अड़चने – सीमा बत्रा : Moral Stories in Hindi

सरिता ने जैसे ही अपना फ्लैट खोला तो अंधेरा पसरा हुआ था । रोज तो मंदिर वाले कमरे की लाइट जलती छोडकर जाती है। पर लगता है, आज जल्दी जल्दी में वो भी बंद कर दी थी । यही सोचते हुए सरिता ने अपने मोबाइल की टार्च जलाकर कमरे के कमरे के स्विच बोर्ड की … Read more

जिद – लतिका श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

मुझे भी किसी हिल स्टेशन पर घुमाने ले चलो मां की दस दिनों से जारी यह जिद समझ से परे थी।पता नहीं अचानक मां पर ये घूमने जाने का भूत कैसे सवार हो गया था लेकिन इस भूत भगाने के चक्कर में पिता जी के सारे तंत्र मंत्र बेकार हुए जा रहे थे। हमेशा की … Read more

अशांति की वजह कही मैं तो नहीं… – रश्मि प्रकाश : Moral Stories in Hindi

“ क्या हुआ महेश बाबू..आज फिर से आपका  घर जाने का मन नहीं कर रहा है ?” पार्क में महेश जी को बैठे देख कर उसी अपार्टमेंट में रहने वाले नवल जी ने पूछा  “ क्या ही बताऊँ नवल बाबू… कितना लाचार हो गया हूँ हर दिन घर में अशांति फैली रहती है और इसकी … Read more

जीने का मकसद – वीणा : Moral Stories in Hindi

बनारस स्टेशन के एक कोने में बैठ पार्वती काकी ज़ार ज़ार रोए जा रही थी कि तभी पवन की नजर उन पर पड़ी। वह पास जाकर पूछा– क्या हुआ काकी,क्यों इतना रोए जा रहे हो? कुछ खो गया का? रोते रोते ही काकी ने कहा – सब कुछ तो खो ही गया है बिटवा। जब … Read more

जीत – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

” तुम्हें कुछ समझ में नहीं आता है क्या? कितनी देर से चिल्ला रहा हूं मैं, कहां ध्यान है? कितनी लापरवाह हो गई हो तुम, किसी चीज की कोई जिम्मेदारी तुम्हारी भी है? इतना भी नहीं बोल सकी? किस काम की हो आखिर?? तेजप्रताप जी बहुत तेज तेज चिल्ला रहे थे। इतने गुस्से में ,माथे … Read more

मन की अशांति – शिव कुमारी शुक्ला : Moral Stories in Hindi

माया जी शहर के अशांती भरे माहौल को छोड कर वापस अपने कस्बे जा रही थीं ।शहर की अशांति से तो निकल गई। किन्तु मन की अशांति से कैसे निकले। जो रह-रहकर मन में हूक मार रही थी। बेटे की बातों  ने हृदय छलनी कर दिया। यदि आज  बहू यह सब कहती तो शायद इतना … Read more

मुहँ ना खुलवाओ – संध्या त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

 नमस्ते आंटी….. पौधों में पानी डाल रही है…..?? हां बेटा पर तुम कब आई ससुराल से गिन्नी…..?? तुम्हारी मम्मी ने बताया नहीं कि तुम आने वाली हो…. आओ अंदर बैठते हैं…! पाइप पौधों के बीच में रखते हुए आभा ने कहा….! हां आंटी वो अचानक ही प्रोग्राम बन गया…तो बस आ गई….।      गिन्नी आभा के … Read more

जब ये घर तुम्हारा है तो मेहमानवाजी की उम्मीद क्यों ?? – सविता गोयल : Moral Stories in Hindi

नीरा फटाफट नाश्ते का काम निपटकर आफिस के लिए तैयार हो रही थी कि दरवाजे की घंटी बजी… नीरा ने फटाक से भागकर दरवाजा खोला “अरे दीदी!! आप अचानक से!!! दरवाजे पर खड़ी अपनी ननद को बिना किसी खबर के अचानक से आया देख नीरा थोड़ा हैरान थी । ” क्यों भाभी , क्या अब … Read more

मेरी पहचान – आरती झा आद्या : Moral Stories in Hindi

“अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर सुश्री राधिका श्रीवास्तव ने दो सौ और पाँच सौ मीटर की रेस जीतकर देश में अपना परचम लहराया है।” अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के अवसर पर रखी गई प्रतियोगिता में श्रेष्ठ दिव्यांग खिलाड़ी के रूप में राधिका को सम्मानित किया जा रहा था। “राधिका ने अंतर्राष्ट्रीय दिव्यांग दिवस के मौके … Read more

लाल गाड़ी – संगीता त्रिपाठी : Moral Stories in Hindi

मीना के घर किट्टी थी, गपशप के बाद तम्बोला खेल शुरु ही हुआ था अचानक लीना राधिका से पूछ बैठी         “क्या बात है राधिका, आजकल भाईसाहब देर रात, एक लाल गाड़ी से आते है, सब ठीक है ना,” लीना के होठों पे रहस्यमयी मुस्कान देख, राधिका चिढ़ गई।      किट्टी पार्टी का शोर ये सुन कर … Read more

error: Content is protected !!