छोटी छोटी बातों में ख़ुशियों को तलाश करना सीखो – के कामेश्वरी : Moral Stories in Hindi

राजीव और सुभाष एक ही बिल्डिंग में आमने सामने वाले फ़्लैट में रहते थे । उन दोनों में अच्छी दोस्ती थी । रिटायर होने के बाद रोज सुबह शाम वाकिंग के बहाने सामने के पार्क में बातें करते हुए एक राउंड मारकर आ जाते थे । उन दोनों की सोच एक जैसी ही थी ।   … Read more

असर – बीना शर्मा : Moral Stories in Hindi

शाम के वक्त आंगन में अपनी पत्नी और बहू आनंदी को आपस में गपशप करते देखकर मनोहर मुस्कुराते हुए अपनी पत्नी कमला से बोले” तुम दोनों को आपस में गपशप करते हुए देख कर मन खुश हो गया अब ना बहू अकेली काम करते हुए थकती है और ना ही तुम घर में अकेले बैठी … Read more

तलाश करना सीखो । – बिमला महाजन : Moral Stories in Hindi

“जीवन लम्हो में जिआ जाता है ,मुक्कमल नही !” सब काम निपटा कर  श्यामली आराम करने लगी थी । सोचा कुछ हल्का -फुल्का पढ़ लूं ।   एक मासिक पत्रिका  के पन्ने पलट रही थी कि एक रचना का शीर्षक पढ़ कर चौंक गई । शीर्षक कुछ जाना पहचाना लग रहा था। जैसे ही रचना … Read more

नयी कहानी – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

  अरे,ये कौन है,किसने मेरी आँखें बंद की है।ये तो मेरा शैतान बच्चा लगता है।        हूँ-हूँ, दादू आप मुझे हर बार पहचान लेते हैं।क्या आपके पीछे भी आंखे हैं?       मेरे बच्चे, दादू के चारो तरफ आंखे हैं, पर वे तुझे ही देख पाती है।     दादू दादू आज तो आपको मुझे कोई कहानी सुनानी ही पड़ेगी।और हां … Read more

दिव्यतारा ( भाग 6 और अंतिम) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा —            जीजी , आप साड़ी तो बदल लें …  हां हां बदलती हूं ….मेहमानों में से रिश्ते की देवरानी मीना ने कहा … अरे क्या बताँऊ मीना…तारा मुंह फुला कर पार्लर गई है … क्यों जीजी …? वो कह रही थी… मेरी शादी में मम्मी आप भी मेरे साथ पार्लर जाकर … Read more

दिव्यतारा (भाग-5) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा —             एक दिन मजाक मजाक में दिव्य ने पूछा…. तारा तुझे कैसा लड़का चाहिए…?           तारा ने भी बड़े भोलेपन से जवाब दिया ….आपके जैसा दिव्य… जो मुझे समझ सके ….तारा का ये जवाब न जाने क्यों दिव्य को बहुत अच्छा लगा ….शायद यही तो सुनना चाहता था दिव्य… ! अब आगे … Read more

दिव्यतारा (भाग-4) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा —              दादी साड़ी के पल्लू की गांठ खोलने लगी…. आज उसमें से मिचूड़े मिचुड़े 20 ,50 , 100 के कई नोट थे …जो दादी ने जमा किए होंगे… उसे निकाल कर तपन को देते हुए बोली …..इसे एकदम अंदर रखना… आखिरी इमरजेंसी के लिए… और ये सिर्फ पैसे नहीं है… दादी … Read more

दिव्यतारा (भाग-3) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा —            अम्मा आज आप भी ले ही लो ना ….आज आपका पोता पास हुआ है ….रसगुल्ला के रस को निचोड़ते हुए मालती ने कहा ….       अरे अब पूरा ही रस निचोड़ कर देगी क्या बहू ….तो क्या मैं रूई के समान बेस्वाद सीठा सीठा रसगुल्ला खाऊंगी ……      मां अभी सुगर बढ़ा … Read more

दिव्यतारा (भाग-2) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

अब तक आपने पढ़ा —          अरे जा लल्ला तू लेकर आ जा…. भला पोते को खाने की इच्छा हो और दादी मान जाए , ऐसा कैसे हो सकता है …अरे मेरी दादी पैसे वाली है भाई ….कहकर तपन दादी की गोद में सिर रखकर लेट गया…। अब आगे —  तपन ओ तपन ….बाहर से दिव्य … Read more

दिव्यतारा (भाग-1) – संध्या त्रिपाठी : Moral stories in hindi

जय बजरंगबली… जय पीड़ा हारी…. जय कष्ट निवारण…… मम्मी ओ मम्मी.. कहां गई , देखो भाई बाहर कोई तुम्हें बुला रहा है …..बहू ओ बहू  जरा देखना चश्मा कहां रख दिया है मैंने ….मिल नहीं रहा , अरे कंघी करने को उतारा ….यही तो रखा था…. कहां चला गया… जैसे उसका भी पैर हो…          हे … Read more

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