जेठानी का लव  मैरिज

पूर्वी और मोहन की शादी को दस साल बीत चुके थे लेकिन आज भी मानो उन दोनों के बीच प्यार जैसे नया ही हो. उन दोनों के बीच 10  साल बाद भी उतना ही प्यार था और रिश्ते में समझदारी थी जितनी की १० साल पहले वे अपने प्यार के लिए अपने अपने परिवार से … Read more

बड़ी देवरानी और छोटी जेठानी

“अच्छा ही हुआ अब तो घर में कम से कम एक बहु तो आ गई. बड़ी बहु नहीं तो छोटी बहु ही सही…” सास किरन अपने  मन मे बोली. दरअसल किरन की शादी एक अमीर घर में हुई थी. क्योंकि  किरन के पति की दूसरी शादी थी इस लिए जब किरन इस घर में आई … Read more

कप देखकर अन्दाजा लगाना गलत हैँ – मीनाक्षी सिंह

नहीं रमा ,मैं अपनी सुमन का ब्याह उस घर में नहीं कर सकता जहां 6 कप भी एक जैसे ना हो ! अशोक जी रोष दिखाते हुए अपनी पत्नी से बोले ! तुम भी किस बात को लेकर बैठे हो ,हो सकता हैँ ,उनके यहाँ छोटे बच्चें हो ! कप कांच के होते हैँ ,टूट … Read more

अधूरी पेंटिंग – अनुराधा श्रीवास्तव “अंतरा “

जब मैं 8-9 साल की थी तो मैं फ्री हैंड आर्ट बनाया करती थी.. मेरी मम्मी मुझे आर्ट बनाते देखकर बहुत खुश होती थी । धीरे धीरे मुझे पता चला कि मेरी मम्मी भी कला की बहुत शौकीन थी और वह ऑयल पेंटिंग करती थी लेकिन शादी होने की वजह से  वह पेंटिंग नहीं कर … Read more

किस्सा बचपन का (हास्य ) – अनुराधा श्रीवास्तव “अंतरा “

 हम सभी के जीवन में बचपन के कुछ ऐसे किस्से होते हैं जो हमारे दिमाग में पूरी तरीके से छप चुके होते हैं । कुछ हमें खुशी देते हैं तो कुछ हमारी आंखें नम कर देते हैं, कुछ में हम मुस्कुरा देते हैं तो कुछ  मैं  खुलकर हंस देते हैं, कुछ किस्से किसी की याद … Read more

खुशियों का आधार परिवार – नंदिनी

महक जैसा नाम वैसी ही थी, आसपास सबको महका कर रखती थी। चलबुली ,पढ़ाई में होशियार जिंदादिल हर काम मे सबसे आगे अपनी दो बड़ी बहनों की लाड़ली बहना  तीनों की जान एक दूसरे में बसती थी ,उनका ये परिवार उनकी सारी दुनियां थी।  महक को पड़ने का शौक शुरू से था, जीवन में कुछ … Read more

बुलावा आया है – स्मिता टोके ‘पारिजात’

बालों की पफ वाली चोटी, साँवली रंगत, मझौला कद, हमेशा चहकते रहने का स्वभाव मिनी विशेषताएँ थीं । वो पटर पटर करती थी या उसके मुख से फूल झरते थे ये  विभेद करना सिर्फ भाषायी सौंदर्य की अलग-अलग परिभाषाएँ हो सकती हैं। मेन रोड़ से अंदर जाने पर शॉपिंग कॉम्प्लेक्स वाला बड़ा सा प्लॉट पर … Read more

परिवार का महत्व  – पुष्पा जोशी

घर की बालकनी में बैठी दीपा जी अपनी सूनी उदास धंसी हुई ऑंखों से कभी आसमान की ओर देख रही है, तो कभी उनके नये आए किराएदार के परिवार को देख रही है.ऑंखों के नीचे स्याह झाई पढ़़  गई है,चेहरे और हाथ पैर पर झुर्रियाँ, बालों की सफेदी उम्र को दर्शा रही है, चेहरे की … Read more

“यादों की अलमारी” – कविता भड़ाना

बात थोड़ी पुरानी है हम जिस कॉलोनी में रहते थे वहां के सभी परिवारों में बहुत ही प्यार,भाईचारा और मेलजोल था किसी की भी बहन बेटी जब अपने ससुराल से आती तो वो पूरी कॉलोनी की मेहमान होती थी और शादी ब्याह चाहे किसी के भी घर में हो, पूरी कॉलोनी की रौनक देखते ही … Read more

अनसुने बोल –   त्रिलोचना कौर

कल से काम वाली बाई दो दिन की छुट्टी बोल कर गई थी सुबह-सुबह तो कई काम होते है यह सोचकर सविता रात को बर्तन साफ करने लगी।अभी बर्तन धो ही रही थी कि रसोई की ट्यूब लाइट आँख झप-झपकाकर बन्द हो गई। अनमने मन से कैन्डिल जलाकर बर्तन धोये लेकिन स्टैंड पर लगाने का … Read more

error: Content is protected !!