समय का चक्र – स्वप्निल “आनंद” : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सरिता जी प्रत्येक गर्मी की छुट्टियों में अपने दोनों बेटों को लेकर अपने मायके चली जाती थीं। उनके मायके में उनका छोटा भाई, भाई की पत्नी ऋतु और उनके 2 छोटे–छोटे बच्चे थे। गांव का समाज था, इसलिए सामाजिक प्रचलनों का भी पालन करना अनिवार्य माना जाता था। सरिता जी … Read more

प्रतिस्पर्धा- मंगला श्रीवास्तव : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : सुहाना और सविता दोनो बहनें थी। सुहाना बड़ी थी और सविता उससे चार साल छोटी थी । सुहाना को बचपन से ही विहान और संजीता ने बहुत लाड़ प्यार से पाला था क्योंकि उसका जन्म उन लोगो की शादी के काफी दिनों बाद बहुत मान मन्नत से हुआ था, लेकिन … Read more

लड़के वाले (भाग -9) – मीनाक्षी सिंह : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : जैसा कि आप सबने अभी तक पढ़ा कि नरेश जी अपने बड़े बेटे उमेश जो कि फौज में हैं,,के लिए भुवेश जी के यहां लड़की देखने आयें हुए हैं… पहली बार तो लड़के वालों को लड़की शुभ्रा बिल्कुल पसंद नहीं आती .. पर वीनाजी(उमेश की माँ) के कहने पर लड़की … Read more

एक थी श्रद्धा…..  – विनोद सिन्हा “सुदामा”

आप समझते नहीं पापा…आपके खयालात आज भी वही पुराने और घिसेपिटे हैं… अब मैं बड़ी हो गई हूँ..और अपना अच्छा बुरा सोच सकती हूँ.और मुझे मेरा फैसला लेने का पूरा अधिकार है.. लेकिन बेटा …..ऐसी भी क्या जल्दी…पहले उसे समझ तो ले..जान ले अच्छी तरह क्या करता है..कहाँ रहता है..घर परिवार कैसा है… विकास जी … Read more

टांग अड़ाना – सरोज माहेश्वरी : Moral Stories in Hindi

हॉल में सजे मेडलों को देखकर लालाराम जी बोल उठे..अरे सुहानी! ये तुम्हारे दौड़ में मिले मेडलों से क्य़ा फायदा , तुम पी. टी ऊषा तो बनने वाली हो नहीं फिर क्य़ों  दौड़ भाग के चक्कर में पड़ी हो.. अरे शेखर! खिलाड़ी बनाने में क्यों बेटी का समय बर्बाद कर रहे हो। थोड़ी देर बाद … Read more

“अर्धांगिनी…. – रेणु मंगल : short story with moral

घूमने का शौक किसे नहीं होता और ये तब और भी खुशनुमा बना जाता है जब किसी युवा जोड़े की शादी हुई हो और वह एकसाथ घूमने जाएं मोहन और सुधा की शादी को भी बस महीना भर ही हुआ था कम्पनी से पूरे पंद्रह दिनों की छुट्टी मिली थी सो मोहन अपनी नवविवाहिता पत्नी … Read more

तिरस्कार – प्रेम बजाज

“सीमा, अरी ओ सीमा कब से बुला रही हूं, कहां मर गई”  बड़बड़ाती हुई आरती कमरे से बाहर आई तो देखा सीमा रसोई घर में फर्श पर उकड़ू होकर बैठी है और उसकी आंखों से झर-झर आंसू बह रहे हैं। “क्या हुआ ये टसुए क्यों बहा रही है, कोई मर गया है क्या तेरा जो … Read more

बंटवारे की नींव – डॉ. पारुल अग्रवाल

अंजलि के देवर पराग की शादी तय हो गई थी। उसके पति नीलेश के एक भाई और एक बहन थी। बहन की शादी हो चुकी थी। अंजलि और उसके पति दोनों नौकरी में थे इसलिए दूसरे शहर में रहते थे जबकि देवर ससुर जी के साथ ही व्यवसाय में था इसलिए सास-ससुर के साथ रहता … Read more

“जिम्मेदारी” – डॉ अनुपमा श्रीवास्तवा

“देखिये भैय्या ,आपको सुनने में थोड़ा कड़वा लगेगा लेकिन मुझे यह मजबूर होकर  कहना पड़ रहा है कि हम पूरे खानदान भर का  बोझ नहीं उठा सकते! मेरी भी अपनी जिन्दगी है। जिन्दगी की छोटी- मोटी खुशियां हैं ,बाल बच्चे हैं। मुझे उनके लिए भी सोचने की जरूरत है। बचपन से हमने जो जोड़- तोड़कर … Read more

रसोई की बुलबुल आजाद हो गई-मुकेश कुमार

विनोद अपने घर में सबसे बड़ा था.  और वही अकेला अपने घर में कमाने वाला भी था आज वह जहां पर नौकरी करता था महीने की आखिरी दिन था और तनख्वाह मिलने का भी दिन था.  सुबह घर से निकलते ही उसने अपने घर की पूरी लिस्ट बनाकर रखा हुआ था कि घर के लिए … Read more

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