प्रेमालाप – पुरुषोत्तम : Moral Stories in Hindi

“क्या हमारा ब्याह न हो पायेगा आरू?” अरिंदम की बाँहों में सिमटी सुनयना ने आह भरते हुए कहा। “नहीं।” “क्यों आरू।” “क्योंकि तुम बड़े घर की हो और मैं छोटे घर का।” “लेकिन मुझे तुमसे दूर रहना होगा, यह सोचकर भी डर लगता है। मेरा ब्याह होगा किसी और से, तो तुमसे क्यों नहीं। प्रेम … Read more

”नेहा“ – पुरुषोत्तम : Moral Stories in Hindi

अनुमंडल से कोई बारह किलोमीटर दूर, संथाल की पठार का एक गाँव कमलपुर। गाँव नहीं देहात, भोले-भाले, खेती-किसानी करने वाले लोग। अनपढ़ों की पिछड़ी बस्ती। बस्ती पिछड़ी भली लेकिन सपने आसमान में उड़ने के; अपनी कमजोर और नन्ही ही सही पंखों के सहारे। इसी बस्ती में गरीब परिवार में जोड़ी भर आँखों में ऐसे ही … Read more

हमारी बहू – मीनाक्षी शर्मा : Moral Stories in Hindi

मेघा अभी 8 महीने पहले ही हमारे घर में ब्याह कर आई थी… गोरा रंग ,तीखे नैन नक्श ,बहुत सुंदर रूप… घर में उसकी पायल की आवाज से मानो चार चांद लग गए हो… मां से तो ऐसे घुल मिल गई थी ,जैसे वह उनकी बहू नहीं बेटी हो… मां की ओर से भी उसको … Read more

बहू हमारी महारानी – नेकराम : Moral Stories in Hindi

यह भीड़भाड़ वाला दिल्ली शहर है जहां नजर जाए चारों तरफ लोगों की चहल पहल कश्मीरी गेट के पास बने हनुमान मंदिर के पंडित जी सुरेश शास्त्री जी आज बहुत खुश है अभी तक वह 50 से ज्यादा वर और कन्याओं को विवाह के सूत्र में बांध चुके थे बिचौलिए का काम भी उन्होंने शुरू … Read more

बड़ी बहू तो घर की बंधुआ मजदूर थी – स्वाती जैन : Moral Stories in Hindi

वीणा , हमारी बेटी के लिए एक से एक रिश्ते आ रहे हैं मगर तुम हो कि सारे रिश्ते रिजेक्ट करती जा रही हो और बेटी की शादी कराने का नाम ही नहीं ले रही हो , मुकेश जी अपनी पत्नी वीणा से बोले !! वीणा जी बोली – पहली बात तो मैं अपनी बेटी … Read more

मुझे माफ़ कर दो – करुणा मलिक : Moral Stories in Hindi

दीदी , चल पड़ी हो क्या ? हाँ भाभी , ट्रेन चल पड़ी है । सीट तो ठीक मिल गई? बच्चों के साथ कोई परेशानी तो नहीं होगी ? जीजाजी भी आ जाते तो अच्छा रहता ।  नहीं-नहीं भाभी , कोई दिक़्क़त नहीं । आराम से पहुँच जाएँगे चलिए रखती हूँ । मिलने पर बात … Read more

ज़िम्मेदारी का एहसास – विभा गुप्ता : Moral Stories in Hindi

” अरे सिम्मी बुआ आप! आप कब आईं?” कहते हुए काजल ने अपना बैग सोफ़े पर रखकर बुआ को प्रणाम किया और अपनी मम्मी सुनयना से बोली,” मम्मी…बहुत थक गई हूँ।एक कप चाय…।” कहते हुए वह अपने कमरे में जाने लगी तो सिम्मी बुआ आश्चर्य-से बोली, ” काजल तू यहाँ…तुझे तो अपने घर होना चाहिए … Read more

अपने ही तोड़ते हैं रिश्ते – शुभ्रा बैनर्जी : Moral Stories in Hindi

प्रिया शादी करके जब ससुराल आई तो पीछे मायके में चार छोटे भाई बहन और मां छूट गईं।बचपन से अपने भाई -बहनों को बच्चों की तरह पाला था प्रिया ने। शुरू शुरू में तो उनकी बहुत याद आती थी,सास समझती थी प्रिया की तकलीफ़।महीने दो महीने में भेज देती थीं।जाकर मिल आती थी तो तसल्ली … Read more

रिश्तों की समाधि… – विनोद सिन्हा “सुदामा” : Moral Stories in Hindi

आज़ वर्षों बाद बाबूजी की अस्थियां लिए,मैं उस शहर को लौटा था,जहां मेरा बचपन गुजरा था,जहां मुझे माँ की ममता मिली,पिता का प्यार मिला था, रिश्तों की परिभाषाएं समझ आई थी.! पता चला सप्ताह भर की मूसलाधार बारिश के कारण सड़क कहें या रास्ता ,जगह जगह गड्ढे पड़ गए थे और बरसाती पानी से नाले … Read more

और वो लौट आई – कमलेश आहूजा : Moral Stories in Hindi

रात्रि के दस बज चुके थे थकीहारी प्रिया ने जैसे ही अपने फ्लेट की डोर बेल दबाई सोमिल ने दरवाजा खोला और बड़े ही अनमने मन से बोला -“अरे,आ गईं..काफी देर कर दी।क्या ऑफिस में आज ज्यादा काम था?” प्रिया ने सोमिल के भावों को पढ़ लिया था।औपचारिक स्वर में बोली -“हां..आप लोगों ने खाना … Read more

error: Content is protected !!