तिरस्कार कब तक – कुमुद मोहन : Moral Stories in Hindi

“लो आ गई मनहूस! नीमा की सौतेली मां शीला आँखे तरेर कर बोली!उनके पास बैठी सौतेली बहन सीमा दुपट्टे से मुंह ढांपकर खी खी कर हंसी उड़ाती बोली” भगवान जाने आज खाना नसीब होगा या नहीं,मनहूस की शक्ल जो देख ली”! नीमा के घर में घुसते ही मां बेटी जहरीले व्यंग बाणों से नीमा का … Read more

 सपने कभी सच नहीं हो सकते, -हेमलता गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

कहीं नहीं जाऊंगी.. मैंने भी फैसला कर लिया है जब तक जिऊंगी इस घर में रहूंगी और तुम सब की छाती पर मूंग दलूंगी, देख लेना आज तक तुमने जो मेरे साथ किया है उन सबका गिन कर बदला लूंगी, आखिर तिरस्कार कब तक सहू, क्या मेरे तिरस्कार सहने की कुछ सीमा है? 15 साल … Read more

मायका का सम्मान – शुभ्रा मिश्रा   : Moral Stories in Hindi

बहू को रसोई घर मे देखकर वंदना जी ने कहा बहू तुम उठ गईं?सुनो बहू आज रात मैंने विजया के ससुराल वालो को खाने पर बुलाया है। तो ऐसा करना कि खाने मे मटर पनीर, सत्तू की कचौड़ी, खीर सलाद आदि बना लेना। मिठाई मैने विजय से लाने के लिए कह दिया है। हाँ और … Read more

मैं मां का तिरस्कार नहीं सहूंगी….. -अर्चना खण्डेलवाल  : Moral Stories in Hindi

परिधि…….आलोक ने तेजी से आवाज लगाई, तो परिधि अंदर तक हिल गई, और दौड़कर कमरे में पहुंचीं… ये क्या हैं?  तुमने मेरी शर्ट को प्रेस नहीं किया और मुझे आज यही शर्ट पहनकर जाने का मन है। लेकिन आप तो हर शुक्रवार को ऑफिस टी-शर्ट पहनकर जाते हो, इसलिए मैंने सोचा कि कल प्रेस कर … Read more

पुस्तैनी घर – कंचन श्रीवास्तव आरज़ू  : Moral Stories in Hindi

ऐ जी सुनों ना चलो चलते है छोटे बेटे बहू के घर ,इतना बुलाया पर हम लोग जा नही पाये।अब तो ईश्वर की कृपया से बड़ी बहू ठीक ठाक है , कहते हुए सुबह का नाश्ता ‘ छाछ का गिलास ‘  पकड़ाते हुए रन्नो बगल में रखी मचिया को खीच कर बैठ गई। इस पर … Read more

अब तो पड़ जाएगी ना तुम्हारी कलेजे में ठंडक” – प्रीती श्रीवास्तवा : Moral Stories in Hindi

रमा, सूरज की पत्नी, एक सीधी-सादी, घरेलू और पारंपरिक स्त्री थी। उसे रसोई, पूजा-पाठ, और घर की जिम्मेदारियों में ही सुकून मिलता था। वो सबका ख्याल रखती थी, पर बहुत चुपचाप और बिना दिखावे के। सीमा, चंदन की पत्नी, शहर से पढ़ी-लिखी, तेज़-तर्रार और आत्मविश्वासी लड़की थी। उसने एमए किया था, और कभी-कभी ट्यूशन भी … Read more

  मोल भाव –  उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

   आज सुबह उनकी गृह सहायिका बुधिया ने अपने दाएँ हाथ में एक लिफाफा लटकाए हुए प्रसन्नता से अत्यंत चहकते हुए घर में प्रवेश किया, ‘बीबी जी! देखिए ! आज मैं आप लोगों के लिए थोड़े से घीया कद्दू लेकर आई हूँ। बिल्कुल ताजे और नरम हैं। मैंने कुछ देर पहले ही उतारे हैं। असल में … Read more

तिरस्कार कब तक? – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

घर के सामने वाले पार्क में भावना जी अपनी उम्र की ही कुछ महिलाओं के साथ बैठकर बतिया रही थी। सच बात है बुढ़ापा है ही ऐसी चीज और सोने पर सुहागा तब जबकि पति भी साथ में ना हो और बच्चों पर निर्भरता आ जाए। रानू माता जी सुबह से ही बहु ,बेटा, पोता, … Read more

तिरस्कार कब तक – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

“आज फ़िर तुमने ये गँवारों जैसे कपड़े पहन लिए हैं!आख़िर तुम्हें कब अक्ल आएगी या फ़िर तुम ओरतों की अक्ल होती ही घुटनों में है!” विनीत हमेशा की तरह मीता को उलाहना दे रहा था ।  विनीत मीता की किसी भी बात की प्रशंसा न करता और ऊपर से उसके हर काम में कमी निकालता … Read more

तिरस्कार कब तक – सीमा सिंघी : Moral Stories in Hindi

रजत और मनीष दोनों ने साथ साथ ही स्कूल से कॉलेज तक की पढ़ाई पूरी की । रजत के घर में ज्यादा सुविधा न होने की वजह से उसने आगे की पढ़ाई औरंगाबाद रहकर ही जारी रखी मगर मनीष का घर हर तरह से संपन्न होने की वजह से वह आगे की पढ़ाई के लिए … Read more

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