नानी का गांव –   कविता भड़ाना

बहुत सालों बाद यूपी के ग्रामीण क्षेत्र के अन्तर्गत आने वाले प्यारे से “नानी के घर” जानें का मौका मिला गर्मियों की छुट्टी चल रही है तो मैं भी कुछ दिनों के लिए पीहर आई हुई हूं और एक दिन बातों ही बातों में मम्मी  मुझ से बोली … “चल तुझे तेरे नानी के घर … Read more

जानकी अम्मा – वीणा सिंह

कार्तिकेय नलिनी और श्रीनाथ का एकलौता बेटा.. माता पिता दोनो एक कंपनी में इंजीनियर थे.. जानकी नलिनी के अपार्टमेंट में नलिनी के अलावा पांच और घरों में काम करती थी.. उम्र होगी मुश्किल से पच्चीस साल.. सांवला रंग कमर तक झूलती चोटी को तीज त्योहार में जुड़ा बनाकर फूलों के गजरे से सजा लेती तो … Read more

आक्रोश ने दिलाया प्रमोशन  – सुषमा यादव

उस समय मैं छिंदवाड़ा जिले में उच्चतर माध्यमिक विद्यालय में शिक्षिका थी। मेरे पति वहां एग्रीकल्चर में अधिकारी की पोस्ट पर थे । हमारा छोटा सा परिवार बहुत सुखी था। ज्यादा की हमने कभी कामना भी नहीं की थी।दो छोटी बेटियां, और हम दो। बहुत खुश थे हम सब। छिंदवाड़ा शहर भी बहुत बढ़िया था … Read more

राखी का क़र्ज़ – के कामेश्वरी

सुमित्रा मैंने तुम्हें कितनी बार कहा है कि मेरे घर ऐसा मुँह उठाकर मत आ जाना । कुछ काम धाम नहीं है माँ को देखने के बहाने पंद्रह दिन में एक बार आ जाती है । लेकिन तुम्हारे दिमाग़ में बात नहीं पहुँचती है क्या?  तू जितनी ढीठ है तेरे ससुराल वाले भी ऐसे ही … Read more

जुनून – गुरविंदर टूटेजा | family story in hindi

  आज अंगद के इक्किसवें  जन्मदिन की सरप्राइज पार्टी की तैयारी पापा-मम्मी (संजय-अनिता) व छोटी बहन माही सब लगे हुए थे व वो भी बहुत खुश था…!!!!    एक पार्टी तो उसकी रात को दोस्तों के साथ हो गई थी उसे पता था कि घर पर भी बहुत बड़ी पार्टी होगी व गिफ्ट भी वो जो चाह … Read more

आक्रोश बन गया शक्ति – लतिका श्रीवास्तव

पूरे गांव में लाउडस्पीकर से घोषणा की जा रही थी गांव की बेटी का सम्मान समारोह …..जल्दी आइए आप सभी आइए…..”मिनी गदगद थी आज ….आज के समारोह के लिए नई कांजीवरम साड़ी खास उसके लिए आशा ने भिजवाई थी अपने संदेश के साथ “….. दीदी मेरे आक्रोश को आज मंजिल मिल गई है सारा श्रेय … Read more

जानकी जीवनधारा – मनीषा देबनाथ

“बेटा कौन हो तुम? कहा से आई हो? तुम्हारा नाम? कोई अता पता? जो भी तुम्हें याद है हमे बेझिझक बताओ!! डरो नही, हम सब तुम्हारे साथ है।” प्रेरणा जी बोली। “नही, मुझे कुछ भी याद नहीं, मैं कहा से आई हूं, मेरा नाम मुझे कुछ याद नहीं, बस यही पता है की मैं एक … Read more

बेटी का आक्रोश – शिप्पी नारंग

मैं यानी निधि अंतिम बॉक्स ट्रक में लोड करवाने के लिए लेबर को आदेश दे ही रही थी कि छोटी बहन विधि ने आकर कहा जी “दीदी बाहर कोई बुजुर्ग अंकल आए हैं और मम्मा को पूछ रहे हैं। मैंने झूठ कह दिया कि मम्मा घर पर नहीं हैं, इतनी मुश्किल से तो वो सो … Read more

रिश्तो में इतना आक्रोश क्यों..? – रोनिता कुंडू

मां..! सुना क्या..? परिधि ने 12वीं में टॉप किया है… अब तो चाची के पैर ज़मीन पर ही नहीं पड़ेंगे… सुहासी ने अपनी मां रति से कहा… रति:  हां…! अब बेटे ने तो कभी कुछ नहीं किया… चलो बेटी से ही अपना नाम बटोरेगी तेरी चाची…. यह सब वहां बैठे, रति के पति अभय अखबार … Read more

महत्वाकांक्षा – अनुराधा श्रीवास्तव | family moral stories

“अरे मुक्ता, तुम्हारे बेटे का तो आज रिजल्ट आया है ना, कोैन सी रैंक आयी है, मन्टू की।’’ “हाॅं रमा भाभी आ गया रिजल्ट, सांतवी रैंक है क्लास में।’’ मुक्ता ने रमा को बता तो दिया लेकिन जानती थी कि वो आगे सिर्फ अपनी बेटी रिंकी की बड़ाई ही करने वाली है। “रिंकी तो क्लास … Read more

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