अब पछताए होत क्या? – मुकुन्द लाल

  अब पछताये होत क्या? (दूसरी और अन्तिम किश्त)   पल-भर के लिए पति-पत्नी असमंजस की स्थिति में अपने पुत्र के साथ खड़े रहे दरवाजे की ओट में। फिर बारी-बारी पति-पत्नी और पुत्र ने चन्दर के चरण-स्पर्श की औपचारिकता निभाई।  “कौन?…” फिर चश्मा संभालते हुए उसने कमलेश, माधुरी और वरुण को देखा।    उसके मुंँह से अनायास … Read more

छुई मुई या चंडी – संगीता अग्रवाल | family story in hindi

” देख देख कितनी सुंदर है वो !” कॉलेज कैंपस मे खड़ी रितिका अपनी सहेली शीना से किसी की तरफ इशारा करती हुई बोली। ” हाँ यार बिल्कुल छुई मुई सी है ये तो मानो कोई छू भी दे तो मैली हो जाये !” शीना उसकी तरफ देखते हुए बोली। कैंपस मे खड़े हर विद्यार्थी … Read more

आक्रोश – अविनाश स आठल्ये

क्या समझ रखा है तुमने प्रशासन को?कितना भ्र्ष्टाचार करोगे? कुछ ईमान धर्म बचा है या पूरा ज़मीर बेच खाये हो? श्रीवास्तव साहब ने “आक्रोश” से भरकर “बड़े बाबू”  मेश्राम की फ़ाइल को फेंकते हुये कहा… जी सर.. यहाँ तो ऐसा ही चलता था, पहले वाले SDM साहब भी ऐसी ही फाइलों में दस्तख़त कर दिया … Read more

 ज्योति की ज्वाला – पूनम अरोड़ा 

      यहाँ  उल्लेख  किए गए पात्रों  के नाम और स्थान काल्पनिक  हैं लेकिन  मनोभाव सत्य । अपने नाम  की तरह  ही खूबसूरती की प्रभा को उज्जवलित  करती ,दामिनी के समान स्फुरित चमक  की लहक से उदीप्त,  अनुपम, अद्भुत  सौन्दर्य  की स्वामिनी  थी “ज्योति” । साधारण सी आय वाले साधारण सी माता पिता की इकलौती संतान थी … Read more

बूढ़े माता-पिता अच्छे नहीं लगते – शुभ्रा बैनर्जी | motivation story in hindi

रागिनी अपनी ननद के बेटे के उपनयन संस्कार में दिल्ली आई थी। सास-ससुर एक महीने पहले ही आ चुके थे।सास को इस अनुष्ठान के विधि-विधान का अच्छा अनुभव था, इसलिए ननद ने जल्दी बुलवा लिया था।दस साल पहले रिटायर हो चुके ससुर के पास जमा-पूंजी के नाम पर कुछ विशेष नहीं बचा था।उनके घर का … Read more

आक्रोश – आरती झा आद्या

मन करता है तलाक ही ले लूॅं तुमसे। देखना एक दिन तुम तलाक लिवा कर ही मानोगी…संजय और करुणा की पच्चीस साल की शादी में बहस तो आम सी बात हो गई थी। हाॅं हाॅं…सही है…पहले जहर खा लूॅंगा…घर छोड़ कर चला जाऊॅंगा कहकर चुप कराते थे, अब तलाक का शौक हो आया है… करुणा … Read more

जीवन धारा –  कविता भड़ाना

“कितना समय है मेरे पास डॉक्टर साहब” सीमा ने केबिन में बैठे डाक्टर आशुतोष से पूछा तो उन्होंने बेहद गंभीर आवाज में कहा.. अधिक से अधिक 6 महीने ही है आपके पास क्योंकि ये ब्रेन ट्यूमर बहुत तेज़ी से फैलता जा रहा है … गहन विचार करने के बाद सीमा ने बड़ी शांति से पूछा… … Read more

आक्रोश –  अमित रत्ता

कहते हैं आक्रोश अक्ल को खा जाता है आक्रोश आबेश में उठाए कदम की सज़ा कई पीढ़ियों को भुगतनी पड़ती है। पलभर का आक्रोश पूरी जिंदगी तबाह कर जाता है। ऐसा ही कुछ हुआ था इस परिवार के साथ। कहानी है एक मध्यम बर्गीय परिवार की जिसमे माता पिता और दो भाई थे। एक कि … Read more

जब आया ऊँट पहाड़ के नीचे! – नीलम सौरभ

साँवली-सलोनी कात्यायनी को हर मायने में कुशल गृहणी कहा जा सकता था लेकिन पता नहीं यह उसके भाग्य का दोष था या फिर उसमें व्यवहारिक बुद्धि की कमी कि उसके ससुराल में सभी उसे घर की मुर्गी दाल बराबर समझते थे। सर्वगुण-सम्पन्न होने के बाद भी ब्याह करके आने के बाद से ही उस बेचारी … Read more

 आधारशिला –  बालेश्वर गुप्ता |  Very Emotional Story In Hindi

    एक मुद्दत के बाद शंकर का अपने बचपन के मित्र रमेश से उसके फ्लैट में ही मिलना हो रहा था।असल मे मोबाइल ने दूरियां तो कम की है,पर प्रत्यक्ष मिल कर अपने दुःख सुख की अनुभूति कराना, छीन लिया है।दोनो मित्र मोबाइल पर बात चीत करते रहते थे,पर अपनी बातों को,अपने मनोभावों को कहां प्रकट … Read more

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