चोली-दामन का साथ – स्नेह ज्योति
माँ – बाप जिसे लाडो से पालते हैं ,वहीं एक दिन हो जाती पराई है “घर की बगिया में खिली नन्ही कली दूसरे की बगिया का फूल बनने चली जाती हैं “। राधिका का भी अरमा था कि कब वो बड़ी होएगी और पढ़ाई से उसे निजात मिलेगी । क्योंकि उसे पढ़ना पसंद नहीं था … Read more