समर्पण – अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’ : Moral Stories in Hindi

सुबह -सुबह चाय की चुस्कियों के बीच राहुल ने पत्नी सोना से अचानक पूछा – “क्या तुमने कभी किसी से प्यार किया है?“ यकायक ऐसा अटपटा प्रश्न सुन कर सोना घबरा सी गई कि कहीं उसके मुँह से कुछ निकल तो नहीं गया या …. । इससे पहले वह कुछ बोल पाती, राहुल ने दूसरा … Read more

अनकहा प्यार – अंजु गुप्ता ‘अक्षरा’ : Moral Stories in Hindi

कुछ खोजती आँखे, बात करने का अलग ही अंदाज – जाने कब तुम से प्यार हो गया, खुद मुझको ही पता न चला । अहसास तो शायद तुमको भी था , पर शायद तुम्हारे लिए दोनों की उम्र में दस वर्ष का फासला ही सबसे बड़ी दीवार था । बड़े भैया के दोस्त थे तुम … Read more

साथ है हम – निश बोदला : Moral Stories in Hindi

निशा ने  एक दिन  अपने पति प्रदीप से कहा, तुम इतने बड़े परिवार में क्यों रहते हो? तुम्हारे परिवार वाले चैन से जीने ही नहीं देते। प्रदीप ने कहा, क्या हुआ ऐसे क्यों बोल रही हो?निशा ने कहा,,,, अरे मैं परेशान हो गई हूं,यार प्राइवेसी नाम की तो कोई चीज ही नहीं है यहां पर … Read more

नाम में जो रखा है! – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

रिद्धि  को ससुराल आते ही सासू मां ने पहली बात समझाई वो यही थी कि  अपने पति का नाम नहीं लेना है.. मतलब उनको, उनके नाम से नहीं बुलाना है?? और जरूरत  भी ऐसी ही तुरंत पड़ गई रिद्धि ,इस घर की नई बहू, जिसे अभी इस घर में आए जुम्मा जुम्मा चार दिन भी … Read more

सेजल – समिता बड़ियाल : Moral Stories in Hindi

वो चूड़ियों को बड़े गौर से देख रही थी। उनमें लगे मोतियों की चमक से उसकी आंखें और भी चमक उठी थी। तब भी दुकान वाले ने आवाज लगाई, ले लीजिए मैडम सिर्फ 200 रुपये की हैं। नहीं भाईसाहब रहने दीजिए, उसने कहा। अगर महंगी लग रही है तो 180 दे दीजिए दुकान वाले ने … Read more

पूर्णमासी की रजनी – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

अरे तेजू ये क्या तेरी बिटिया है?       हां, बाबूजी मैं बापू की बिटिया ही हूँ।बापू आज घर पर ही खाने का टिफिन भूल बआये थे,इसीलिए मैं टिफिन ले आयी।      अच्छा किया बेटा।तुम तो पढ़ी लिखी लगती हो?      हां,बाबूजी पढ़ी लिखी तो हूँ,इंटर पास किया है,मैंने, आगे भी पढ़ना चाहती थी,पर पढ़ न सकी,बी.ए. प्राईवेट करूँगी। … Read more

संयुक्त परिवार का प्यार – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

बेटा मेरा टिकट करवा दें मुझे अपने घर जाना है गोपाल जी बोले , अपना घर अब यही अपना घर है बाबूजी अखिल बोला किस घर जाने की बात कर रहे हो जहां आपका कुछ नहीं है ।न कोई अपना कहने को ।घर में बस न का  हिस्सा है बस कहने को दो छोटे छोटे … Read more

सब कुछ मंजूर है लेकिन बहू को रोटियां बनाकर नहीं खिला सकती…. – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” पता नहीं किस जन्म की दुश्मनी निकाल रही हैं मुझसे…… ऐसी छुई- मुई बनकर बैठी रहती हैं जैसे मेरे आने से पहले आठ- दस नौकर- चाकर आगे – पीछे फिरते रहते थे। थोड़ा बहुत हाथ- पैर हिलाने से कौन सा शरीर घिस जाएगा इनका ….. सब कुछ मेरे भरोसे छोड़ कर बैठ जाएंगी ….. … Read more

छोटी बहू या ज़िम्मेदारियों की पोटली – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ बेटा तू अब तक तैयार नहीं हुई…लड़की वाले तिलक करने आ गए.. सब तुम्हें खोज रहे हैं…. और तुम यहाँ सामानों के बीच में उलझी पड़ी हो।“ सुमिता जी ने बेटी से कहा जो स्टोर में सासु माँ के कहने पर पूजा के लिए परात और ना जानें क्या क्या सामान खोजने में व्यस्त … Read more

रिटायरमेंट…. उम्र का या मन का.. – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

  विनीत आज रिटायर हो रहे… सुबह सुबह जल्दी उठ कर तैयार हो गए …. कुछ अजीब सा अहसास हो रहा… खुशी मनाये या दुख… ऑफिस के संगी -साथी छूट रहे… वो ग्यारह और चार बजे की चाय के संग कुछ फिकरे बाजी …. अब कहाँ ये सब…. भारी मन से नाश्ता कर…. ऑफिस रवाना हो … Read more

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