अमावस – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

रिद्धि घर से निकलते समय अपने गहने साथ नहीं लाना चाहती थी,पर सौरभ ने जोर देकर कहा था लाने को।आदत नहीं थी मम्मी की आलमारी खोलने की,तो जैसे ही लॉकर खोलने गई धड़ाम से आवाज आई।सकपका कर जल्दबाजी में गहनों का बक्सा निकालकर अपने कॉलेज के बैग में डालकर पलटी ही थी कि मम्मी भागती … Read more

मिट्टी के दीये – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

दिन भर घूम घूम कर दीवाली की  सारी खरीददारी करने के बाद  अरूणा थक गई थी।खरीददारी करना भी कितना कठिन काम होता है सबकी पसंद की चीजे सबकी फरमाइश की गिफ्ट्स दुकान दुकान जाकर  खरीदने में पसीने छूट जाते हैं ।ऊपर से दुकानदार भी हर सामान की ऊंची ऊंची कीमत वसूलना चाहते हैं त्यौहार आए … Read more

“उनके जैसी” – ऋचा उपाध्याय : Moral Stories in Hindi

    “आज माँ की पार्टी की इतनी ज़रूरी मीटिंग है, चुनाव में नामांकन का पर्चा दाखिल करना है, उस पर से उन्हें कमज़ोरी भी लग रही है, सुनंदा तुम तुरंत वापस आओ, बार बार माँ तुम्हे ही बुला रही हैं”।    “क्या हुआ अनुराग! सुबह तक तो वो बिल्कुल ठीक थीं। बस मेरा नाम बुलाया जाने वाला … Read more

नहीं तो ये रिश्तो के नाजुक धागे कभी भी टूट सकते हैं – संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

नीति की शादी को कुछ ही समय हुआ था, और जब वह इस घर में आई थी, तो उसने सोचा था कि परिवार के हर सदस्य का ख्याल रखना और अपनी जिम्मेदारियों को निभाना उसके लिए एक नया जीवनसुख होगा। घर में नीति का स्वागत बड़े ही प्रेम से किया गया, और खासकर उसकी जेठानी … Read more

बहू का डर – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

एक दिन ऐसा ही हुआ। रात में मनोहर जी को फिर से पेशाब निकल गया, और वह जल्दी से उठकर बिस्तर को साफ करने लगे, यह सोचकर कि सुबह होने से पहले ही बहू-बेटा देख लें तो नाराज़ हो जाएंगे। काजल ने बीते दिन ही नई चादर बिछाई थी, और पहले ही चेतावनी दे रखी … Read more

माता-पिता के साथ बिताए पल ही असली त्यौहार हैं – रिद्धिमा पटेल : Moral Stories in Hindi

गांव के पुराने घर में रामदीन और उनकी पत्नी, शांता, अपनी ढलती उम्र के साथ वक्त बिता रहे थे। उनके बेटे मोहन की शादी को अब दो साल हो गए थे, और वह शहर में अपनी पत्नी के साथ रहता था। गांव में किसानी और छोटे-मोटे कामों से जैसे-तैसे गुजर-बसर चल रही थी, लेकिन बढ़ती … Read more

सच्चा रिश्ता – पुष्पा जोशी : Moral Stories in Hindi

गांव में बने पुराने घर के बड़े बरामदे में बंसीलाल जी इस बार अकेले बैठे थे। कुछ साल पहले तक इस घर में उनकी पत्नी और दोनों बेटे थे, और पूरे घर में रौनक रहती थी। लेकिन वक्त ने जैसे परछाई बदल दी थी। उनकी पत्नी का निधन हुए कई साल हो गए, और दोनों … Read more

और कितनी परीक्षा दूंगी.. – संगीता त्रिपाठी  : Moral Stories in Hindi

“ये क्या रूचि, दूध गैस पर रख, तुम यहाँ मोबाइल पर गप्पे मार रही हो, सारा दूध जल गया,”कनक ने कहा तो रूचि का मुँह फूल गया…, ये सास और ससुराल दोनों ही आफत है, एक मिनट भी चैन नहीं…,भुनभूनाते हुये रसोई की ओर चल दी। रूचि को भुनभूनाते देख कनक जी सोच में डूब … Read more

निठल्ला दामाद नहीं चलेगा तो निठल्ली बहू कैसे चलेगी?? – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” रूचि….कहां चल दी सुबह सुबह…. ?? तुम्हें पता है ना आज दीदी और जीजा जी आने वाले हैं !!” रमन ने अपनी पत्नी को बैग में कपड़े डालते हुए देखा तो पूछ बैठा। ” हां…. मुझे पता है तुम्हारे बहन बहनोई आ रहे हैं…. लेकिन मैं कोई इस घर की नौकरानी नहीं हूं जो … Read more

हाफ़ टिकट – विभा गुप्ता  : Moral Stories in Hindi

     नौ साल की छोटी उम्र में हाॅस्टल चली गई।तब ट्रेन-बस में कैसे सफ़र करते हैं..टिकट कहाँ से लेते हैं..क्या नियम है..ये सब कुछ नहीं जानती थी।छुट्टियाँ होते ही घर से पिताजी या चाचा आ जाते थें और मैं उनके साथ चली जाती थी।कभी-कभी अपने कैंपस के टिकट काउंटर पर लड़कियों की लंबी लाईन देखकर ज़रूर … Read more

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