रिश्तों के बीच कलह क्यों? – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 ” मंजू…सुबह-सुबह ये क्या महाभारत लगा रखा है?” किचन से शोर सुनकर कृष्णकांत जी ने अपनी बेटी से पूछा।    ” कुछ नहीं पापा…मैंने रचना से कहा कि भिंडी की सब्ज़ी सूखी बनाना..पापा जी को रसेदार सब्ज़ी पसंद नहीं है..इसी बात पर मुझसे बहस करने लगी।” मंजू के कहते ही रचना बोली,” इसमें बहस की क्या … Read more

सोने का पिंजरा – पुष्पा पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

जगदीश को देखते ही पिता ने सवाल किया- “अरे जगदीश आ गये? कहो समाचार। बात कुछ बनी?” ” बात तो बन जायेगी। शुक्ला मौसा लड़का के दोस्त हैं। दोनों बनारस में एक साथ पढ़ते थे।” शुक्ला मौसा जगदीश की मौसी के देवर हैं।  लड़का जमींदार घराने का था। सुन्दर, संस्कारी और शहर में वकील था। … Read more

एक साड़ी ही तो है! – प्रियंका सक्सेना : Moral Stories in Hindi

 “अपनी सास के सामने कैंची की तरह जुबान चलाए जा रही है, हिम्मत तो देखो इस लड़की की । दादी सास का भी लिहाज़ नहीं है।” कहते हुए कामिनी  जी अपनी बहू रिया को सुना सुना कर कोसे जा रही हैं “आने दो सुनील  को। सब बातें बताउंगी उसे।  उसे  भी तो पता चले तुम्हारा … Read more

घर में शांति होनी चाहिए । – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

“नीलेश तुम सुबह खाने का डिब्बा घर पर ही भुल गये, अब मै कितना याद रखूं? खाना बनाकर देती हूं, वही काफी है, घर देखूं, बच्चे देखूं, या तुम्हें देखूं, मेरी तो जिन्दगी ही चकरघिन्नी हो गई है, पता नहीं मैंने तुमसे शादी ही क्यों की ? मेरी तो जिन्दगी ही नरक हो गई है, … Read more

*निराला ठग* – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 मानसी, मेरे प्रेम की इतनी कड़ी परीक्षा मत लो।तुम जानती तो हो,माँ ने मुझे कितने कष्टों से पढ़ाया लिखाया है।साथ ही खुद्दारी से जीने के संस्कार भी तो दिये हैं।      तभी तो तुम्हे समझा रही हूं,मानस।तुम्हारी एक हां, हमारा जीवन संवार देगी।देख लेना माँ भी खुश ही होंगी।      मानसी न तुम मुझे समझ पा रही … Read more

सोने के पिंजरे से ज़्यादा आत्मस्वाभिमान की टूटी-फूटी झोपड़ी कहीं ज़्यादा अच्छी होती हैं। – संध्या सिन्हा : Moral Stories in Hindi

अचानक से नींद खुली तो देखा सुबह के पाँच बज रहे थे…फ़ोन चार्जिंग के लिए उठाया तो एक मेसेज और कई मिस कॉल दिखी…अरे! ये तो मेरी सहेली गीता की बेटी की कॉल और मेसेज था, मेसेज पढ़ा तो.. दिल को धक्का लगा कि.. गीता के पति नहीं रहे, कल रात में सीने में अचानक … Read more

रिश्तों का बदलाव तब और अब…. – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

” समय कितना बदल गया,साथ ही खुशियों के मायने भी “रेवती जी ने उदासी से कहा। “तुम ठीक कह रही हो, पहले हमारी खुशी परिवार के साथ होती थी, पर आज खुशियाँ भी अपना अर्थ बदल दी, प्रतिस्पर्धा इस कदर बढ़ गई इसमें रिश्ते भी डूब जाते हैं, क्योंकि मैं इतना भारी हो जाता, जिसमें … Read more

अशांत… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

“दीदी अब मुझसे नहीं होगा… तुम्हें आना ही पड़ेगा…!” ” पर आकाश… मैं कैसे आऊंगी… दोनों बच्चों का क्या करूं… कहां छोड़ूं… कुछ तो सोचो…!” ” यही सब सोच सोच कर तो… इतने दिनों से अकेला सब झेल रहा हूं… पर अब नहीं… मुझे भी अपना घर देखना है… दो महीने हो गए… अस्पताल के … Read more

महल से छोटा घर कहीं ज्यादा अच्छा है -हेमलता गुप्ता : Moral Stories in Hindi

दीदी एक बार चल कर तो देखिए.. आपको पता नहीं इस टूटे-फूटे दो कमरे के छोटे से मकान में क्या आनंद आता है और अब तो जीजा जी भी नहीं रहे बच्चे भी दोनों बाहर रहते हैं, मैं कहती हूं दीदी आप अपनी छोटी बहन के साथ चलकर तो देखिए आप अगर मेरा घर देखेंगे … Read more

घर आँगन – अनु माथुर : Moral Stories in Hindi

घर की लाडली और चार भाई – बहनों में सबसे छोटी सुरुचि… जिसे सब रुचि कह कर पुकारते थे जिसका ग्रेजुेएशन  का  सेकंड इयर पूरा हुआ था … उसकी शादी की बात जब ओमकार जी ने घर में की की तो सबने कहा अभी ये छोटी है … लेकिन ओमकार जी के ज़ोर देने पर….. … Read more

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