फैसला —  संध्या त्रिपाठी: Moral Stories in Hindi

    बात उन दिनों की है मानसी एक सशक्त सयुंक्त परिवार का हिस्सा हुआ करती थी, संयुक्त परिवार की मिशाल के रूप में उसके परिवार का नाम लिया जाता था….!! सुंदर, सुशील और सबसे बड़ी बात सुलझी हुई व्यक्तित्व की मालकिन मानसी…. मझली बहू के रूप में इस सशक्त परिवार की हिस्सा बनकर आई थी…! सासू … Read more

मुखौटे – करुणा मलिक: Moral Stories in Hindi

कई दिन से रेशमा का मन उदास था । पिछली गली में रहने वाली उसकी छोटी बहन राखी बीमार थी । रेशमा को अकेले जूता  फ़ैक्ट्री में जाना बिल्कुल अच्छा नहीं लगता था पर क्या करे ? मज़दूर अगर मज़दूरी पर नहीं जाएगा तो शाम को खाएगा क्या ? बस यही सोचकर वह काम पर … Read more

मेरा पति कमा रहा है, मै क्यों समझौता करूं ? – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

बहू, फिर से शॉपिंग !!अभी दस दिन पहले ही तो तुम गई थी, और ये सेल का इतना सामान फिर से ले आई इनमें पैसे बर्बाद मत किया करो, भारती जी ने समीक्षा को टोका तो उसका पारा चढ़ गया। मम्मी जी, मेरा घर है, मेरा पति कमा रहा है, आपको क्या तकलीफ़ हो रही … Read more

पछतावा : संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

आज विवेक बहुत गुस्से मे था उसे खुद नही समझ आ रहा था वो गुस्से मे क्या कर जाये । पत्नी की अय्याशी के ढेरों किस्से सुने थे उसने पर कानो सुनी बातों पर विश्वास करने वालों मे विवेक नही था उसने हमेशा सुनी सुनाई बातों को एक कान से सुन दूसरे से निकाल दिया … Read more

बच्चा बूढ़ा एक समान… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

…”अम्मा आज सुबह से शाम होने को आई… आप कुछ खाती क्यों नहीं… कुछ तो खा लीजिए… ऐसे तो बीमार पड़ी रहती हैं… अब क्या इरादा है… अम्मा… सुनती हो…कुछ तकलीफ़ हो तो वो भी बताएंगी तब ना जानूं…!” अम्मा ने आंचल आंखों पर डाल लिया… कुछ ना बोली… शाम को राहुल घर आया तो … Read more

काला चिठ्ठा – डोली पाठक : Moral Stories in Hindi

मनोरमा मैंने तुम्हें मना किया था ना कि छोटे के विवाह में सविता बुआ को मत बुलाना…… शीला जी ने अपनी बहू मनोरमा को फटकारते हुए कहा। परंतु मां जी….. सविता बुआ क्यों नहीं आ सकतीं हमारे यहां…. ये मायका है उनका…. उन्हें पूरा हक है अपने घर आने का…. मनोरमा ने कहा। मनोरमा जब … Read more

हमारा बुरा वक्त हमारे जीवन को नई दिशा दे जाता है – लक्ष्मी कानोडिया : Moral Stories in Hindi

सरिता पुणे के एक मध्यमवर्गीय परिवार से थी। पढ़ाई में अव्वल, सुंदर और दिल से सरल। उसकी जिंदगी का सपना बहुत साधारण था — एक छोटा-सा घर, एक प्यार करने वाला पति और हँसी-खुशी भरा परिवार। शादी के शुरुआती दिन उसकी उम्मीदों जैसे ही थे। अमित, उसका पति, एक बड़ी कंपनी में नौकरी करता था। … Read more

हम सब साथ हैं – लक्ष्मी कानोडिया : Moral Stories in Hindi

आगरा की व्यस्त गलियों के बीच, राजा मंडी में एक तीन मंज़िला पुराना लेकिन मजबूत घर था, जहां शर्मा परिवार कई पीढ़ियों से साथ रह रहा था। घर की सबसे ऊपरी मंज़िल पर दादी-जी रहती थीं—सफेद बाल, मुस्कुराती आँखें और कहानियों का खजाना। बीच वाली मंज़िल पर रमेश शर्मा, उनकी पत्नी काव्या और दो बच्चे—ध्रुव … Read more

समझौता अब नहीं! – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

“मैं भी इन गुब्बारों की तरह मुक्त गगन में उड़ना चाहती थी पर चाहकर भी नहीं कर पाई।जिम्मेदारियों की बेड़ियों ने ऐसा जकड़ रखा है कि आसमान तो बहुत दूर घर से भी बाहर निकलना  हो तो सोचना पड़ता था “काश! मैं भी एक गुब्बारा होती, कोई मुझे अपने हाथों से आजाद कर देता और … Read more

समझौता अब नहीं – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

मीता दुबली पतली ‘नाजुक सी प्यारी लड़की ।पढ़ाई मे ठीक ठाक ।पिता को बहुत मन था बेटी डाक्टर बने।लेकिन पैसे की कमी और हालात के चलते यह सपना पूरा नहीं हो सका। ग्रेजुएट हो गई तो शादी की तैयारी होने लगी ।बहुत जगह बात चलती और फिर खत्म हो जाती ।कहीं पैसे की मांग ‘कहीं … Read more

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