अपना घर तो अपना ही होता है – लक्ष्मी कानोडिया   : Moral Stories in Hindi

शिखा अपनी पांचो भाई बहनों में सबसे छोटी थी। पहले उसके दो बड़े भाई थे फिर वे तीन बहने थी।  शिखा अपने पांचो भाई बहनों में सबसे लाडली थी। शिखा का अपने भाई बहनों से उम्र में काफी अंतर था। इसलिए उसके सभी भाई बहनों की शादी पहले हो गई थी। शिखा के भाई बहन … Read more

वापस लौट आओ तुम.. – वीणा   : Moral Stories in Hindi

 हाय .आँटी. मैं तरन्नुम, सरला आँटी ने भेजा है मुझे। ओह.. हाँ, मैंने कहा था सरला को। एक्चुअली मेरा पोता है अरमान ,उसकी देखभाल के लिए जरूरत थी मुझे किसी की। पाँच साल का है,दो साल पहले उसकी माँ की एक एक्सीडेंट में डेथ हो गई थी…उसी एक्सीडेंट में मेरी भी स्पाइनल इंजरी हो गई … Read more

अपना घर अपना ही होता है – तृप्ती देव   : Moral Stories in Hindi

गर्मियों की दोपहर थी। सूरज की किरणें तपती धरती को आग के गोले में बदल रही थीं। आंगन में बैठी सुमित्रा बाई के चेहरे पर पसीने की बूंदें चमक रही थीं, पर उनके चेहरे पर एक संतोष की मुस्कान थी। आज उनका बेटा, रवि, जो शहर में नौकरी करता है, कई महीनों बाद घर लौट … Read more

क्या ये सही है ? – संगीता अग्रवाल  : Moral Stories in Hindi

“सविता…सविता कहां हो तुम भई …तौलिया तो लाओ जरा बारिश ने भी हद कर दी जब देखो बरस पड़ती है इंसान काम करे तो कैसे!” दिनेश जी घर में घुसते ही बोले। वो आवाज़ दे पत्नी का इंतज़ार कर रहे थे कि … ” छम…छम…!” अचानक उनके कानों में आवाज़ आईं। ” अरे ये घुंघरू … Read more

अपना घर – भगवती सक्सेना गौड़   : Moral Stories in Hindi

रवीना के रिटायरमेंट का दिन था, फेयरवेल के लिए आफिस आयी थी। माधवी ने आकर गले मे फूलों का हार डाला, और तालियों की गूंज उंसकी आंखों में धुंधलापन ले आयी थी। आफिस के हर कलीग ने उंसकी तारीफ में दो शब्द कहे। फिर सबसे बिदा लेकर वो अपनी कार में घर जाने को बैठ … Read more

खानदान की इज्जत – लक्ष्मी कानोडिया   : Moral Stories in Hindi

कौशल प्रसाद जी शहर में एक बड़े व्यवसाई थे। उनका शहर में जुराबों का कारखाना था। उनके दो बेटी एवं एक बेटा था। एक बेटी की उन्होंने शादी कर दी थी और बेटा बाहर पढ़ने गया हुआ था। उनके इंश्योरेंस आदि के अन्य काम भी चलते रहते थे जिनके कार्य के लिए उनके घर पर … Read more

खानदान की इज्जत – चम्पा कोठारी   : Moral Stories in Hindi

भुवनेश्वरी बुआ बाल विधवा थी लगभग 16 वर्ष मैं उन्होंने  अपने पति  को खो दिया था। 40 वर्ष पूर्व जब रेखा का विवाह हुआ था तब बुआ 45 वर्ष की रही होंगी।पति की मृत्यु के बाद ससुराल  पक्ष की गरीबी और प्रताडना  से ब्यथित होकर बुआ ने मायके  की राह पकड़ी।वहाँ भी दुखी माता पिता … Read more

दूसरे के महल से अपने घर की झोपड़ी में स्वाभिमान से रहना अच्छा है, – माधुरी गुप्ता   : Moral Stories in Hindi

रमा जी आज पार्क में घूमने आई तो उनके हाथ में मिठाई का डिब्बा था।सैर करने के बाद जबगपशप का दौर चला तो उनसे पूछा कि किस खुशी में आज मिठाई खिला रही हो,।रमा जी मुस्कराते हुए कहने लगी एक गुड न्यूज़ है आज मन बहुत खुश है सोचा इस खुशी को अपनी सारी सखियों … Read more

ओछी सोच….. – अमिता कुचया   : Moral Stories in Hindi

शाम का समय था एकदम से रजनी को आया देख मां बहुत खुश हुई ,तब रजनी से आश्चर्य से पूछा -अरे रजनी न फोन, न कोई मैसेज आज अचानक आना कैसे हुआ! तब रजनी बोली -“मां मैनें मौसी जी से भैया की तबियत का सुना तो मुझसे रहा न गया मुझे तो शादी में आना … Read more

अपना घर अपना घर होता है – वीणा सिंह   : Moral Stories in Hindi

 कंपनी राहुल को छः महीने के लिए विदेश भेज रही थी.…रति और तीन महीने की बेटी रूही को छोड़कर कर जाने का दिल नहीं कर रहा था राहुल। का…. रति की सास नही चाहती थी की रति और उनकी प्यारी पोती उनसे दूर जाए…छोटा भाई नीरज भी रूही को गोद में खूब घुमाता था रति … Read more

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