गाजर मूली समझना – प्रतिभा भारद्वाज ’प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

“अब क्या हुआ, अब क्यों रो रहे हो आप…निकाल लीजिए अपने बेटे के सभी अंग और बेच दीजिए अच्छी कीमतों पर…. आप तो बहुत होशियार सर्जन हैं…..कोई तकलीफ भी नहीं होगी आपको…. “अपने 10 वर्षीय बेटे के शव पर विलाप करती मधु चीख चीखकर अपने पति डॉ. मयंक से कह रही थी। उसका इकलौता बेटा … Read more

नियति का रंग – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

 देखो मनीष,कुसुम मेरी बहू है,पर जब वह वंश बढ़ाने में सक्षम नही है,मुझे पोता नही दे सकती,मां ही नही बन सकती तो कुछ तो सोचना पड़ेगा ना।वह घर मे रहे मुझे आपत्ति नही,पर तुझे दूसरा ब्याह करना ही पड़ेगा।समझ रहा है ना तू? मैं सब समझ रहा हूँ माँ, तुम्हारा आशय यह है कि जिस … Read more

नींव घर की – प्राची अग्रवाल : Moral Stories in Hindi

शोभा शाम को सब्जी खरीदने के लिए बाजार गई होती है तभी उसकी मुलाकात उसकी एक पुरानी सहेली से होती है। दोनों सहेलियां बड़ी गर्म जोशी के साथ मिलती हैं। लगभग 10 साल हो गए होंगे, दोनों को एक दूसरे के बिना देखे हुए लेकिन देखते ही दोनों तुरंत पहचान लेती है। उसकी सहेली कोमल … Read more

क्या रिश्ते ऐसे टूट जाते हैं – मंजू ओमर : Moral Stories in Hindi

हेलो,रिचा, रिचा बेटा सुन रही हो, हां आंटी बोलिए मैं सुन रही हूं । बेटा तुम्हारी मम्मी ग्वालियर में आई ,सी यू में भर्ती हैं ।हालत नाज़ुक है ,ब्रेन हैमरेज हो गया है । बेहोश हो गई थी दो दिन हो गए आज बीच बीच में हल्का सा होश आता है तो वो बेहोशी की … Read more

टूटते रिश्ते – उषा शिशीर : Moral Stories in Hindi

रीना  ‍ रीना  पलट कर जब रीना ने अपने बचपन की साखी निशा को दिखा एकदम चौंक गई, अरे निशा तुम यहां, तुम तो गुड़गांव चली गई थी अचानक यहां कैसे।  अरे रीना चल गई थी, मगर अभी 2 वर्ष पूर्व पापा जी को अटैक आया, तो विवेक वापस दिल्ली आ गए अब पापा जी … Read more

बेटी अब से ससुराल ही तेरा घर है अब तो तू यहां की मेहमान है। – प्रतिभा भारद्वाज ‘प्रभा’ : Moral Stories in Hindi

सुबह सुबह अचानक अपनी बेटी सौम्या को अकेले दरवाजे पर देखकर पूनम आश्चर्यचकित रह गई। सौम्या की शादी कुछ ही महीने पहले हुई थी और ऐसा भी नहीं है कि सौम्या पहली बार इस तरह अकेले आई हो…इससे पहले भी वह अपने पति सुलभ से छोटी छोटी बातों पर झगड़कर अपने पति की शिकायत करने … Read more

पाप या पुण्य… – रश्मि झा मिश्रा : Moral Stories in Hindi

धम्म से गिरने की आवाज सुनते ही… प्रभा उठकर लपकी तो अम्मा बीच में आ गई…” नहीं तुझे नहीं जाना… लता जाएगी… लता देख तो…!”  “जी अम्मा…!” ” नहीं मां… भास्कर मेरी राह देख रहा होगा…!” ” बोला ना नहीं… सिर्फ भास्कर ही नहीं यह चार दिन की नन्ही जान भी तेरी राह देख रहा … Read more

जिंदगी रोबोट सी – बालेश्वर गुप्ता : Moral Stories in Hindi

बेटी अब ससुराल ही तेरा घर है, मायके में तो तू मेहमान है-यही कहा था ना माँ। जिसके साथ गठबंधन कर रिश्ता जोड़ा था, वह तो हर दूसरे दिन चोटी पकड़कर घर से निकल जाने की धौंस देता है, बता ना मां तू किस घर की बात कर रही थी? क्या ऐसा ही होता है … Read more

परिवार में चालाकियाँ बर्बाद कर देती हैं – शनाया अहम : Moral Stories in Hindi

माँ , बस करो , ये सब जो तुम कर रही हो ये परिवार में सही नहीं है।  अपना वर्चस्व क़ायम रखने के लिए तुम अपने ही परिवार में *फूट डालो राजनीती करो* की धारणा पर चल रही हो लेकिन आगे चलकर तुम्हारी ये चालाकियां तुम्हें कही का नहीं छोड़ेंगी ” अंजलि ने दुखी मन … Read more

सर जी – पुष्पा पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

सुबह चाय के साथ अखबार हाथ में लेते ही आरती अन्दर तक हिल गयी। चाय का कप हाथ से छूट कर जमीन पर बिखर गया। मन का मंदिर जो सुना हो गया था। “तो क्या नवीन सर अब नहीं रहे?” और अतीत का पन्ना फड़फड़ाने लगा। सातवीं कक्षा में थी आरती। उसी समय हिन्दी के … Read more

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