आज कुछ एक्सपेरिमेंटल करती हूं। – मुक्ता सक्सेना

मां, आगे से आप हमसे तो कोई उम्मीद मत रखिएगा। आपने क्या सोच कर हमे पैदा किया था? क्या हमारा कोई अपना भविष्य, पत्नी बच्चे, चाहतें नही है। आपके पास ये अपना घर है। हमे कुछ नही चाहिए। लेकिन हम जीवन भर का बोझ नहीं उठा सकते। क्या इसी दिन के लिए हम लोग पढ़े … Read more

पता नहीं कैसे – गुरविंदर टूटेजा

आज सुधा बहुत खुश थी अपने इकलौते बेटे के लिए  तन्वी जैसी बहू पाकर बहुत समझदार व संस्कारी थी उसे विश्वास था कि वो उसे अपने प्यार से संभाल लेगी…!!!!    अरे चाची क्या सोचने लगी जल्दी से आरती उतारिए व बहू का गृहप्रवेश कराईये…हाँ कहकर उसने आरती उतारी और उसे बड़े प्यार से अपने घर … Read more

डिजिटल रिश्ता – दीपा माथुर

दादी दादी मम्मी को समझाओ ना ?मुझे अभी खेलना है मुंह सुजा कर लक्ष अपनी दादी कीगोद में बैठ गया ।उसे पता है की सब अब हाईकोर्ट की शरण में जाने के बाद मम्मी की ना कहने की हिम्मत नहीं होंगी।दादी क्या कम थी मम्मी को आंख मारती हुई बोलीकीर्ति तुम जाओ अपना काम करो।और … Read more

खुदकुशी या कानूनी जंग – मुकुन्द लाल

भावना बेतहाशा निर्जन, जंगलों, पहाड़ों की ओर दौड़ी चली जा रही थी रोती-कलपती हुई। उसकी आंँखों के आगे बलात्कारी का वीभत्स चेहरा अभी भी घूम रहा था। उसे कुछ भी नहीं सूझ रहा था, बस उसके जेहन में एक ही बात चक्कर काट रही थी कि वह अपने को मिटा देगी। कालिख लगे हुए चेहरे … Read more

दीपावली की रात – के कामेश्वरी

 चारु बेटा हमारी बात मान ले । हमने बहुत दुनिया देखी है। आज ही किरण आंटी एक रिश्ता लाई हैं कहती है कि लड़के वालों ने कहा है कि वे बच्चे के साथ तुम्हें स्वीकार करने के लिए तैयार हैं ।  सोच ऐसा रिश्ता कहाँ मिलेगा ।  चारु ने कहा— माँ मैं नौकरी करती हूँ … Read more

 माफ़ी का क्या करुॅं – विभा गुप्ता

” कंचन सुन, चाय के साथ थोड़ी पकौड़ियाॅं भी तल लेना। मेरी रेशमा काॅलेज से थकी-हारी आई है, बेचारी को कितनी मेहनत करनी पड़ती है, मोटी- मोटी किताबों में सिर खपाना….।”   ” जानती हूँ मामी।रेशमा के लिए पकौड़ियाॅं भी तल दूॅंगी।” कंचन ने अपनी मामी मालती से कहा और प्याज काटने लगी।       कंचन मालती जी … Read more

माफी – दीपा माथुर

आज सन्डे को कहा जा रही हो?शिवी को अलमारी से कपड़े निकालते हुए प्रतीति ने पूछा हताशा और गुस्से में सिर हिलाते हुए शिवी ने जवाब दिया ” क्या मॉम सन्डे ही तो एक दिन होता मजे से घूमने के का”वही एक सन्डे हमारे लिए भी तो होता है ना बेटा की हम अपने बच्चो … Read more

पुत्र ऋण – आरती झा आद्या

फिर से उस घर में शहनाइयां गूंज रही थी और पांच साल का सन्नी उस गहमागहमी को टुकुर टुकुर देख रहा था। उसे तो बस इतना ही पता था कि उसकी मां जो उसे एक साल पहले छोड़कर भगवान के पास चली गई थी, वो दूसरा रूप लेकर फिर से उसके पास आ रही है … Read more

त्रिभुज के तीन बिन्दु – पुष्पा जोशी

त्रिभुज के तीन बिन्दु ही तो थी हम तीनों, सामली, रुपाली,और मैं कहानी। तीनों की विचारधारा भिन्न, तीनों की ख्वाइशें भिन्न, शोक भी भिन्न फिर भी तीन रेखाएं थी जो हम तीनों को जोड़े हुए थी।पहली हम तीनों एक ही कॉलोनी में रहती थी, दूसरा तीनों मध्यम वर्गीय परिवार से थी, तीनों एक ही कॉलेज … Read more

धोखा तो था लेकिन – डॉ. सुनील शर्मा

सीमा और राकेश की शादी को अभी दो सप्ताह ही हुए थे. विवाह परिवारों तथा एक जानने वाले के द्वारा हुआ था. राकेश किसी कम्पनी में वरिष्ठ अधिकारी के पद पर था. सीमा ने तो एम बी ए करके अभी ज्वाइन ही किया था. देखने में राकेश काफी हैंडसम था. सीमा से पहली मुलाकात एक … Read more

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