नई कार – चांदनी खटवानी : Moral Stories in Hindi

क्या बात है आदि.. पिछले कई दिनों से मानवी नहीं आई अपने घर! मुझे क्या पता.. कहीं बाहर वाहर गई होगी.. अच्छा! पर तुम्हें बिना बताए.. मैंने तुरंत दूसरा सवाल दागा! अब थोड़ा वह झल्ला गया.. मैं क्या उसका सेक्रेटरी हूं.. जो उसके एक एक दिन का हिसाब किताब रखता फिरुं! यह कैसी बेवकूफी भरी … Read more

बड़ी बहू – ऋतु यादव : Moral Stories in Hindi

सब लोग जा चुके थे,आज तेरहवीं भी हो गई थी।घर एकदम सूना था, हरिया काका बैठे बड़ी बहू की तस्वीर के सामने बैठे,खो गए यादों में। करीब 13 वर्ष के थे ,वो जब स्कूल में मास्टरजी पढ़ाते पढ़ाते उनकी कक्षा में गिर गए थे।कक्षा के बच्चे और लोगों को बुलाकर लाए,तो पता चला मास्टरजी नहीं … Read more

बड़ी बहु से बड़ी दादी तक का सफर – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

ऐसे ही नहीं बन जाती है कोई घर की बड़ी बहु। वर्षो के त्याग और तपस्या से प्राप्त होता है यह दर्जा। मेरे घर में बड़ी दादी एक रिश्ता नहीं रहकर एक नाम बन गया था। मैंने बचपन से सभी को उन्हें बड़ी दादी ही कहते सुना था। मै तो यह सोच भी नहीं सकता … Read more

बड़ी बहू – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

“तुम बड़ी हो तो क्या छोटों पर रौब गाँठोगी,अपने देवर-ननदों और परिवार  का ध्यान रखा करो ।बड़ी बहू का यही कर्तव्य होता है ।” सास सुचित्रा देवी अक्सर प्रमिला को सीख देती रहतीं । “बड़ों को भी तभी आदर मिलता है जब वे छोटों को स्नेह देते हैं ।” पति भुवनेश भी अक्सर प्रमिला से … Read more

विस्फोट – परमादत्त झा : Moral Stories in Hindi

———– आज रामेश्वर मिश्र ने ऐसा विस्फोट कर दिया कि बेटे बहू हाथ पैर जोड़ने लगे।मगर उनका फैसला अडिग रहा। हुआ यह कि आज सुबह सैर करके जैसे ही रामेश्वर जी आये तो बहू चिल्लाने लगी -लो आ गया बूढ़ा -अभी पोंछा लगाया है – तो-वे सोफे पर बैठते बोले। बाबा-अब आप ऊपर वाले कमरे … Read more

अस्तित्व – संजय मृदुल अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

मुझे किसी से कोई फर्क नही पड़ता। तुम हो या और कोई, समझे।  जी, मैंने सर झुकाए हुए कहा और अपने शरीर को धकेलते हुए कमरे से बाहर ले आई। पलकें नम हो रही थी और ऐसा लग रहा था चीख चीख कर रोऊँ।  क्यों ऐसा होता है कि आप किसी को खुद से ज्यादा … Read more

लव मैरिज वाली बहु – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

सरोज की जब आंखें खुली तो उसने अपने को अस्पताल के बेड पर पाया। धीरे-धीरे उसे सब कुछ याद आने लगा। घर में अचनाक उसकी तबियत खराब हो रही थी..सीने में दर्द सा हो रहा था पर घर में कोई नहीं था।दोनों बेटे ऑफिस गए हुए थे।छोटी बहु अपनी किट्टी पार्टी में गई हुई थी।बड़ी … Read more

आगाज़ – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

 पापा की ,आंगन से आती हुई, झल्लाहट-भरी आवाज सुनकर अचानक कविता की नींद टूट गई , “तुमने मुझसे पूछे बिना बाई की पगार कैसे बढ़ा दी ? सर्विस से मेरी रिटायरमेंट के बाद  क्या तुम मुझे घर से भी रिटायर करने की तैयारी में जुट गई हो ? ” “नहीं जी, ऐसा नहीं है। असल … Read more

बा अदब! बा मुलाहिजा… – उमा महाजन : Moral Stories in Hindi

   सब्जीवाले की आवाज सुनकर कविता, रोमा और निम्मी अपने-अपने घरों से बाहर निकल आईं, ‘क्या बात भैया ? दो दिन आए नहीं, सब ठीक तो है न ?’ कविता ने पूछा।       ‌’हां जी मैडम ! बस पास के गांव में अपने माता-पिता से मिलने चला गया था, लेकिन उस दिन आपने मशरूम लाने को कहा … Read more

उद्घघोष विश्वास का – पूनम भटनागर : Moral Stories in Hindi

जिज्ञास मूर्ति को आकार देते अपने पिता से आपस में बात भी करते जाते, क्यों पिता  जी अगर हम इस मूर्ति को आकार देने में सफल हो पाए तो हमारा यह पहला आर्डर आने की बात बननी शुरू हो पाएगी। अभी कहां, जिज्ञासा पहले यह मूर्ति इस लायक बने कि हम इसे प्रदर्शनी के लिए … Read more

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