ढलती सांझ – शशि शर्मा : Moral Stories in Hindi

हरिद्वार – मायके, गर्मियों की छुट्टियाँ बिताने गुड़िया को लेकर आयी थी। खाना खाने के बाद गुड़िया को सुलाकर छत पर चली गयी। अँधेरा हो चुका था, छत पर टहल रही थी कि अचानक आवाज़ सुनाई दी – गुड्डू बेटे नीचे आ जा। नहीं नानी मैं नीचे नहीं आऊँगा, आप रोज़ कहती हो मम्मा आ … Read more

न्याय – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

आज कैसी सब्जी बनी है सर्वथा…?  मुंह बनाते हुए समीर ने कहा ….. होठ बिचका कर बिटिया अनन्या ने भी समर्थन किया ….!      देखो समीर , ….अब तो देश-विदेश सभी जगहो पर कार्य की गुणवत्ता के मद्देनजर , कार्य की अवधि कम करने की सोच रहे है….।       बस एक हम गृहणी के कार्यों के बारे … Read more

सबक ( अपने लिए खुद लड़ना पड़ता है ) – डॉ कंचन शुक्ला : Moral Stories in Hindi

काव्या जल्दी जल्दी रसोई का काम निपटाने में लगी हुई थी आज उसे अपनी सहेली के घर उसके गृहप्रवेश के कार्यक्रम में जाना था  काव्या ने रसोई का काम खत्म किया अपने माथे का पसीना  पोंछते हुए गहरी सांस ली वो थक गई थी आज रसोई में काम भी ज्यादा था उसका कहीं जाने का … Read more

ओपन जेल – सीमा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

सात-आठ साल पहले का किस्सा है जब समिधा अपने कॉलेज के अंतिम वर्ष में थी। NCC कैडेट के तौर पर उसे पर्वतारोहण प्रशिक्षण शिविर में भाग लेने का अवसर मिला। शिविर का आयोजन केरल राज्य के तिरूवनंतपुरम जिले के अंतर्गत आने वाले नेय्यार डैम क्षेत्र में किया गया था। प्रशिक्षण कार्यक्रम में एक दिन शैक्षिक … Read more

ढ़लती साॅंझ – डाॅ संजु झा : Moral Stories in Hindi

कमला जी की जिंदगी ढ़लती साॅंझ  बन गई है,जहाॅं से रात ही शुरू होनेवाली है।अपने बड़े से घर में एकाकी जीवन जीते हुए उनके मन में तरह-तरह के ख्याल आते रहते हैं। व्यक्ति की जिंदगी में बालपन सुबह की प्यारी धूप की तरह होती है,जहाॅं सब कुछ सुनहरी आभा से लिपटा हुआ महसूस होता है। … Read more

जीवन यात्रा… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

सबके चेहरों पर खुशी झलक रही थी… केवल एक को छोड़कर… वे खुश नहीं थे…  रामनरेश जी लाख मन को मनाने की कोशिश कर रहे थे कि सबकी खुशी के लिए खुश हो लूं… लेकिन नहीं हो पा रहे थे…  बेटी… दामाद… दोनों बेटे बहु… सब के बच्चे… पत्नी प्रभा… सभी तो थे… सभी खुश … Read more

नज़रिया – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

छवि जब से बड़ी बहन अरुणा की बेटी संजना की शादी से लौटी है,कुछ अन्यमनस्क दिख रही थी, कभी दर्पण के सामने अपने केश देखती तो कभी माथे की लकीरें…, उसको इस तरह देख विशाल जी से रहा ना गया पूछ बैठे,   “क्या बात है छवि… जब से संजना की शादी से लौटी हो, कुछ … Read more

घर की इज्जत – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

अरे साक्षी ये क्या हैं मैक्सी पहनकर आंटी के सामने आ गई घर की इज्जत का कुछ ख्याल है कि नहीं।अरे साक्षी छत पर क्यों उघाड़े सिर घूम रही हो इस पड़ोस के लोग देखेंगे तो क्या कहेंगे घर की कुछ इज्जत है कि नहीं।अरे साक्षी बाहर दूध लेने के लिए ऐसे ही खड़ी हो … Read more

सिंदूर – एम पी सिंह : Moral Stories in Hindi

पढ़ लिख कर कनिका ने नोकरी शुरू की ओर साथ ही शुरू हुई सपनो की उड़ान। छोटे शहर से आई और कारपोरेट में जॉब, जेब में ढेर सारे पैसे, अकेले रहना, पूरी मर्जी की मालिक, कोई रोकटोक नही, बस एकदम आजाद पंछी, पर हर काम एक सीमित दायरे में। उसकी खूबसूरत मुस्कान ओर सूंदर कद … Read more

ढलती साँझ – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

“साँझ को तो ढलना ही होता है तो उसके लिए रोना क्या,घबराना क्या ! हम भी तो ढलती साँझ हैं उर्वशी तो क्यों न ढलते-ढलते अपनी लालिमा को सामर्थ्य भर बिखेर जाँय ।” रामेंद्र जी अपनी पत्नी उषा से कह रहे थे । उषा जो अब ज़िंदगी के 62 वें बसंत में थी और रामेंद्र … Read more

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