सप्तपदी – डॉ. पारुल अग्रवाल

आज सुमित के बेटे अनिरुद्ध का विवाह था उसकी ही पसंद की लड़की प्यारी और मासूम सी ऋचा के साथ। आज सुमित के लिए बहुत ही खुशी का दिन था। ये उसकी ज़िंदगी का एक बहुप्रतीक्षित पल था। वैसे तो हर माता-पिता के लिए अपनी संतान का विवाह एक खुली आंखों से देखा खूबसूरत स्वपन … Read more

दस रुपए का दूध – गीतू महाजन

कनिका बहुत परेशान थी क्योंकि उसकी कामवाली बाई अपनी सास के बीमार होने की वजह से 1 महीने के लिए गांव चली गई थी।एक-दो दिन की बात होती तो कनिका संभाल लेती लेकिन एक महीना तो सारा काम स्वयं करना बहुत मुश्किल था और अगले हफ्ते तो उसके सास ससुर भी आने वाले थे।उनके आने … Read more

खूब निभाया जिम्मेदारी – उमा वर्मा

 बिटिया ने जब जन्म लिया था तो पापा बड़ा सा मिठाई का डिब्बा लेकर अस्पताल पहुँचे थे ,हेड सिस्टर ने टोक दिया था ” वर्मा जी, मिठाई लेकर आये हैं? अरे बेटी हुई है ।खुशी किस बात की? आपको तो  रोना चाहिए ।” सिस्टर, आगे से ऐसी बातें न करें ।मेरी बेटी मेरी लक्ष्मी है … Read more

आग – डॉ पुष्पा सक्सेना 

होस्टल में आग की तरह बात फैल गई। जया न चीखी, न चिल्लाई। बस सीधी लपट बनी निश्चेष्ट खड़ी हो गई थी। कमरे की पार्टनर सुप्रिया चीख पड़ी थी। रात के गहरे सन्नाटे में उसकी चीख दूर-दूर तक पहॅुंच गई थी। किसी छात्रा ने जया को यूं जलते देख पूरी बाल्टी-भर पानी उॅंडेल दिया था। … Read more

ज़िम्मेदारी – मधु झा

“तुमसे कुछ नहीं हो सकता। तुम इतना भी नहीं कर सकती।” कहते हुए सचिन सारे पेपर्स और बैग लेकर जोर से दरवाज़ा बंद करते हुए आफ़िस के लिए निकल गया। वो तो चला गया मगर ये शब्द जयश्री के कानों में अब भी गूँज रहे थे। वो घर के मंदिर के सामने आँखें मूँदे चुपचाप … Read more

अपना सम्मान अपने हाथों में  – गीता वाधवानी

अक्सर घरों में देखा जाता है कि औरत ही औरत की दुश्मन बन जाती है और कलह उत्पन्न हो जाती है। जैसे की सास बहू, ननद भाभी या फिर देवरानी जेठानी। कभी-कभी तो छोटी सी बात इतनी बढ़ जाती है कि घर के पुरुष परेशान हो जाते हैं और समझ नहीं पाते कि किस का … Read more

पुरुष भी घरेलू हिंसा के शिकार होते है – संगीता अग्रवाल 

अरुण अखबार पढ़ रहा था पढ़ते पढ़ते तीन चार खबरे उसे महिलाओ पर घरेलू हिंसा के दिखाई दिये । अखबार ने एक खबर तो सुर्खियों मे छापी थी क्योकि किसी बड़े व्यापारी की बेटी घरेलू हिंसा का शिकार हुई थी। ” हुई थी या सिर्फ दुनिया को दिखाया गया था ?” उसके मन मे विचार … Read more

फैसला – नंदिनी

प्रिया घरवालों की लाड़ली पड़ने में होशियार एक छोटा भाई और मम्मी पापा छोटा सा परिवार । पढ़ाई में अव्वल आती हमेशा और आगे की पढ़ाई  के लिए बड़े शहर होस्टल में रहकर आगे की पढ़ाई की। इसी बीच उसकी बुआ की बेटी की शादी आती है ,दोनों बचपन से साथ रहे थे बहुत, तो … Read more

उसकी खुशियों की जिम्मेदारी मेरी है – पुष्पा जोशी

तरूणा की दशा देखकर, रामेश्वर जी करूणा से भर गए। उन्होंने हौले से उसके सिर पर हाथ रखा,और बस यही कह पाए ‘बेटा! तू अकेले इतना सबकुछ सहती रही, हमसे कुछ कहा क्यों नहीं? पर बस अब और नहीं, बेटी मैं सबकुछ ठीक कर दूंगा।’ उनका गला रूंध गया था। अपने ऑंसू छिपाने के लिए … Read more

चने वाला – संगीता श्रीवास्तव

वह एक शाम थी। मैं ट्रेन से उतर कुछ फल और बिस्कुट के पैकेट्स को ले लंबी- लंबी डेंगे मारती टैक्सी स्टैंड जा रही थी। मैं लोकल ट्रेन से ही कार्यालय आती जाती थी।उस दिन मुझे जल्दी घर पहुंचना था क्योंकि मैं अपनी 3 साल की बीमार बेटी को बूढ़ी सास के पास छोड़ आई … Read more

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