आत्मसम्मान – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

सरस्वती भगवान के सामने हाथ जोड़कर आँखों में आँसू भरकर विनती कर रही है कि हे भगवान मुझे आपने अपने पास बुलाना भूल गए हो क्या ? और कितने दिन मुझे यह सब सहना पड़ेगा । मैंने ऐसी कौनसी ग़लतियाँ की हैं जिसके कारण मेरे आत्मसम्मान को हमेशा ठेस पहुँचती रहती है । किस बात … Read more

असली संपत्ति – डाॅ उर्मिला सिन्हा : Moral Stories in Hindi

भरा-पूरा परिवार…एक-दूसरे की परवाह  करने वाले लोग। थोड़े में ही खुश होने वाले… उपरवाले से डरनेवाले परिवार में भूचाल सा आ गया जब घर की बडी़ बहू ने अपने हिस्से की मांग की।     यह परिवार चार भाइयों और तीन बहनों का था। तीनों बहनों की शादी हो चुकी थी और वे अपनी घर-गृहस्थी में मस्त … Read more

भैंस का बदला – निशा पांडे : Moral Stories in Hindi

कहानी बिलकुल काल्पनिक है और हास्य से  भरपूर है.भैस का बदला . एक बहुत पुराना गांव था .जहा ज्यदातर लोग अशिक्षित थे पर पैसे की कमी नहीं थी.एक पंडित जी छोटे मोटे गोल मतोल गोरे चित्त से अपनी पत्नी वा दो पुत्रो के साथ रहते थे। पत्नी का व्यक्तित्व पंडित जी से बीस ही था। … Read more

स्वाभिमान – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  एक बात बोलूं राजीव,मैं चाहती हूं हम अपने घर मे अपने कस्बे में ही शिफ्ट कर ले।मेरा मन यहां नही लगता।मुन्ना के स्कूल की बस तो अब वहां भी आने लगी है,हमारा मुन्ना अब स्कूल बस से स्कूल आ सकता है।         अचानक शिवि के मुख से ये बात सुन राजीव हक्का बक्का रह गया।शिवि क्या … Read more

अनमोल – भगवती : Moral Stories in Hindi

अनिल घर लौटते समय सब्जी, फल और मां बाबूजी की दवाईयां लेते हुए आए थे। घर पहुंचे तो काफ़ी थके हुए थे। सुजाता ने उनको देखते ही उनके हाथ से सारे थैले ले लिए और जल्दी से उनके लिए पानी लाई। अपने आंचल से उनके माथे का पसीना पोंछते हुए बोली, “अभी राजीव आता तो … Read more

उपहार (भाग-14) एवं अन्तिम – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral stories in hindi

” दक्षिणा, बहुत दिन मायके में रह चुकी हो, अब यहॉ रहने की आवश्यकता नहीं है। अपने घर चलो।” यह दक्षिणा के पति थे जो अपने तीन महीने के बेटे को देखने पहली बार आये थे। करीब एक वर्ष बाद दक्षिणा आज उस व्यक्ति को देख रही थी जिसके साथ उसने प्यार और अनुराग से … Read more

उपहार (भाग-13) – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral stories in hindi

स्थानान्तरण के आदेश आने के बाद अहिल्या ने बहुत बार  कहा मुकुल से – ” तुम भी चलते तो दक्षिणा कितना खुश होती। चलने के पहले एक बार तो मिल लो, फिर पता नहीं कब मिलना हो? किस बात से उससे इतना नाराज हो कि एक बार फोन तक नहीं किया?” लेकिन मुकुल नहीं माना … Read more

उपहार (भाग-12) – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral stories in hindi

सुनते ही जैसे वह अपराध मुक्त हो गया। उसकी आत्मा जैसे सुख और आनन्द से सराबोर हो गयी। वह ऑखों में ऑसू भरकर मूर्ति के चरणों में गिर पड़ा – ” प्रभो! जिसे हम पाप और पुण्य कहते हैं, वह सब तुम्हारी इच्छा से रची माया मात्र है। दक्षिणा के पैर की चोंट,सबका उसको छोड़ … Read more

उपहार (भाग-11) – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral stories in hindi

” मुकुल, इस समय दक्षिणा को हमारी बहुत जरूरत है। उसने कभी मुझे नहीं बताया लेकिन जब उसकी ऐसी हालत सुनकर भी अभी तक ससुराल से कोई नहीं आया तो वे लोग कैसे होंगे, अंदाजा लगाना मुश्किल नहीं है?” ” तुम जो करना चाहती हो बताओ मैं तुम्हारे साथ हूॅ।” ”  तुम घर की व्यवस्था … Read more

उपहार (भाग-10) – बीना शुक्ला अवस्थी : Moral stories in hindi

दक्षिणा कभी ऑफिस में किसी से हाथ नहीं मिलाती थी‌। अगर कोई हाथ बढ़ा देता तो वह मुस्कुरा कर दोनों हाथ जोड़ देती थी। मुकुल में एकाध बार कहा भी – ” किस जमाने में जी रही हो दक्षिणा, हाथ मिलाने में क्या हर्ज है?” ”  मेरी अपनी मर्जी। मुझे हर एक व्यक्ति का स्पर्श … Read more

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