परिवार की अहमियत – सुभद्रा प्रसाद: Moral stories in hindi
शाम का धुंधलका फैलने लगा था |शंकर बाबू अपने हाथों में सब्जी का थैला थामे जल्दी जल्दी पुल पार कर रहे थे | एक दोस्त से बात करने के चलते कुछ देर हो गई थी और अब वे जल्दी से घर पहुंचना चाह रहे थे| पुल ज्यादा लंबा नहीं था |नीचे नदी बह रही थी … Read more