ढलती सांझ – अमित रत्ता : Moral Stories in Hindi
गर्मियों की दोपहर समय करीब तीन बजे का रहा होगा। मैंने दराती उठाई और खेतों की तरफ निकल पड़ा। गेहूं की फसल पक चुकी थी और खेत लहलहा रहे थे फसल बहुत अच्छी हुई थी इसबारऔर होती भी क्यों न आखिर हर कीटनाशक ,यूरिया की खाद भर भरकर डाला था। खेतों तक पहुंचते पैर तपने … Read more