दहेज – अनिला द्विवेदी तिवारी : hindi stories with moral

hindi stories with moral : प्रिया और राकेश बचपन से बहुत अच्छे दोस्त थे। स्कूल से कॉलेज में चले गए परन्तु उनकी दोस्ती बरकरार रही। राकेश कब उसे मन ही मन पसंद करने लगा पता ही नहीं चला। हालांकि प्रिया, राकेश को महज एक दोस्त ही मानती थी। पढ़ाई-लिखाई भी धीरे धीरे पूरी हो गई … Read more

जब मैने कोई गलती नही की तो क्यों बर्दाश्त करूं – वीणा सिंह : hindi stories with moral

hindi stories with moral : पूरे दो साल बाद मयंक अपनी मां पापा के साथ मेरे घर समझौते के लिए आए हैं.. मेरे पापा मम्मी मुझे आवाज दे रहे हैं नव्या आ जाओ बेटा.. मैं सधे संतुलित कदमों से तीन साल की बेटी तन्वी को गोद में लिए कमरे में गई.. सास ससुर को संस्कार … Read more

एक घर मेरे नाम का – पूजा गीत  : hindi stories with moral

hindi stories with moral : आज निधि ने अपने सभी घरवालों और मित्रों को पार्टी के लिए आमंत्रित किया था। उसी की तैयारी में लगी हुई थी। पूरा घर जगमगा रहा था और साथ ही जगमगा रहा था बाहर लगा नेम प्लेट भी, जिसमें ऊपर लिखा था “शुचिज़ होम” और नीचे लिखा था “ज्ञान-निधि”। नियत … Read more

मन की वेदना-मुकेश पटेल : hindi kahani

आज मैंने निश्चय कर लिया था कि अब साहिल के साथ मुझे 1 दिन भी नहीं बिताना है मैंने अपना सारा सामान पैक कर लिया था मैं सोच रही थी कि  शाम को साहिल के ऑफिस से घर आने से पहले ही मैं पड़ोसी को चाबी देकर इस घर को छोड़कर हमेशा के लिए चली … Read more

समाज सेवा – विभा गुप्ता: hindi stories with moral

hindi stories with moral :   ” माँ…मेरे आईएएस बनने की खुशी में मेरी सहेलियाँ मुझे किसी बड़े रेस्ट्रां में पार्टी देने के लिये कह रहीं हैं।मुझे कुछ समझ नहीं आ रहा है…क्या करुँ…पार्टी दूँ या मना कर दूँ….।” अपना हैंडबैग टेबल पर रखती हुई दीपा ने अपनी माँ से पूछा जो रसोई में बेटी के … Read more

किसी से ना कहिएगा – लतिका श्रीवास्तव: hindi stories with moral

hindi stories with moral : रमेश जी आप ही बताइए मैने ऐसा क्या  कहा जो मोहन जी मुझ पर बिगड़ने लग गए कल मैंने उनके बारे में सोसाइटी की मीटिंग में कोई बुराई नही की थी फिर भी वह ऐसा क्यों सोच रहे हैं !! हां हां मैं भी यही सोच रहा था राधेश्याम जी … Read more

विधवा नहीं सधवा – प्रीति सक्सेना

मैं सुधा!! एक नई नवेली दुल्हन  !! पर मैं न तो शरमा रही हूं न ही लाज से मेरी आंखें बोझिल हो रही हैं, मैं सोच में डूबी हूं…. क्यों डूबी हूं ? क्या वजह है मेरे सोचने की? उसके लिए मुझे दो वर्ष पीछे की स्मृतियों में जाना पड़ेगा और अपने अतीत को बाहर … Read more

घर अब घर लगता है – संगीता अग्रवाल : hindi stories with moral

hindi stories with moral : ” क्या बात है नीलेश इतना उदास क्यो लग रहा है ?” अतुल जो नीलेश का सहकर्मी और दोस्त दोनो था उसकी सीट पर आ पूछने लगा। ” क्या बताऊं यार परेशान हो गया हूँ मैं अपनी जिंदगी से !” नीलेश दुखी स्वर मे बोला। ” अरे मेरे भाई अभी … Read more

नेम प्लेट – गीता वाधवानी : hindi stories with moral

hindi stories with moral : आज रमा के पर जमीन पर नहीं पड़ रहे थे। मानो वह उड़ती उड़ती सी फिर रही थी। बार-बार घर के बाहर जाकर  दरवाजे के पास वाली दीवार पर लगी हुई नेम प्लेट को अपने पल्लू से पोंछती और उसे देखकर खुश होती फिर मुस्कुराती और अंदर चली जाती। पिछले … Read more

कैसा ये इश्क है ( भाग – 5) – संगीता अग्रवाल : hindi stories with moral

hindi stories with moral : इधर मीनाक्षी की आँखों मे नींद नही थी आज के घटनाक्रम से वो सहमी सी हुई थी । अपनी तरफ से इतने दिनों मे मीनाक्षी ने पूरी कोशिश की के केशव और उसके बीच मे उसके पिता का पैसा ना आये पर आज लगता है उस पैसे ने उनके रिश्ते … Read more

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