परिवार की कद्र – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  ” निशि..रोज तो तुम्हारा अपनी पड़ोसिनों के साथ ही उठना-बैठना होता है..अभी तो माँ-पापा जी के पास बैठो…उनसे बातें करो..।” आनंद निशि पर चिल्लाया।तब निशि भी उसी लहज़े में बोली,” तुम्हारे माँ-पिताजी तो चार दिन रहकर चले जायेंगे…काम तो मेरे पड़ोसी ही आयेंगे ना..।”   ” पड़ोसी ही काम…तुम्हारा दिमाग तो ठीक..।” बात बढ़ती देख आनंद … Read more

घर की इज्जत – दीपा माथुर : Moral Stories in Hindi

सुबह सुबह रसोई में जाकर चाय चढ़ाई ही थी की डोर बेल बज गई। इस वक्त कौन आया होगा सोचती हुई अरुणा जी ने गेट खोला । “”अरे शुचि तुम ? और अचानक?” शुचि( अरुणा जी की बेटी ) शुचि मम्मी से लिपट लिपट कर रोने लगी। एक बार को तो अरुणा जी को कुछ … Read more

मोहताज – रंजीता पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

धनिया बहुत ही प्यारी लड़की थी | अपने दो भाई दो बहनों में सबसे दुलारी थी | सीधी साधी होने के कारण सब घर में  उसका बहुत ध्यान रखते | बहुत ही प्यार दुलार मिलता था | धनिया की शादी  हो गई | ससुराल वाले ठीक ठाक ही थे | कभी धनिया को कुछ दुख … Read more

हनी ट्रैप – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

   अंकल आप ही हमारी सहायता कर सकते हो,आप ही पापा को रोक सकते हो,हमारे परिवार को बचा सकते हो।अंकल प्लीज।         बात क्या है मनीष,बताओ तो?      अंकल कहते हुए शर्म भी आ रही है, पर कहना तो पड़ेगा, पापा पाप करने जा रहे हैं, उन्हें रोकना होगा,मेरी न तो वे सुनेंगे और न मानेंगे।       पहेली क्यो … Read more

प्रेम से सींचें रिश्ते – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

रामेश्वरी जी एक सीधी सादी, सुलझीं महिला थीं ज्यादा पढ़ी लिखी नहीं थीं ‌ग्रामीण परिवेश में हमेशा रहीं थीं किन्तु उनकी सोच, समझने की शक्ति निराली थी। वे किसी भी समस्या से घबरातीं नहीं थीं, वल्कि समाधान सोचने में जुट जातीं। उनके इसी गुण ने उन्हें परिवार, मुहल्ले में एक अलग स्थान दिया था।जब भी … Read more

घर की इज्जत का कुछ तो ख्याल रखा होता – विधि जैन : Moral Stories in Hindi

लक्ष्मी घर की बड़ी बहू हर एक काम में बहुत होशियार कभी भी किसी काम में ना नकुल नहीं करती थी सविता की दो बहुएं दोनों पढ़ी-लिखे आई हुई थी देवरानी जेठानी मिलकर सुबह शाम का काम अपने हिसाब से कर लेती थी सविता ने दोनों के बीच कोई मन मुटाव न हो इसलिए उन्होंने … Read more

घर की इज्जत – वीणा सिंह : Moral Stories in Hindi

होठों से बहता खून माथे पर ग़ुमड़ शरीर पर नीले नीले चोटों के निशान लिए सुरभि अपनी सास और ससुर के सामने खड़ी थी… शादी के तीन साल होने को आए पर हर चौथे दिन रमन मेरे साथ ऐसे हीं जानवरों सा व्यवहार करता है.. बताइए मम्मी जी पापा जी मैं क्या करूं… बिलखते हुए … Read more

एक दूजे के लिए – सिम्मी नाथ : Moral Stories in Hindi

दिसंबर का महीना  अपनी  अलसाई आँखें जल्दी खोलना नहीं चाहता था, ऐसे में भला सूरजदेव  भी नहीं दिखते  थे , और दिखते भी तो किसी बुजुर्ग स्वभाव  वाले मानव की तरह ठंडे, जिसे समय ने विनम्रता का चोला पहना दिया हो । खैर , मुझे तो उठना ही पड़ेगा ,सोचते हुए शुक्ला  जी उठ बैठे … Read more

दमयंती – पुरुषोत्तम : Moral Stories in Hindi

उसे याद भी नहीं कि पति के नकारा होने के बाद कब कोई उसे दमयंती नाम से पुकारा हो। अब तो वह भी किसी को अपना नाम बताती है तो दमड़ी ही बताती है। श्यामल पर गठीला शरीर, घाघरा-चोली और कंधे से घुमाके आगे बंधी ओढ़नी, चेहरे पर आत्मविश्वासी मुस्कान और माथे पर सब्जियों का … Read more

“अगला पड़ाव” – सीमा वर्मा : Moral Stories in Hindi

बस में बैठी विजया ने दोनों हाथों से खिड़की थाम ली है, “बाहर कुछ भी तो नहीं बदला है, सब कुछ वैसा ही है, जैसा बार-बार मुझे स्मरण होता रहा है।” साथ बैठे लड़के ने उसकी ऑंखों में दुनिया भर की अजीबोगरीब प्यास भरी हुई देख कर, “क्या सोच रही हैं? आपके चेहरे पर दर्द … Read more

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