“सोने के पिंजरे से कहीं अच्छी आत्मसम्मान की टूटी-फूटी झोपड़ी है।” – “रीवा” : Moral Stories in Hindi

अक्षत और आरती दोनों साथ में कॉलेज पढ़ते थे ।अक्षत बहुत अमीर घराने का लड़का था।उसके शौक और आदतें सारा कॉलेज जनता था।हर दूसरी सुंदर लड़की उसे पसंद आ जाती थी। आरती देखने में बहुत ही सुंदर थी। अक्षत को आरती को देखकर पहली नजर में ही प्यार हो गया।आरती एक बहुत ही साधारण परिवार … Read more

खोया हुआ रिश्ता – भगवती सक्सेना गौड़ : Moral Stories in Hindi

राणा बचपन से मास्टरजी की बहुत इज्जत करता था, उसके पापा के दोस्त होने के कारण कई बार घर आकर गणित हल कराते थे। उन्ही के कारण वह गणित जैसे कठिन विषय मे पास हो पाता था। दसवीं बोर्ड पास करके ग्रेजुएशन करने के बाद मजबूरन बाबूजी की दुकान चला रहा था।  क्योंकि पढ़ाई के … Read more

बहू कुछ दिन और मायके रूक जाती…. – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ बहू तू इतनी जल्दी मायके से आ गई… समधी जी अब कैसे हैं….. कुछ दिन उनके पास ही रूक जाती…. क्या सोचते होंगे तुम्हारे मायके वाले ज़रूर सास  मायके में रूकने नहीं देती होगी ।” कौशल्या जी ने बहू निशिता से कहा  “ बिल्कुल नहीं मम्मी जी…. सब तो मुझे दूसरे दिन ही भेज … Read more

आखिर कब तक चुप रहूंगी… – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

“कितनी बार कहा सुबह -सुबह लड़ा मत करो, पर नहीं तुम्हें कुछ समझ में आता नहीं “नितिन ऑफिस से आते ही मेघा पर बरस पड़ा।  “सुबह की बात तो सुबह खत्म हो गई, अब क्यों गुस्सा हो रहे “मेघा ने हैरानी से पूछा। “तुम्हारी वजह से मैं ऑफिस देर से पहुंचा, मेरा प्रेजेंटेशन खराब हो … Read more

अब दरवाज़ा खुला मिलेगा ननद रानी – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

अरे नित्या बेटा तू कब आई और दरवाज़े के बाहर क्या कर रही है?” सुगंधा चाची ने नित्या को घर के बाहर खड़ी देख पूछा “ वो चाची दो दिन कॉलेज की छुट्टियाँ थी तो सोचा भैया भाभी और बच्चों से मिल आऊँ …. कब से कॉल बेल बजा रही हूँ कोई खोल ही नहीं … Read more

देहरी – अमिता कुचया : Moral Stories in Hindi

राखी का त्यौहार आना हो या कोई अन्य त्यौहार शकुन्तला जी अपनी बहू के पीछे पड़ जाती थी ,रोशनी देखो त्यौहार की रंगत तो कोई को घर के द्वार की देहरी से ही समझ आती है। तब रोशनी कहती- मम्मी आप की तो पीछे पड़ने की आदत है। आप चिंता न करो हमें पता है … Read more

इंतज़ार – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

सुनंदा को वृद्धाश्रम में आए तीन साल हो गए थे । वह किसी से भी ज़्यादा बात नहीं करती थी । अपना अलग से अकेले ही बैठती थी । इन तीन सालों में नंदिता के अलावा उसने किसी से भी बात नहीं की थी । कोई प्रश्न पूछता भी है तो हाँ , न में … Read more

अपना घर ही स्वर्ग है – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

बहुत दिन हो गए अमृता से बात नहीं हुई नीलिमा ने अमृता को फोन लगाया हेलो अमृता कैसी है तू।सब सेट हो गया वहां पर और सब ठीक है । अरे नहीं नीलिमा अपने घर में हूं दीदी के यहां नहीं हूं , क्यों क्या हुआ । कुछ नहीं अब मिलती हूं तो बात करती … Read more

खानदान की इज्जत – हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

पायल बेटा… तुम्हारे भाई की शादी है और तुम यह लोहा लंकड के गहने पहन कर आई हो, बेटा.. सभी के सामने हमारी और तुम्हारे ससुराल वालों की क्या इज्जत रह जाएगी? जहां तक मुझे याद है तेरी शादी में तेरे  ससुराल से भी काफी गहने चढ़ाए थे और हमने भी तुझे काफी सारे गहने … Read more

क्यों अशांति फैलाते हो – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

क्यों अशांति फैलाएं हुए हैं तुम लोग इस घर में कितनी शांति से जीवन बीत रहा था हम दोनों का जबसे तुमलोग आए हो रोज कुछ न कुछ बबाल मचा रहता है। मोहिनी जी आज बहू मुक्ता और बेटे अमित पर चिल्ला पड़ी।                 घर में मोहिनी जी और उनके पति राघवेन्द्र जी का हंसी खुशी … Read more

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