सूज़ी – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

…”लेकिन एक बात समझ में नहीं आई… सूज़ी उतनी ऊपर क्या करने गई थी…!” इंस्पेक्टर रेवती ने अपनी पॉकेट से रुमाल निकाल कर श्रीमती डिसूजा को देते हुए पूछा… श्रीमती डिसूजा ने सुबकते हुए.… रुमाल लेकर आंखों की कोरों पर एक बार फिर फेरते हुए धीमे से कहा…” मैडम ठंड बहुत थी… इसलिए हम छत … Read more

अपने तो अपने होते हैं – डॉ ऋतु अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

 “पारुल! तुम्हें पचास बार मना किया है न कि पड़ोस की औरतों की पंचायत में मत बैठा करो पर तुम्हें समझ नहीं आता। न तो तुम्हें घर की ज़िम्मेदारियों से कोई मतलब है और न ही बच्चों की पढ़ाई से। जिम्मेदारियों का मतलब सिर्फ भोजन बनाना और कपड़े धोना ही नहीं होता। सफाई-बर्तन के लिए … Read more

बड़ा दिल – श्वेता सोनी : Moral Stories in Hindi

रचना आज सुबह से घर की साफ-सफाई में लगी थी । घर को सजाते और विभिन्न प्रकार के व्यंजन बनाने में सुबह से दोपहर हो गई थी और हो भी क्यूं ना  आज उसके बड़े बेटे की शादी तय जो होने वाली थी । पीयूष और सुकृति पिछले दो साल से एक – दूसरे को … Read more

पड़ोसियों और परिवार में यही तो अंतर होता है बेटा – गीता यादवेन्दु : Moral Stories in Hindi

शादी के 10 साल बाद राहुल का जन्म हुआ था नितिन और सागरिका के यहाँ । दोनों फूले न समाए थे । दादी-दादा,नानी-नाना सबकी आँखों का तारा था राहुल । उसकी हर इच्छा कहते  ही पूरी कर दी जाती थी । राहुल के जन्म के दो साल बाद उसकी बहन नेहा भी आ गई थी … Read more

आशीर्वाद – रेनू अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

बड़ी बहू यानी जेठानी की तबीयत कुछ अधिक ही ख़राब हुई तो छ: साल पुरानी देवरानी ने बहुत सेवा की ।घर का हर काम सँभाल  लिया और जेठानी को पूरा आराम दिया । जेठानी को हैरानी थी कि कभी मुझ से ठीक से बात ना करने वाली , घर के काम में मदद ना करने … Read more

बड़ा दिल – सुनीता मुखर्जी “श्रुति” : Moral Stories in Hindi

सागरिका का मुस्कुराता हुआ चेहरा और बोलती हुई आंखें!! चाहे जितनी गंभीर क्यों न हो….? लेकिन ऐसा लगता कि जैसे मुस्कुरा रही हो। छोटी सी छोटी बात पर बहुत जोर से ठहाका लगाती …। उसके हंसने से मानो आसपास की चीजें भी हंसने लगती। एक तो बला की खूबसूरत ऊपर से हंसमुख चेहरा… सोने पर … Read more

मेम से दीदीजी बन गई – चाँदनी झा  : Moral Stories in Hindi

“ऊषा मन नहीं कर रहा है तो छोड़ दो, अगले बार अच्छी जगह मिलेगी तो प्रमोशन लेना।”  ऊषा के पति अमित ने कई बार समझाया। ऊषा सरकारी विद्यालय में शिक्षिका है, उसका प्रमोशन हुआ, एक स्लम एरिया में। घर से काफी दूर, अविकसित जगह में, जो बाजार से काफी दूर, एक सुदूर देहात में, सुदूर … Read more

“बड़ा दिल” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा  : Moral Stories in Hindi

अपना और अपनी पत्नी का सामान दोनों हाथों में टाँगे मैं लंबी -लंबी डग भरते हुए चल रहा था। बीच-बीच में पलटकर देख भी ले रहा था कि विभा मेरे पीछे है या नहीं! कभी-कभी वह बहुत पीछे रह जाती थी तो मैं जोर से आवाज लगा रहा था….विभा…..विभा आ रही हो ना!  वह तुनक … Read more

इत्ती सी परवाह (भाग -2) – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

बेटा पापा को फोन किया था तुमने हाल चाल लेते रहना मुझसे तो बात ही नहीं करते हैं जाने इस उमर में कौन सी क्लास ज्वाइन किए है ….शिमली दोपहर से बहुत उद्विग्न थी। मां पापा एकदम मजे में है रिनी के घर में । जीजाजी बहुत ख्याल कर रहे हैं उनका आप क्यों चिंता … Read more

इत्ती सी परवाह – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

पापा  अब तो आप रिटायर हो गए हैं अब फुर्सत से हमारे घर चलिए और रहिए थोड़ा चेंज हो जाएगा आपको अच्छा लगेगा मेहुल छोटे दामाद इस बार पीछे ही लग गए थे। मुकुंदजी की रिटायरमेंट पार्टी में पूरा परिवार इकठ्ठा हुआ था।सबके आ जाने से पूरा घर उल्लसित हो उठा था।अब धीरे धीरे सबके … Read more

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