ज़ड़ें : मीनाक्षी सिंह Moral Stories in Hindi

क्या काका… आप भी बुढ़ापा आ गया … काकी भी छोड़ कर चली गई … अकेले इस  टूटे-फूटे घर में पड़े रहते हो… पिछली बार भी तुम्हारा बेटा पिंटू आया…. बोला भी कि… चलो पापा  हमारे साथ… चल कर रहो …. लेकिन तुम तो काका अपनी ज़िद  के पक्के… कभी जाते ही नहीं … कितने … Read more

जानते हैं जी … छोड़ ना तू क्या बताएगी – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

  जानते हैं जी….. जैसे ही शालिनी ने दीपेश से कुछ कहना चाहा…. हां हां छोड़ ना तू क्या बताएगी …..ये रहा फल , मिठाई, ब्लाउज पीस, और पूजा का सारा सामान उधर रख दिया हूं ….ये फल धोना है क्या….?  दीपेश ने शालिनी के काम में हाथ बटाने की कोशिश की…!     कल की बात शालिनी … Read more

तमाचा – शिप्पी नारंग : Moral Stories in Hindi

80 वर्षीय देवीप्रसाद जी का अंतिम संस्कार हो चुका था । घर के लोग वापस घर आ चुके थे और बाहर बरामदे में बैठे थे।  रिश्तेदार अंदर बाहर हो रहे थे । कोई नहाने की तैयारी कर रहा था कोई नहाने गया था, तभी पड़ोस से विमला चाची व उनकी दोनों बहुएं चाय और बिस्किट … Read more

घर दीवार से नहीं परिवार से बनता है। – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

 “मुझे नहीं जाना यहाँ से कहीं, मेरी डोली इसी घर में आई थी और मेरी अर्थी भी इसी घर से उठेगी|”  “लेकिन माँ, यहाँ रखा भी क्या है अब? आप क्यों जिद पर अड़ी हैं। अब तो पापा भी नहीं रहे। आपको यहाँ किसके सहारे छोड़ कर जाएं? क्यों आप हमें धर्म संकट में डाल … Read more

तुम दिन भर करती क्या हो – मनीषा भरतीया : Moral Stories in Hindi

सुजाता मेरी नीले रंग की शर्ट कहां है, अलमारी में दिखाई नहीं दे रही??? मैंने तुम्हें परसों ही बताया था, ना कि मेरी हिंदुस्तान क्लव में विदेशी क्लाइंट के साथ मीटिंग है|……  फिर तुमने मेरी शर्ट इस्त्री क्यों नहीं की??? अब बताओ क्या पहनू मैं,मुझे कोट के साथ वही मैचिंग शर्ट पहननी थी | तुम … Read more

माँ बोझ हो गई इसलिए छोड़ कर जाना चाहते हो? – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“मैं कह रही हूँ ना तुम लोगों से मुझे खाना नहीं खाना…. ले जाओ ये खाना यहाँ से….. चार पैसे क्या कमाने लगे हैं खुद को बहुत होशियार समझने लगे हैं… माँ की तो कोई फ़िक्र ही नहीं है… बस बीबी बच्चा यही इनकी दुनिया है।” सुनंदा जी ग़ुस्से में धमकियाते हुए बेटा बहू से … Read more

रिश्ते भी बिकते हैं.. – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

उसने  अद्वैत से पूछ ही लिया कि आखिर मुझमें क्या कमी हैं? ” अद्वैत और  आलिवा की शादी धूमधाम से हुई.। आलिवा बहू बन, अलकनंदन  निवास में प्रवेश कर गई.। सासुमां अलका ने बेटे -बहू की आरती  कर, गृहप्रवेश कराया।अलका जी के दो बच्चें अद्वैत और ऐश्वर्या थे.। ऐश्वर्या छोटी थी, हॉस्टल में रह कर … Read more

बिना प्रेम के कोई किसी की मदद नहीं करता – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

आज सावित्री की बेटी कलेक्टर बन गई… कितनी तपस्या के बाद आज का दिन देखना नसीब हुआ… बेटी ने कलेक्टर बनते ही माँ को बोला, अब तुम काम नहीं करोगी। नहीं पारो एक घर में तो मुझे करना ही है.. कुसुम मैडम को मैं नहीं छोड़ सकती….उनकी बदौलत ही तुम आज कलेक्टर बन पाई हो। … Read more

ग्रेजुएशन। – कामनी गुप्ता*** : Moral Stories in Hindi

बारहवीं की परीक्षा समाप्त हो चुकी थी। रोहन बेसब्री से नतीजे का इंतज़ार कर रहा था। घरवाले भी रोहन की मेहनत से बाकिफ़ थे। सबको रोहन से बहुत उम्मीदें थी। रिश्तेदारों में भी यही बात थी कि अपना रोहन घर का और सबका नाम रोशन करेगा। खैर वो दिन भी आ जाता है। रोहन उम्मीद … Read more

*घर वापसी* – डॉ आरती द्विवेदी : Moral Stories in Hindi

शाम का वक्त था, सूरज अपनी लालिमा के साथ धीरे-धीरे ढल रहा था। गांव के उस पुराने रास्ते पर सन्नाटा पसरा था, जहां से कभी जीवन की हलचल बहा करती थी। उस रास्ते पर एक शख्स, रमेश, अपने कंधे पर बैग लटकाए, थके कदमों से घर की ओर बढ़ रहा था। शहर की चकाचौंध में … Read more

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