Moral Stories in Hindi

प्रसंग: यह कहानी बिहार के एक छोटे गाँव धरमपुर की है, जहाँ आज भी बेटियों को “पराया धन” और “बोझ” माना जाता है। लेकिन एक लड़की और उसकी माँ मिलकर इस सोच को बदलने की कोशिश करती हैं। मुख्य पात्र: सुनीता: आठवीं कक्षा में पढ़ने वाली होशियार और स्वाभिमानी लड़की। मीना देवी: उसकी माँ, जिसने … Read more

बादल छँट गए – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

मम्मी !  आज  फिर परम की मम्मी  की पाँच- सात रिश्तेदार आकर  बैठ गई और मेरी पूरी दोपहर ख़राब कर दी । सोचा था कि लंच के बाद आराम से सोऊँगी पर मेरा ऐसा नसीब कहाँ?  ऐसी कौन  सी  रिश्तेदारी की औरतें आ  गई थी आज ? हद हो गई भई , शादी के दो … Read more

तिरस्कार कब तक – भारती यादव ‘मेधा’ : Moral Stories in Hindi

फूल मालाओं से लदी हुई  रागिनी को आज लड्डुओं से तौला जा रहा था, उसकी तारीफों के पुल बांधे जा रहे थे, उसके साथ फोटो खिंचवाने के लिए लोगों में धक्का मुक्की तक हो रही थी और रागिनी के भीगे हुए आँखों के कोर,शांत भाव से यह सब देख  रहे थे और मन कह रहा … Read more

अपने- पराये – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

आफिस से लौटकर प्रतीक फ़्रेश हुआ, एक बड़ा सा मग काफी बनाई , हीटर और टीवी चलाया और धप्प से रज़ाई में घुस कर फ़ायर स्टिक पर अपने मनपंसद प्रोग्राम का आंनद लेने लगा। सब कुछ कितना बदल गया है। कम्पयूटर, मोबाईल, वाई- फ़ाई आदि ने तो दुनिया ही बदल दी। अब टीवी को ही … Read more

तिरस्कार नहीं हम तो नोंक-झोंक में आनन्द खोजते हैं – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

अजी सुनती हो कहां हो..? पति राकेश की चिलचिलाती आवाज सुनकर रीता जी झल्लाकर बोली  कहां सुनती हूँ.. मैं तो बहरी हूँ वो भी जन्म से…थोड़ा झल्लाकर  हाँ बोलिए क्या बात है..? अरे तुम तो नाराज ही हो जाती हो मैंने ऐसा कब कहा..? जरा एक कप चाय मिलेगी पति राकेश की आवाज में बेहद … Read more

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