जीत महत्वाकांक्षा की – डॉ प्रिया गुप्ता : Moral Stories in Hindi

मां…… मां…. ! मैं आ गई। कहते हुए वामिका पसीने से लथपथ घर में घुसी।               मां दौड़ते हुए दरवाजे की तरफ भागी।अरे बेटा कहां थी?मैं तो बहुत चिंतित हो रही थी। वामिका ने कहा टैक्सी नहीं मिल रही थी। इसीलिए आने में देर हो गई।  मां बोली…चल जल्दी अंदर चल और पानी पी ले।       वामिका … Read more

“आत्मसम्मान की ठेस” – डा० विजय लक्ष्मी : Moral Stories in Hindi

“कब तक इसे झेलती रहोगी, राधा ?” कितना तुमसे कहा था पर तुमने सुना नहीं और करो अपने मन की देखो तुम्हारी बहन गीता कितने राजसी ठाठ बाट से रह रही है ।  कितना पैसा जेवर ,कपड़े, कोठी कार किस चीज की कमी है? राधा को हेय नजरों से देखते हुए बोलीं मानो वह उनकी … Read more

तिरस्कार कब तक – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

सुमेधा सुबह सुबह अपने घर पहुंच गयी थी ।रात भर की सफर से थक कर चूर हो गई थी ।घर में कुछ सामान तो पहले से था लेकिन दूध लाना पड़ेगा।चाय पीने की आदत है तो जुगाड़ करने के लिए जुट गयी ।बगल में ही गाय का खटाल था।जाकर दूध लाना है ।दूध लाकर चाय … Read more

अब तो पड़ गई ना कलेजे में ठंडक – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

आधी रात को सुरेश जी की तबियत बिगड़ी,सीने में दर्द,घबराहट,बेचैनी,रुकती सासें! उन्होंने बहुत कोशिश कर पास लेटी सुधा को बड़ी मुश्किल सेआवाज दी ! जब तक सुधा समझती कि आखिर हुआ क्या?सुरेश जी उसे और अपने दस साल के बेटे मयंक और आठ साल की बेटी नैना को बेसहारा छोड़कर इस दुनिया से चले गए!  … Read more

जरूरत – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू : Moral Stories in Hindi

बेटे के साथ अनजान लड़की को दरवाजे पर खड़ा देख मेरे तो होश उड़े गए  मन तमाम शंकाओं से भर गया फिर भी संयत रखते हुए  औपचारिकता वश पूछा ही लिया ये कौन है ,इस पर बेटे ने कहा चलो भीतर तो चलो बताता हूं कि यही दरवाजे पर ही खड़े खड़े सब बता दूं। … Read more

मैं देवर जी की शादी अपनी बहन से करवा कर रहूंगी !! – स्वाती जैन : Moral Stories in Hindi

राही आज बहुत खुश थी , आखिरकार वह पल आ ही गया था जिसका उसे कब से इंतजार था , वह तो कब से चाहती थी कि उसकी सगी बहन राशि ही उसकी सगी देवरानी भी बन जाए मगर ससुराल में सास ससुर के सामने अपने मन की बात लाने में उसे समय लग गया … Read more

एनीवर्सरी – अमिता कुचया : Moral Stories in Hindi

कौशल्या जी की पचासवीं वर्षगांठ मनाने की तैयारी जोरो शोरो से चल रही थी। दीप्ति के पास दो दिन पहले फोन आया था।कि मम्मी की पचासवीं वर्षगांठ है फोन पर बात करते हुए निकिता भाभी ने बोला था। दीदी सबको बोल दीजिये और पापा भी जीजा जी से बात कर लेंगे। यह सब सुनकर दीप्ति … Read more

प्रतिस्पर्धा से परे – डॉ० मनीषा भारद्वाज : Moral Stories in Hindi

रजत और आदित्य। नामों में तो सामंजस्य था, पर ज़िंदगी में सिर्फ प्रतिस्पर्धा थी। बचपन के दोस्त कब एक-दूसरे के सबसे कटु प्रतिद्वंद्वी बन गए, पता ही नहीं चला। स्कूल में अंकों की दौड़, कॉलेज में कैंपस प्लेसमेंट की जंग, और फिर कॉर्पोरेट जगत में पदोन्नति के लिए छीना-झपटी। रजत हमेशा खुद को दूसरे स्थान … Read more

दुनियाँदारी – रंजना डोगरा : Moral Stories in Hindi

सहसा एक चीख सी निकली थी ख़ुशी की माँ के मुख से उस दिन, शायद पहली बार. काश पहले कभी मुँह खोला होता चित्रा ने, चित्रा शर्मा, ख़ुशी शर्मा की माँ |    अभी कुछ समय पहले की ही बात है जब चित्रा शर्मा और अनिल शर्मा जी ने अपनी बेटी ख़ुशी का ब्याह बड़ी धूम … Read more

लाड प्यार की भी एक सीमा होती है – विमला गुगलानी : Moral Stories in Hindi

 इतवार को घर में सब  देर से उठते है तो निशा भी कुछ देर बिस्तर पर पड़ी रही, परंतु नींद तो उसे आ नहीं रही थी, उठ कर बैठ गई। पतिदेव मानव  एक्सियन के पद पर थे, किसी बात की कमी नहीं थी। इकलौता बेटा आर्यन मां बाप की आंखों का तारा,  पढ़ रहा था। … Read more

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