ढलती सांझ – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi

गर्मियों की दोपहर समय करीब तीन बजे का रहा होगा। मैंने दराती उठाई और खेतों की तरफ निकल पड़ा। गेहूं की फसल पक चुकी थी और खेत लहलहा रहे थे फसल बहुत अच्छी हुई थी इसबारऔर होती भी क्यों न आखिर हर कीटनाशक ,यूरिया की खाद भर भरकर डाला था। खेतों तक पहुंचते पैर तपने … Read more

आग में घी डालना – डाॅ संजु झा : Moral Stories in Hindi

दोपहर में अचानक से फोन की घंटी बजने से सुधा की नींद टूट जाती है।उधर से फोन पर उसका पति कमल कहता है -“सुधा! तैयार रहना। मैं जल्द आ जाऊॅंगा। पुस्तक मेला देखने प्रगति मैदान चलेंगे।”  “अच्छा” खुश होकर सुधा कहती हैं। सुधा मन-ही-मन सोचती है कि    अब फिर से  कमल मेरी भावनाओं की … Read more

आग में घी डालना – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

रमा ने जब से ससुराल में कदम रखा रसोई ही उसका कमरा हो गया था । वह सिर्फ़ रात को ही अपने कमरे में सोने जाती थी वह भी रात के ग्यारह बजे तक पूरे घर का काम ख़त्म करके। सुबह चार बजे से उठकर सासु माँ बैठ जाती थी और उसके कमरे का दरवाज़ा … Read more

वो सुबह कभी तो आएगी – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

राघव और रचना जब चालीस पैंतालीस उम्र के पड़ाव पर पहुँचते हैं तो रात के सोते समय भी वे दोनों प्यार भरी बातें नहीं करते हैं ।  राघव ने कहा — रचना गैस बंद किया है न अलार्म लगाया है कि नहीं कल  रवी और सुंदर को जल्दी उठना है ठीक है ।  रचना भी … Read more

ढलती सांझ – डा.शुभ्रा वार्ष्णेय : Moral Stories in Hindi

शहर की हलचल और भागदौड़ से भरी इस ज़िंदगी में समय जैसे पंख लगाकर उड़ता है। ऑफिस के लंबे घंटे, परिवार की जिम्मेदारियां और अपने सपनों के पीछे भागते इंसान को शायद ही यह अहसास होता है कि उसकी ज़िंदगी की घड़ी धीरे-धीरे ढल रही है।  यह कहानी एक ऐसे व्यक्ति, आदित्य मल्होत्रा की है, … Read more

पहाड़ों में कैद रूह – आशा झा सखी : Moral Stories in Hindi

ये जीवन भी अजब दास्तां है। कब क्या किसके साथ हो जाये क्या पता। साथ चलता साथी कब फिसल कर दूर हो जाये कुछ कहा नहीं जा सकता । ये जीवन भी एक पहाड़ की तरह है ,जिस पर चढ़ कर शिखर तक पहुंचना ही जीवन का उद्देश्य लगता है। सभी इसी भावना के साथ  … Read more

नया उगता सूरज – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 आज मास्टर जी का बिस्तर से उठने का मन ही नही कर रहा था,पूरा शरीर टूट सा रहा था।अंदर से लग रहा था बुखार आ गया है।वे लेटे रहे।सामान्यतः मास्टर जी सुबह जल्द ही उठ जाते हैं, पर आज सूरज चढ़े तक भी बिस्तर से उठ ही नही पाये।तभी रसोई घर से खटर पटर की … Read more

घर की इज्जत – सीमा प्रियदर्शनी सहाय : Moral Stories in Hindi

आलोक जी गुस्से से लाल हो रहे थे ।उनकी इकलौती बेटी आखिर इतना कुछ बोलने की हिम्मत कैसे कर सकती है कि उसे ऋषि पसंद है! आज सुबह जब उन्होंने अपने बेटी को अपनी पत्नी के साथ बातचीत करते हुए सुन लिया था। आयुषी को एक दो बार उन्होंने ऋषि के साथ देख लिया था। … Read more

घर की इज्जत – सीमा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

“पारस, घर की इज्जत के लिए तुझे सुमेधा का हाथ थामना होगा। यह कोई नई बात नहीं है, बल्कि पीढ़ियों से चली आ रही हमारे खानदान की परंपरा है।” पारस के पिता कृष्ण जी ने आदेशात्मक स्वर में उससे कहा। “हां पारस बेटा, इसमें न के लिए कोई स्थान नहीं है। तुझसे पूछा नहीं जा … Read more

दिखावे की जिंदगी – कविता झा ‘अविका’ : Moral Stories in Hindi

सुहानी जब ससुराल आई तो उसे ऐसा लगने लगा था जैसे उसके ससुराल वाले कुछ ज्यादा ही दिखावा करते हैं। कोई मेहमान उनके घर आता तो काजू बादाम के साथ साथ तरह तरह की मिठाईयां और फल उनके आगे परोसे जाते।  उन्होंने सुहानी के आने से कुछ समय पहले ही नया घर बनाया था और … Read more

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