संदूक खुलाई – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi
स्वाति ,मैं सुबह से कह रही थी कि संदूक खोलने की रस्म कर लो …. रह गई ना रस्म , और बहू मायके चल पड़ी …. बता , रुकेगी क्या हफ़्ता-दस दिन? नहीं तो रस्म अभी घर चलकर करवा देती हूँ । कल से पंचक लग रहे हैं, अब तो बहू सोमवार को आएगी । … Read more