आत्मसम्मान – मधु वशिष्ठ : Moral Stories in Hindi

——————– बेटा यह फैसला मैंने अपने आत्म सम्मान के लिए लिया है।  मेरा संबल तुम्हारे पापा ही है। आज भी उनकी पेंशन आती है और मेरी बीमारी पर मेरा इलाज आराम से हो जाता है । क्या वृद्ध होने पर माता-पिता की बच्चों पर निर्भरता की कीमत उनका आत्मसम्मान है? क्यों वृद्धजन अपना आत्मसम्मान बनाए … Read more

प्रेम की गांठ – दिक्षा बागदरे : Moral Stories in Hindi

भागीरथी जी थी ठेठ देसी गांव की महिला थीं। जन्म से लेकर ब्याह तक वह गांव में ही पली-बढ़ी। खेती-बाड़ी, गाय दुहना, लिपना-पोतना, चूल्हे पर खाना बनाना आदि काम कई वर्षों तक, उनकी दिनचर्या का हिस्सा रहे हैं। यूं तो उन्हें शहर में बसे वर्षों हो गए।   हर काम में होशियार थी। शहरी जिंदगी … Read more

वटवृक्ष – रवीन्द्र कान्त त्यागी : Moral Stories in Hindi

बरसों पुरानी बात है कि मैं ट्रेन से किसी काम से काशी जा रहा था। जब मैं अपनी रिजर्व सीट पर पहुंचा तो मेरी सीट पर एक अत्यंत साधारण कपड़े पहने झुकी सी कमर वाले साँवले से उम्रदराज व्यक्ति बैठे थे। उनके कपड़े सिलवट भरे थे और उनकी बेतरतीब सी दाढ़ी बढ़ी हुई थी। मैंने … Read more

एक फैसला आत्म सम्मान के लिए – उमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

आज फिर आफिस में त्याग पत्र दे आया ।घर पहुंचा तो किरण ने सवाल किया “इतनी जल्दी आ गये सुबोध, बात क्या है “?”हाँ आज फिर नौकरी छोड़ दिया ” आत्म सम्मान के लिए ही यह फैसला किया है ।नहीं बेच सकता मै अपना आत्म सम्मान ।” पर हुआ क्या “? बताओ भी? चीफ मैनेजर … Read more

बेटी बहू में भेद क्यों – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ बहू सुनो इस बार तनीषा बच्चों की वार्षिक परीक्षा के बाद यहाँ आने वाली है … तो उनके लिए जरा कमरा तैयार करवा देना और उस कमरे के वॉर्डरोब में जरा जगह खाली कर देना वो लोग पन्द्रह दिन के लिए यहाँ रहने आ रहे हैं तो उन्हें किसी तरह की परेशानी ना हो … Read more

सम्मान की चमक – भगवती : Moral Stories in Hindi

सुष्मिता आज बहुत खुश थी। आज रिशी के साथ उसकी सगाई होने वाली थी। रिशी एक संपन्न परिवार का सुदर्शन युवक था। उसके भावी ससुराल में सास ससुर के अलावा रिशी की एक छोटी बहन रेखा थी। सगाई संपन्न हो चुकी थी। तीन माह बाद विवाह की तारीख तय हुई थी। इन तीन महीनों में … Read more

बड़ी बहू – विनय मोहन शर्मा : Moral Stories in Hindi

   आज सुमित्रा के देवर राहुल का तिलक समारोह है। हमारी कहानी की पात्र बड़ी बहू यानि सुमित्रा को पल भर के लिए भी फुरसत नहीं थी। तिलक समारोह का कार्यक्रम  निखिल माथुर जी ने अपने ही घर पर रखा था। अरे बहू! कहां हो, देखो अभी तक नाश्ता भी तैयार नहीं है। लड़की और उसके … Read more

सिर्फ सोच का फर्क – लतिका पल्लवी : Moral Stories in Hindi

 सुबह -सुबह  कॉलबेल की आवाज सुनकर सरला जी भूनभूनाते हुए दरवाजा खोलने के लिए उठी। पता नहीं कौन सुबह – सुबह  आ धमका मेरी नींद खराब करने के लिए  दरवाज़े पर बहु के माता – पिता  को देख कर उनका दिमाग़ जो सुबह जगने के कारण पहले से ही खराब हो रहा था और ज्यादा … Read more

पैरों की धूल समझना – हेमलता श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

राहुल पिछले काफी टाइम से उदास और परेशान रहने लगा था मां ने एक दिन पूछा भी की क्या बात है बेटा तबीयत नहीं ठीक है? ऑफिस में कोई परेशानी है? नहीं मां ऐसी कोई बात नहीं है,  राहुल हर बार मना कर देता था कि नहीं कोई परेशानी नहीं है वह कैसे किसी को … Read more

फैसला – खुशी : Moral Stories in Hindi

दीनानाथ जी एक फैक्ट्री में मुनीम थे। पत्नी गायत्री २ बेटे  निर्मल और विमल और बेटी सुनीता और ऐसा परिवार था।ज्यादा रहीसी तो नहीं पर घर में सब खा पीकर खुश थे।निर्मल का मन पढ़ाई में कम लगता था इसलिए दसवीं के बाद पढ़ाई छोड़ वो बिजली का काम सीखने लगा।विमल पढ़ने में अच्छा था … Read more

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