रणचंडी – चंचल जैन : Moral Stories in Hindi
दीवाली का त्योहार था। घर द्वार वंदनवार सजे थे। रंगबिरंगी दीपमालाओं से घर रोशन हुए थे। आँगन में रंगोली सजायी थी। नये नये वस्त्र पहनकर बच्चें इतरा रहे थे। रोषणाई की जगमग, पटाखों की आवाज, आसपास से आती मिठाई की खुशबू। वैदेही और विशाल टुकुर-टुकुर देख रहे थे। ” मां, हम भी मनाये दीवाली। देखो … Read more