एक थी कैटरीना – सीमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

यह भोपाल शहर की दोपहरी थी- ढ़लती हुई। सुपर्णा स्टेशन से बाहर निकल आई। रोड पर दिन का सूनापन पसरा है। सुपर्णा अपना छोटा सा बैग उठा कर सड़क पार कर गई। उसे युनिवर्सिटी ऑफिस जाना है, लेकिन इस भरी दोपहरी में उस ओर जाने वाली एक भी बस नजर नहीं आ रही है। मुसीबत … Read more

अति विश्वास भी ठीक नहीं – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” मालती..ज़रा अपनी बेटी पर ध्यान दो..सुना है, कल रात वो सात बजे घर लौटी थी… इतनी देर तक भला कौन-सा स्कूल खुला रहता है।कहीं ऐसा न हो कि तुम्हारी साख पर #बट्टा लग जाये और तुम देखती रह जाओ…। ” मालती अपनी बेटी काव्या को गेट तक छोड़ने के लिये जैसे ही निकली तो … Read more

क्या खोया क्या पाया – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

आज मैं अपने अतीत की गलियों में घूम रही थी। बचपन से लेकर आज साठ वर्ष की आयु तक का सफर चलचित्र की भांति मेरे मानस पटल से गुजर रहा था।आज मैं सोचने को मजबूर थी कि मैंने जीवन में क्या खोया क्या पाया अपने अंहकार के वशीभूत होकर। मैं एक साधारण मध्यमवर्गीय परिवार की … Read more

फोटू – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

अरी ओ जमुनिया इधर आ तो देख तो ये तेरी बिटिया लक्ष्मी की फोटू है ना… सड़क पर झाड़ू लगाती श्यामा ने बेंच पर पड़े अखबार पर उंगली रखकर कहा तो जमुनिया के हाथ झाड़ू पर थम गए। हां री ये तो मेरी लक्ष्मी की फोटू है!!लिखा क्या है काहे फोटू लगाए हैं पढ़ तो  … Read more

लालच से इज्जत पर बट्टा लगना तय है – डॉ बीना कुण्डलिया : Moral Stories in Hindi

नई- नई नौकरी आज रमन को ज्वाइन करना था। माता पिता ने आशीर्वाद दिया और कहा बेटा मन लगाकर ईमानदारी से कार्य करना दादा परदादा काफी इज्जतदार रहें तुम्हारे,उनकी प्रतिष्ठा पर कलंक लगना हमें बर्दाश्त नहीं होगा।  यद्यपि इस नौकरी के लिए काॅम्पीटिशन बहुत ज्यादा था मगर मेहनती होने के कारण रमन ने यूपीएससी परीक्षा … Read more

ज़िम्मेदारियों में गुम होते सपने – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

सुनंदा जी घर के सारे काम निपटवाने के बाद सहायिका कमला से चाय बनाकर लाने को  बोल कर बाहर बरामदे में आ रही हल्की धूप में जाकर बैठ गई तभी उनका मोबाइल बज उठा देखा तो ननद चेतना का कॉल है… चेहरे पर हल्की मुस्कान के साथ फ़ोन पर बातें करने लगी। हाल समाचार के … Read more

आग में घी डालना – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

रात का समय था ।ममता अपने बच्चों पति के साथ सो रही थी ।अचानक डोरवेल की आवाज आई ।ममता ने जा के दरवाज़ा खोला ,वो दंग रह गई ,बोली बुआ जी आप इतनी रात को ?क्या हुआ ,सब ठीक हैं ना? कुछ ठीक नहीं है ममता ,अब मैं यही रहूंगी ,कभी अपने ससुराल नहीं जाऊंगी … Read more

मूल्यांकन – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

दीदी! बड़े भाई का फ़ोन आया था… बाबूजी के श्राद्ध के दिन मुझे पहुँचने को कह रहे थे । आप तो जानती है कि अब मुझसे तो वहाँ रात में रुका नहीं जाता , बड़ी मुश्किल होती है और हवन सुबह आठ बजे का रखवाया है…. साढ़े सात बजे तक तो हम उठते ही है, … Read more

मैं अपने अहंकार में रिश्तों के महत्व को भूल गई थी – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

“बेटा, तुम कब तक आओगे अब तो घर से ही ऑफिस का काम करना होता है तो यहीं आ जाओ….मेरी तबियत भी इन दिनों ऐसी ही चल रही है तो मुझे भी मधु का सहारा हो जाएगा….कामवालियों का सहारा था तो अब वो भी नहीं आ पा रहीं….” “नहीं मां, हम नहीं आ पाएंगे क्योंकि … Read more

हरे कांच की चूड़ियां!! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

घर में मेहमानों की रेलमपेल मची थी। बाहर वाले कमरे में भीतर बरामदे से लेकर छत तक… सब जगह सुनीति अपनी ननद के घर उनकी पच्चीसवीं मैरिज एनिवर्सरी के अवसर पर आई थी… अपनी पति ,बच्चों और सासू मां सरला जी के साथ यूं तो ( सासू) मां साथ चलने को तैयार नहीं थी.. अभी … Read more

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