अब पछताए होत क्या? – मुकुन्द लाल
अब पछताये होत क्या? (दूसरी और अन्तिम किश्त) पल-भर के लिए पति-पत्नी असमंजस की स्थिति में अपने पुत्र के साथ खड़े रहे दरवाजे की ओट में। फिर बारी-बारी पति-पत्नी और पुत्र ने चन्दर के चरण-स्पर्श की औपचारिकता निभाई। “कौन?…” फिर चश्मा संभालते हुए उसने कमलेश, माधुरी और वरुण को देखा। उसके मुंँह से अनायास … Read more