अपना घर अपना ही होता है – के कामेश्वरी   : Moral Stories in Hindi

घनश्याम जी के गुजर जाने के बाद उनके दोनों बेटों ने अपनी माँ को बाँट लिया था । सीता किसी के भी पास नहीं जाना चाहती थी । उसे लगता था कि मैं अपने ही घर में पति की यादों के सहारे जी सकती हूँ । अपना घर तो अपना ही होता है । लेकिन … Read more

खानदान की इज्जत – अर्पणा कुमारी   : Moral Stories in Hindi

मेरा नाम माहिर है, अपने घर में सबसे छोटा | अपने मां-बाबा एवं दीदी का लाडला और दादी!!! दादी के तो आंखों का तारा हूं मैं  | उनके अनुसार मैं ही हूं जो उन्हें सोने की सीढ़ी लगाकर स्वर्ग तक पहुचायेगा | पर उनका राजकुमार आज उनकी आंचल की छांव में नहीं ,बल्कि नशा मुक्ति … Read more

बेटे का प्यार – मंजू ओमर   : Moral Stories in Hindi

मम्मी मैंने नया फ्लैट ले लिया है पुनीत ने मम्मी को फोन किया । बहुत अच्छा किया बेटा अपना घर होना जीवन में तो बहुत जरूरी है ‌‌ बहुत बढ़िया, बहुत बढ़िया ।अब आप और पापा को हमारे और स्वाति के साथ ही रहना है। बहुत रह लिए अकेले अकेले । हां, हां बेटे क्यों … Read more

छतरी – लतिका श्रीवास्तव   : Moral Stories in Hindi

नहीं …..हमारे खानदान में ऐसा कभी  नहीं हुआ और जब तक मैं जिंदा हूं मैं किसी को ऐसा करने नही दूंगा.. हमेशा की तरह मैंने गुर्रा कर सबको चुप कराने की कोशिश कर दी थी। लेकिन इस बार स्थिति कुछ अलग दिखी मुझे ।आज पहली बार अपने घर में अपनी बात का विरोध करने के … Read more

घर कब आओगी – मधु वशिष्ठ   : Moral Stories in Hindi

ऐसा बिल्कुल नहीं था कि भावना जी अपनी बहू नीता को प्यार नहीं करती थीं या उसे कमतर समझती थीं, बस यह उनकी बहुत पुरानी आदत थी कि वह अनुशासनहीनता या कोई भी गलती सहन नहीं कर पाती थीं और उसे ठीक करने की पूरी कोशिश करती थीं। यूं भी वह गर्ल्स स्कूल की रिटायर्ड … Read more

खानदान की इज्जत बेटी नहीं बेटे के हाथ में भी होती है। – अर्चना खंडेलवाल   : Moral Stories in Hindi

आज वर्मा परिवार में रौनक लगी थी, उनकी बेटी सलोनी की सगाई का समारोह था, पूरा घर फूलों से महक रहा था, सबके चेहरे खुशी से चमक रहे थे, बड़ी मुश्किलों से सलोनी का रिश्ता हुआ था।  शशि जी अपनी पोती की बलाइयां ले रही थी, और बीना जी अपनी बेटी की नजर उतार रही … Read more

ख़ानदान की इज़्ज़त – करुणा मलिक    : Moral Stories in Hindi

बहनजी…… ये तुम्हारी जेठानी कहाँ गई , पिछले चार दिन से दूध ना ले रही…कभी किसी को…. कभी किसी को, दूध देना पड़ रहा है । क़रीब अठारह-बीस साल से दूध दे रहा हूँ पर पहली बार ऐसा हुआ कि दरवाज़े पर ताला लटका है ….. तुम्हें भी ना पता क्या , कहाँ गई ? … Read more

मायके का मोह –  विभा गुप्ता   : Moral Stories in Hindi

    ” राजन..तुमने पापा से बात किया.. क्या कहा उन्होंने ..I know, मना नहीं करेंगे।”     ” रिया..माँ कह रहीं थी कि…।”    ” माँ को तो मैं मना लूँगी…अभी डैड को कह देती हूँ कि हम कल वहाँ शिफ़्ट कर रहें हैं..मैं सामान लेकर सुबह चली जाऊँगी और तुम ऑफ़िस से सीधे वहीं आ जाना।” कह कर … Read more

सलाह – पुष्पा कुमारी “पुष्प”   : Moral Stories in Hindi

“बेटा!.मेरे चश्मे का शीशा टूट गया है,.इसे रख लो! दफ्तर जाते वक्त बनवा देना!” राजिव की मांँ अंजना जी अपना चश्मा वहीं टेबल पर रख कर अपने कमरे के भीतर चली गई। दफ्तर जाने के लिए तैयार हो रहा राजीव अपनी मांँ का टूटा हुआ चश्मा उठाकर अपनी शर्ट की ऊपर वाली जेब में रख … Read more

अपनापन का ढोंग क्यों ..? – अर्चना सिंह   : Moral Stories in Hindi

दो दिन से छाया बाजार करने में व्यस्त थी । काफी महीनों से घर में पूजा कराने को सोच रही थी । पर योजना बनाये गए कार्य अक्सर सफल नहीं ही होते हैं । कभी किसी रिश्तेदार की मौत, कभी उसके बच्चों की छुट्टी नहीं कभी कार्यक्षेत्र में कार्यभार ज्यादा आदि । हद तो तब … Read more

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