सासू मां आपका बंटवारा नहीं हुआ है। – अर्चना खंडेलवाल : Moral Stories in Hindi

कमरा हंसी से गूंज रहा था, देवांशी अपनी सहेली से बात कर रही थी, “अरे! नहीं यार मै कौनसी अपनी सास की उम्र भर सेवा करने वाली हूं, अभी मेरे बच्चे छोटे हैं,और मेरी सास को खाना बनाकर खिलाने का शौक है तो मेरे खाना बनाने वाली के पैसे बच जाते हैं, वरना इस सोसायटी … Read more

बहू भी तो एक ही है – अर्चना खंडेलवाल : Moral stories in hindi

राधिका की शादी एक मध्यमवर्गीय परिवार में हुई थी, राधिका की सास सुनंदा जी अपनी बहू को बेटी की ही तरह रखती थी, वो भी अपने घर में अच्छे से रच-बस गई थी, अपने पति प्रवीण का वो हर सुख-दुख में बराबर साथ देती थी। कुछ दिनों से वो प्रवीण को बहुत उदास देख रही … Read more

अधूरे थे…पूरे हो गये – विभा गुप्ता  : Moral stories in hindi

      बावन वर्षीय मनोहर बाबू हाथ में लिये अपने परिवार की तस्वीर को एकटक निहारे जा रहे थे और उनकी आँखों से अविरल अश्रुधारा बहे जा रही थी।अपने बच्चों के नाम बुदबुदा रहे थे तभी घर का पुराना नौकर रामू काका आकर बोले,” बड़े बाबू… खाना खा लीजिए…सात दिन हो गये हैं… आपने अन्न का एक … Read more

दुःख में सुख की खोज – बालेश्वर गुप्ता : Moral stories in hindi

   पापा पापा, भैय्या हमें छोड़कर चले गये।भैय्या बिना कैसे रहेंगे?     क्या–या या-रोहन चला गया।ओह, ये दुःख भी जीवन मे देखना बदा था।ईश्वर तूने मुझे क्यों नही उठा लिया?        अपने समय के सफल कारोबारी रहे शांतिस्वरूप जी अब अधिकतर समय घर पर ही बिताते थे।उम्र भी तो 80 वर्ष के करीब हो गयी थी।दो बेटे थे … Read more

शर्म से गड़ना – डॉ संगीता अग्रवाल: Moral stories in hindi

आज किधर चीप मार्केट में आ गई हो तुम?अखिल झुंझला के दिव्या से बोले। चलो तो..दिव्या ने अपने पति अखिल का हाथ खींचते हुए कहा। तुम??और साप्ताहिक पेंठ से सामान खरीदो,इंपॉसिबल!अखिल बड़बड़ाया… इसको तो पड़ोस में मंदिर भी जाना होता है तो अपनी शानदार बी एम डबलू निकलवाती है ड्राइवर से,बिसलेरी पानी के नीचे कुछ … Read more

क्या बिना पैसों वालों की औकात नहीं होती – हेमलता गुप्ता: Moral stories in hindi

यह देखो रिचा… तुम्हारे पापा ने नेग में₹1100 ही दिए हैं, क्या यही औकात रह गई है मेरी! महीने की लाखों की सैलरी है मेरी, अच्छा लगता है ₹1100 देना… !अरे यार नितेश.. प्लीज.. यहां तो शांत हो जाओ, यह तुम्हारा घर नहीं है मेरा मायका है, और यहां तुम इकलौते जमाई नहीं हो, मेरे … Read more

अपनों का साथ – संगीता अग्रवाल : Moral stories in hindi

” विपिन आप आ गए ….क्या बात है इतने परेशान क्यो हो ?” पति के घर आते ही संध्या ने पूछा। ” कुछ नही बस ऐसे ही !” विपिन ने संध्या को टाल दिया और अनमना सा सोफे पर अधलेटा हो गया। विपिन व संध्या के दोनो बच्चे आठ साल का रोहान और दस साल … Read more

धिक्कार है ऐसे रिश्तों पर –  हेमलता गुप्ता: Moral stories in hindi

रवि, उसके बड़े भाई विजय और विजय की पत्नी सुरभि तीनों का छोटा सा और सुंदर परिवार था! रवि और विजय के माता-पिता का देहावसान हो चुका था, सुरभि रवि को अपने बेटे जैसे ही प्यार करती थी, और इन इन दिनों  घर में रवि की नौकरी लगते ही शादी की तैयारी शुरू होने लगी … Read more

धिक्कार !! – स्वाति जैन : Moral stories in hindi

क्या दादाजी नहीं रहे ?? यह सुनकर मिहिर के हाथ से फोन बेड़ पर गिर गया !! भारत से आए इस कॉल ने मिहिर को हिला कर रख दिया !! बहुत प्यार करता था मिहिर अपने दादाजी से !! मिहिर जब अपनी पढ़ाई के लिए विदेश आने वाला था उसके एक महिने पहले ही मिहिर … Read more

औकात मां-बाप से होती है – शुभ्रा बैनर्जी : Moral stories in hindi

मिली आज सुबह से ही जिद कर रही थी कि दादू और दादी को भी जाना होगा,उसका रिजल्ट लेने।सुमित को पता था कि सुषमा(मिली की मां)कभी नहीं मानेगी।पिछले तीन सालों से मिली ज़िद करती रहती और बाबूजी और मां कोई ना कोई बहाना बनाकर टाल देते। आज मिली की जिद पर सुमित ने सुबह ही … Read more

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