मां का घर – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

एक बेटी के लिए बाबुल का घर छोडना आसान नहीं होता।मायका चाहे जैसा हो अमीर गरीब लेकिन वहां की स्मृतियां एक बेटी के लिए अकल्पनीय होती है ।वह उम्र भर वहां की स्मृतियां संजोए रहती है । उसको कभी भूल नहीं पाती है । ससुराल में आकर तमाम जिम्मेदारियों में फंसकर भी बाबुल की यादें … Read more

“जिम्मेदारी का एहसास”-मनीषा सिंह : Moral Stories in Hindi

यह कहानी कोई मनगढ़ंत या काल्पनिक नहीं बल्कि सच्ची घटना पर आधारित है ।कहानी की संवेदनशीलता को देखते हुए ,उनके नाम  बदल दिये गये हैं । पुष्पा—! कब जाना है तुम्हें- मायका—? मैं उस और ही जा रहा हूं सोचा तुमसे पूछ लूं।  रजत मोटरसाइकिल पोछते हुए बोला । शादी के अभी दो महीने ही … Read more

बाबुल तेरे आंगन की मैं तो एक चिरैया…!! : Moral Stories in Hindi

“जय दुर्गा मां!,आज हमारे घर लक्ष्मी आईं हैं आपको प्रणाम!”दस साल की राधा मंदिर में अपनी गोद में गाय की एक छोटी सी बछिया को लेकर भगवती के दर्शन कराने लेकर आई थी। जैसे ही घंटी बजाकर वह बाहर निकली उसके पिता पंडित उमाकांत जी उसके सामने आ गए। उन्होंने राधा को बछिया के साथ … Read more

बाबुल की गलियां – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

रिया की उम्र करीब पैंतालीस हो गई थी वह स्वयं दो प्यारे से बच्चों की माँ बन गई थी किन्तु अभी भी मायके की याद आते ही उसका मन विचलित हो उठता। बार-बार वह बाबूल के घर, उन गलीयों में स्कूल की यादों में खो जाती और वहां  जा कर एक बार फिर से उन्हें … Read more

एक बेटे का क्या देखा ? – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

अम्मा, आज तो सुबह से ही बहू का जी ठीक नहीं….. क्या पता , रात को ही अस्पताल ना जाना पड़ जाए …. आप क्या कह रही थी कि अस्पताल जाने से पहले क्या करना है? मैं कह रही थी कि एक साड़ी और कुछ रुपये गरिमा के हाथ से कुलदेवी का नाम लेकर मंदिर … Read more

वो देहरी… – कविता झा ‘अविका’ : Moral Stories in Hindi

मांँ के पास आए हुए रिती को एक महीना पूरा होने को था और उसकी वापसी का समय भी नजदीक था। अगले ही दिन की ट्रेन थी। स्कूल की छुट्टियांँ खत्म हो गई थी तो अब वापस जाना जरूरी था वरना प्राइवेट स्कूल वाले टीचर को छुट्टी कहांँ देते हैं। रिती अपने पिता के समझाने … Read more

बाबुल का आंगन – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

“आज तक कौन सा सुख पाया मेरी बेटी ने… अपने बाबुल के घर में… जो उसे यहां की याद आएगी… क्यों आएगी…!” बोलकर रविंद्र जी एक ठंडी आह भरकर बिस्तर पर लेट गए…  पूरे एक साल हो गए थे वसुधा के ब्याह को… मगर इन एक सालों में कभी घूम कर वह बाबुल के आंगन … Read more

सास तो हो मगर गरीब मायके की बेटी की – स्वाति जैन : Moral Stories in Hindi

 मम्मी जी मैं अपने मायके से भर भर के सोना लाई हूं समझी मुझे कुछ बोलने से पहले सोच लीजिएगा।  अब इस घर की मालकिन मैं हूं आप नहीं, रीमा अपनी सांस गीता जी से बोली, गीता जी बोली, “भगवान से डरो बहू रोज सुबह से शाम तक सुनाती रहती हो जरा तो मेरी इज्जत … Read more

ये तेरा घर _ये मेरा घर ।। – अंजना ठाकुर : Moral Stories in Hindi

मां राहुल दस दिनों के लिए काम के सिलसिले मै बाहर जा रहे है तो मैं रहने के लिए आ रही हूं मीनू  की आवाज मैं मायके जाने की अलग ही खुशी थी मां भी ये सुनकर बहुत खुश हुई पर अगले पल ही कुछ सोचने लगी  की मीनू अभी एक महीने पहले ही रहकर … Read more

बाबुल का फ़र्ज़ – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  दसवीं कक्षा में पढ़ने वाली नयना ने अपने कंधे पर स्कूल बैग डाला और ड्राइंग रूम में सोफ़े पर बैठे हिसाब करते हुए अपने भाई प्रशांत को ‘बाय भइया’ कहकर स्कूल के लिये निकलने लगी तो उसकी माँ सरोजनी बोलीं,” रुक…टिफ़िन तो लेती जा..।    ” कैंटिन में खा लूँगी माँ…।” कहकर वह बाहर निकल गई।तब … Read more

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