ऐसी भी सास होती है – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

झूले  पर बेठे नीता जी एवं सोमेश जी ऐसे ही फुर्सत के क्षण व्यतीत कर रहे थे। तभी   नीता जी बोली भगवान ने मेरी एक न सुनी  क्या हो जाता यदि दो बेटों में से एक को बेटी बनाकर  भेज देते। कम से कम मुझे समझने वाला कोई तो होता घर में। एक बेटी … Read more

ये आपकी गलतफहमी है कि बदनामी सिर्फ लड़की वालों की होगी… – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

” क्या हुआ बाऊ जी, किसका फ़ोन था?? ,, मेंहदी रचे हाथ लिए जब वसुधा कमरे में आई तो अपने पिता को फोन के पास परेशान बैठे देख पूछ बैठी। ” कुछ नहीं बेटा, बस यूं ही किसी रिश्तेदार का था …..! और तुम इधर उधर क्यों घूम रही हो बेटा… थोड़ा आराम कर लो … Read more

अशांति – निभा राजीव “निर्वी” : Moral Stories in Hindi

दुल्हन बनी रचना सज संवरकर बैठी थी और 7 वर्षीय रोहन उसकी गोद में बैठा कभी उसकी चुनरी से खेल रहा था तो कभी कंगनों पर हाथ फेर रहा था। उसके हर्ष का पारावार नहीं था। उसके पापा उसके लिए प्यारी सी मांँ जो ले आए थे। माँ के प्यार को तरसता रोहन आनंद के … Read more

सास बिना ससुराल – सुभद्रा प्रसाद : Moral Stories in Hindi

नीलम एक सुंदर,प्यारी सी लडकी थी | पिता श्यामसुंदर एक बिजनेस मैन थे और माँ एक कुशल गृहणी | दो बडे भाईयों की इकलौती छोटी बहन थी वह | दोनों भाईयों की अभी शादी नहीं हुई थी |  ग्रेजुएशन पूरा करते ही उसके पिता उसकी शादी की चर्चा करने लगे | नीरज एक स्मार्ट, पढा-लिखा … Read more

अशांति – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

सुबह के छह बज रहे थे रुक्मिणी को पाँच बजे ही चाय पीने की आदत थी। उन्होंने आवाज़ दी कि बहू चाय बनाएगी क्या? उनकी पुकार सुनते ही सौरभ की नींद भी खुल गई थी । पास में ही सो रही रम्या बड़बड़ाते हुए उठी कि दो मिनट रुक नहीं सकतीं हैं चाय चाय की … Read more

जे किसी से कम है का – वीणा : Moral Stories in Hindi

मौसी –माँ कहाँ है? ..दिख नहीं रही। पता नही..अभी तो कुछ देर पहले  तो यहीं थी। ये दीदी…तुमने देखा क्या माँ को..कहीं नहीं दिख रही, तब से ढूंढ रहा हूं। नीरज परेशान सा था। तभी शोर होने लगा..जल्दी आओ सब। पंडित जी घृतढारी के लिए कह रहे हैं। मुहूर्त हो गया है।  तभी किसी ने … Read more

लक्ष्मी नहीं गृह लक्ष्मी – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

 ” अरे समधी जी,आप आज अचानक से यहां!! सब खैरियत तो है??” विजय जी हाथ जोड़कर खड़े हो गए। चेहरे पर मुस्कान थी लेकिन मन आशंकाओं से घिरा था।  ऊपर से तो खुश दिखाई दे रहे थे लेकिन मन की अशांति उनके माथे पर पसीने की बूंद के रूप में उभर आई थी।  ” क्यों … Read more

कोई लौटा दे मेरे बीते हुए दिन – चम्पा कोठारी : Moral Stories in Hindi

यह विवरण कलयुग में 20 वी सदी के आरंभ की है. धरा की गोद में रहने वाले पेड़ पौधों की छाँव में दिन ब्यतीत हो रहे थे। मिट्टी पत्थर, घास फूस की झोपड़ियाँ ही इंसानों व पालतू जानवरों का आशियाना थे। सभी चाहे इंसान हो या पालतू जानवर एक दूसरे के सुख दुख में सहयोगी … Read more

हिटलर मत बनो – गीता वाधवानी : Moral Stories in Hindi

आज से लगभग 20 वर्ष पहले सुगंधा का विवाह सुनील से हुआ था। सुगंधा एक छोटे से शहर से मुंबई जैसे बड़े शहर में विवाह उपरांत आ गई थी। वह बहुत सीधी और संस्कारी थी। उसने अपने बड़ों से यही सीखा था कि पलट कर जवाब नहीं देना चाहिए और यदि सामने वाला बहुत गुस्से … Read more

खुशियां पैसों की मोहताज़ नही- संगीता अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

” मम्मी देखो ना सब लोग नए साल का जश्न मनाने को घूमने जा रहे हैं एक मेरी किस्मत ऐसी की इस चार दिवारी में बन्द हूं !” तान्या ने अपनी मम्मी वंदना जी को फोन लगा शिकायत की। ” पर बेटा पिछले साल तो तुम लोग घूमने गए थे इस बार नही भी जा … Read more

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