रिश्तों में अहंकार लाता अलगाव – रश्मि प्रकाश  : Moral Stories in Hindi

काव्या अभी बच्चों को पढ़ा कर क्लास से निकली ही थी कि उसके पति का फोन आ गया… अरे ये आज कैसे फोन कर दिए सोचते हुए उसने जैसे ही हैलो कहा… उसे सुन कर रोना आ गया …उसे पति की बात पर यकीन ही नहीं हो रहा था अपनी तसल्ली के लिए खुद को … Read more

ढलती सांसें – कविता झा ‘अविका’ : Moral Stories in Hindi

अपनी अपनी सीट पर बैठे सभी श्रोता उठकर ताली बजाने लगे और पूरा हॉल तालियों से गूंज उठा जब सुहासिनी का गीत खत्म हुआ और उसने एक गहरी सांस भरी। उसकी सांसें किसी समय भी उसका साथ छोड़ सकती है इसका इल्म है उसे पर अंतिम सांस तक कुछ कर गुजरने की इच्छा और उसका … Read more

*सबक* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 मनोज पिछले दो दिनों से ही मानसिक पीड़ा से ग्रस्त था,क्या करे कैसे करे,कोई राह मिल ही नही रही थी।घर से उसे वैराग्य सा हो गया था,उसका मन कर रहा था,वह कहीं एकांत में सदैव के लिये चला जाये, फिर अपने बच्चे का ख्याल आता तो कदम रुक जाते।मोनिका पत्नी होते हुए भी उसको समझने … Read more

बेटों का फरेब – शिव कुमारी शुक्ला  : Moral Stories in Hindi

रामप्रसाद जी तेल के व्यवसायसी थे और उनका अच्छा खासा जमा-जमाया कारोबार था वे अपनी पत्नी कविता एवं दोनों बेटों अरूण एवं वरूण के साथ सुखी जीवन व्यतीत कर रहे थे। दोनों बेटे मानो उनकी दोनों आंखें थे, जिनमें न जाने कितने सुखद सपने संजोए हुए थे। बेटों को लेकर न जाने क्या क्या सपने … Read more

रिश्ते का मान – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

आज प्रताप सिंह जी अकेले पार्क में पड़ी बेंच पर अकेले बैठे थे । अचानक एक ही दिन में बूढ़े नज़र आने लगे थे । आँखों पर लगाया चश्मा उतारा , साथ में लाई बोतल से दो घूँट पानी पिया और एक लंबी गहरी साँस के साथ पीछे सिर टिकाकर आँखें मूँद लीं ।  —- … Read more

ढलती सांँझ – डॉ बीना कुण्डलिया  : Moral Stories in Hindi

सुबह होती है शाम होती है…. उम्र यूं ही तमाम होती है…किसी तीर्थ यात्री के मोबाइल से आती गाने की आवाज को सुनकर घाट के एक कोने में टैंट के नीचे बैठी अम्बा बाईजी बुदबुदाती है…सच ही तो है कितना सुन्दर लिखा किसी ने इंसान की जिंदगी “ढलती साँझ” सी ही है…और खुद उसकी अपनी … Read more

सांसों की डोर -शिव कुमारी शुक्ला  : Moral Stories in Hindi

जोगाराम एवं देवकी दोनों पलंग पर लेटे एक दूसरे को निहार रहे थे दुख और उम्र के कारण कैसे तो उनके चेहरे कुम्हला गये थे। उम्र के निशान उनके शरीर पर अपनी छाप छोड़ रहे थे। तभी जोगाराम बोला देवकी जब तू व्याह कर आई थी कैसी गोरी चिट्टी, छुईमुई सी थी। कितनी सुन्दर थी,मेरा … Read more

नई रोशनी –  सुनीता माथुर   : Moral Stories in Hindi

सुष्मिता को अपनी जिंदगी से निराशा होने लगी थी वह हमेशा अपनी बहू से बोलती मेरी जिंदगी तो “ढलती सांझ” है उसकी बहू प्रियांशी दिल की बहुत अच्छी थी अभी 2 साल पहले ही सुष्मिता और आकाश ने अपने बेटे समीर की शादी की थी बेटे की शादी के 1 साल बाद ही उनकी एक … Read more

दूरदर्शिता – सीमा प्रियदर्शिनी सहाय  : Moral Stories in Hindi

शाम के साढ़े सात बजे रहे थे,दिवाकर जी अभी तक घर नहीं लौटे थे। “न जाने कितना काम करने में मन लगता  है इन्हें! जिंदगी भर तो काम करते ही रहे, अब रिटायरमेंट के बाद भी चैन नहीं!”  अनुराधा जी बड़बड़ाते हुए बार-बार ड्राइंग रूम से बाहर निकल सड़क पर झांकती और फिर अंदर लौट … Read more

ढलती साँझ – संगीता अग्रवाल  : Moral Stories in Hindi

” नीता …नीता !” माधव ने चीख कर पत्नी को पुकारा । ” क्या हुआ , आप इतने व्यथित क्यो हो ?” नीता जल्दी से रसोई से बाहर आई और पूछा । ” सब बंद कर दो कोई खाना नही बनेगा और फटाफट कुछ कपड़े बैग मे डालो हमें अभी निकलना है !” अश्रुपूर्ण आँखों … Read more

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