होनहार बेटा – पूनम अग्रवाल

राम आज बहुत खुश हैं , खुश हो भी क्यों न ?आज उसके माॅं बापू गाॅंव से बंगलौर आ रहे हैं । अभी तीन महीने पहले की ही तो बात है जब उसने कामनी के साथ सात फेरे लेकर उसे जीवन संगिनी बनाया था । माॅं भी बहुत खुश थी ।शादी का सारा काम दौड़ … Read more

बात में दम तो है – पूर्णिमा सोनी : Moral Stories in Hindi

श्रुति कालेज से लौटी तो पता चला लड़के वाले आ चुके थे। मम्मी -पापा  उनकी खातिरदारी का काम अकेले ही संभाल रहे थे। भाभी कमरे में बंद थी… जानबूझकर.. हां उनका व्यवहार कुछ ऐसा ही था, परिवार में कोई भी काम पड़े,कमरा बंद करके पड़ी रहती थी।    मम्मी कहती थी कि पहले बेटे का ब्याह … Read more

“आधा हिस्सा” – डॉ .अनुपमा श्रीवास्तवा

 राकेश बालकनी में बैठे एक हाथ में पेपर और दूसरे हाथ में मोबाईल लिए पता नहीं किस सोच में डूबा था। सामने टेबल पर चाय ठंडी हो रही थी पर उसका ध्यान…..। रिया ने पीछे से आवाज लगाई-” कहाँ ध्यान है आपका? चाय भी ठंडी हो गई। “ “रिया गाँव से पिताजी का फोन था।” … Read more

तिरस्कार – पुष्पा पाण्डेय 

किसन कार्यालय से घर जा रहा था। अपने काम से ड्राइवर ने एक दुकान पर गाड़ी को थोड़ी देर के लिए रोक दिया। गाड़ी में बैठे किसन की नजर एक ठेले की दुकान पर अटक गयी। ठेले पर लिखा था कि ‘यहाँ चावल की रसमलाई मिलती है।’  किसन को जैसे एक झटका सा लगा और … Read more

शास्त्री जी- विभा गुप्ता: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : हमारी कॉलोनी में एक पंडित जी रहा करते थें,नाम था उनका शशिभूषण शास्त्री।सभी उन्हें शास्त्री जी कहकर पुकारते थें।अगर किसी ने उन्हें गलती से भी पंडित जी कह दिया तो फिर वो उसका ऐसा भविष्य बता देते थें कि… कॉलोनी में जिसे भी पूजा करानी हो,मुंडन-संस्कार कराना हो, विवाह-कार्य करवाना … Read more

मायका – मुकेश कुमार सोनकर: Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : “सुनो जी मैं कहे देती हूं बहनों के प्यार में अंधे होकर अपनी कमाई को यूं पानी की तरह बहाने की कोई जरूरत नहीं है कुछ अपने बीवी बच्चों का भी सोचा करो ये मेरे पास साड़ियां रखी हुई हैं इसे ही अपनी बहनों को देकर तीज त्यौहार की बला … Read more

वक्त का फेर- पुष्पा पाण्डेय : Moral Stories in Hindi

Moral Stories in Hindi : बंद घर में आज रौशनी देख विनायक परिवार को खुशी हुई कि चलो, अब पड़ोस में कोई आया। जब से विनायक जी यहाँ आए थे ये घर बंद ही पड़ा था। पड़ोसी धर्म निबाहने पति-पत्नी उनके घर गये। पता चला सेवानिवृत्त कर्नल हैं। पत्नी जवानी में ही अलविदा कह गयी। … Read more

अपनों की अहमियत – संगीता अग्रवाल 

ये क्या खुशी और अथर्व तुम दोनों फिर फोन में लग गए हो !” तृप्ति ने अपने दोनों बच्चों से कहा। ” और क्या करें मम्मा स्कूल की छुट्टियां है कुछ काम नहीं करने को तो फोन ही चलाएंगे ना !” बारह साल का अथर्व बोला। ” और नहीं तो क्या !” दस साल की … Read more

मायके की दीवाली – शुभ्रा बनर्जी 

“मम्मी! हम इस बार भी दीवाली नहीं मनाएंगे क्या?” आशू की मायूस आवाज सुनकर नेहा सहम गई।”क्यों बेटा? तुमने ऐसा क्यों सोचा? नेहा ने उसे पुचकारते हुए पूछा। “मम्मी काॅलोनी में सभी के यहां दीवाली की तैयारी शुरू हो गई है।और तुम हो कि पिछले कई दिनों से ऐसे ही गुमसुम बैठी हो।”बोलो ना मम्मी … Read more

स्नेह का बंधन – निभा राजीव “निर्वी”

“गिरिधर भैया, तुमसे मैंने कितनी देर पहले शटल कॉक लाने को कहा था बाजार से, पर तुम अभी तक लेकर नहीं आए। कामचोरी की भी हद होती है। एक काम भी बोल दूं तो ढंग से नहीं होता तुमसे।” … सुमित की आंखें गुस्से से जैसे आग बरसा रही थी। “तू इस नालायक से काम … Read more

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