आया नहीं मां ही रहो – शुभ्रा बैनर्जी Moral Stories in Hindi

नैना आज बहुत खुश थी।साल भर बाद छोटी ननद आ रही थी,अपनी बेटी के साथ।शादी होकर आते ही अविवाहित छोटी ननद, नैना की सहेली बन गई थी।नैना की शादी के तीन साल बाद शादी हुई थी उसकी।हुई क्या थी,नैना ने ही करवाई थी। रिटायर्ड ससुर जी की जमा पूंजी प्रायः समाप्ति की कगार पर थी,जब … Read more

बुढ़ापा सार्थक हो गया – विभा गुप्ता Moral Stories in Hindi

 स्त्री हो या पुरुष, बुढ़ापा के बारे में सोचकर सभी चिंतित हो जाते हैं।जिनके बेटे हैं वो सोचते हैं कि अगर बहू सेवा न की तो…और बेटी वाले सोचते हैं कि काशः हमारे भी एक बेटा होता तो बुढ़ापा आराम से कट जाता।लेकिन श्री महावीर प्रसाद और श्रीमती कनकलता देवी जी का कहना था कि … Read more

जाग्रति – शुभ्रा बैनर्जी Moral Stories in Hindi

ममता से अब अपनी बहू का दुख देखा नहीं जा रहा था।शादी को सिर्फ दो बरस ही हुए थे।बड़े बेटे राहुल का ब्याह अपने गृहनगर (राजस्थान)में करवाया था उन्होंने।नीरजा (बहू)पढ़ी लिखी,सुंदर और सुशील लड़की थी।घर गृहस्थी संभालने में निपुण थीं नीरजा।राहुल जैसे गैरजिम्मेदार पति को संभाल लिया था उसने। सुबह दोस्तों के साथ क्रिकेट खेलने … Read more

लोगों का तो काम है कहना- शनाया अहम् Moral Stories in Hindi

अरे देखो तो कैसे रंग की साड़ी पहन रखी है, अभी पति को गए दिन ही कितने हुए हैं ,,, अरी ! बहन,दिन चाहे कितने भी हो जाये , विधवा तो सारी उम्र विधवा ही रहती है।  शर्म हया सब बेच खाई है , लगता है  ये शब्द साक्षी के कानों में गरम सीसे की … Read more

मुजरिम और सज़ा – डॉ कंचन शुक्ला Moral Stories in Hindi

” उसके आंसू उसके दिल के दर्द को बंया कर रहे थे राजीव , इसलिए मैंने उसे ज्यादा कुरेदना उचित नहीं समझा” मुक्ता ने अपने पति राजीव को गम्भीरता से जवाब दिया।    ” मुक्ता तुम दिल की  अच्छी और मासूम हो सभी को अपने जैसा समझती हो यही वजह है तुम लोगों की बातों पर … Read more

बुढापा..एज इज जस्ट ए नंबर – रीतू गुप्ता Moral Stories in Hindi

राधा के घर में खूब हलचल थी, आज उसके बेटे बहु उसका ६०वां जन्मदिन धूमधाम से मना रहे थे।    राधा ने खूब मना किया कि इस बुढ़ापे में यह सब कहाँ अच्छा लगता है…  पर उनकी बहु सिया नहीं मानी।  वो बोली… माँ, दिल होना चाहिदा है जवान … उम्र च की रखिया।    राधा की … Read more

बोया पेड़ आम का***फल कैसे मीठा न होये – शिव कुमारी शुक्ला: Moral Stories in Hindi

केतकी सुबह उठकर जैसे  ही पापा जी के कमरे की और गई तो उसने देख वे कुछ असहज लग रहे थे। पापाजी कोई परेशानी है आप इतने बैचेन  कैसे हो रहे हैं। हां बेटा मुझे बाशरूम जाना है और में उठ   नहीं पा रहा। तो इसमें इतना परेशान होने की क्या बात है चलिए में … Read more

सिर्फ दूसरों के लिए जीना नहीं है।- अंजना ठाकुर: Moral Stories in Hindi

मांजी आज हम लोगो को देर हो जायेगी आने मैं.. आप अन्नू और मुन्नू को खाना खिला देना और पापाजी से कहना उनका होमवर्क करा कर उनके बैग लगा दे ।नही सुबह स्कूल को देर हो जायेगी। सरिता जी बोली ठीक है ।क्योंकि अक्सर ही उनके बेटा – बहु घूमने निकल जाते और उन पर … Read more

क्या यही होता है बुढ़ापा – मंजू ओमर: Moral Stories in Hindi

मांजी , मम्मी जी लो खाना खा लो सुमित्रा जी के सामने खाने की थाली रखते हुए ममता बोली। ममता सुमित्रा जी के घर पर आठ साल से बर्तन धोने का काम करती है ‌। सुमित्रा जी ने जैसे ही रोटी का निवाला तोड़ा आंख से आंसू आ गए ।ये क्या मांजी तुम रोओ नहीं … Read more

बिल-भगवती सक्सेना: Moral Stories in Hindi

“माधुरी, दूध का बिल इस बार इतना ज्यादा क्यो आया?”  “देखो ये ग्वाला सही बोल रहा, क्या ?” अभी पैसे दे दो, फिर तुम्हे सब समझाती हूँ।” “क्या करूँ, मैंने भी मना किया था, पर सासु जी नही मानी, स्वयं ही दूध वाले से ज्यादा ले रही हैं कि पापा जी के दांत में दर्द … Read more

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