पछतावा – नंदिनी
गिले शिकवे सिर्फ़ सांसों के चलने तक ही होते हैं। बाद में तो सिर्फ़ पछतावे ही रह जातें हैं। चलिए सुनते हैं आज मालती की कहानी दो बहन और दो भाई में सबसे बड़ी थी घर में, पूरा घर उसकी मर्जी से चलता ,गांव में परिवार रहता था और कुछ सालों बाद आगे की पढ़ाई … Read more